नई दिल्ली,3 जून (युआईटीवी)- समय पर तपेदिक (टीबी) का उपचार लेकर उससे होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। यह बात एक एक शोध में सामने आई है कि यदि किसी व्यक्ति के त्वचा या रक्त परीक्षण में तपेदिक (टीबी) संक्रमण की पुष्टि होती है,तो उसे तुरंत आयु की परवाह किए बिना उपचार लेना चाहिए। जिससे बाद में होने वाली घातक बीमारियों से बचा जा सकता है। गुप्त टीबी संक्रमण को बाद में घातक बीमारियों में विकसित होने से रोकने के लिए तपेदिक (टीबी) के लिए निवारक उपचार लेना जरुरी है।
अमेरिका में बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि टीबी का उपचार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को छोड़कर संक्रमण के लक्षण नहीं दिखने वाले अधिकांश व्यक्तियों में प्रभावी नहीं था।
इस शोध में 439,644 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। टीम ने पाया कि निवारक टीबी उपचार टीबी से पीड़ित 2,496 व्यक्तियों में 49 प्रतिशत प्रभावी था। इसका अधिक प्रभाव उन व्यक्तियों पर पड़ा,जिसके रक्त या त्वचा परीक्षण में तपेदिक (टीबी) संक्रमण की पुष्टि हुई है।
समुदाय में टीबी से संक्रमित लोगों के खोज और उनके इलाज को महत्वपूर्ण बताते हुए विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर डॉ. सी. रॉबर्ट होर्सबर्ग ने बताय कि जब तक गुप्त टीबी से पीड़ित लोगों का इलाज नहीं किया जाएगा,तब तक वैश्विक स्तर पर टीबी का खतरा समाप्त नहीं होगा। इस अध्ययन के परिणाम से पता चलता है कि ऐसा उपचार करना बहुत महत्वपूर्ण और असरदार साबित हो सकता है।
तपेदिक (टीबी) प्रभाव पर महामारी विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. लियोनार्डो मार्टिनेज ने बताया कि लाखों लोगों को हर साल तपेदिक प्रभावित करता है और जब लोग इससे ठीक हो जाते हैं,उसके बाद भी लंबे समय तक उनके शरीर में इसका प्रभाव बना रहता है। इसके रोकथाम के तरीके खोज कर इस महामारी से निपटा जा सकता है,जो की वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है।

