सुप्रीम कोर्ट

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा

नई दिल्ली,8 दिसंबर (युआईटीवी)- संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दी गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर,सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा। 2019 के राष्ट्रपति के आदेश की संवैधानिकता पर सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बी.आर. गवई और सूर्यकांत की संविधान पीठ फैसला करेंगे। इसके अंतर्गत पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को जो विशेष दर्जा दिया गया था,उसे समाप्त कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का मामला है।

दोनों पक्षों की मौखिक दलीलों को 5 सितंबर को 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनी थी और अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

समय सीमा के बारे में केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह कोई यथार्थ समय सीमा नहीं दे सकती है। क्योंकि जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त है और वहाँ राज्य का दर्जा बहाल करने में “कुछ समय” लगेगा। साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति को “अस्थायी” बताने की बात को भी दोहराया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में संविधान पीठ के फैसले के बारे में कहा था कि चाहे जो भी फैसला हो,”ऐतिहासिक” होगा और सुप्रीम कोर्ट का फैसला कश्मीर घाटी के निवासियों के मन में मौजूद “मनोवैज्ञानिक द्वंद्व” को समाप्त कर देगा। “मनोवैज्ञानिक द्वंद्व” यह है कि वहाँ के नागरिक विशेष प्रावधान के बारे में नहीं जानते हैं कि यह अस्थायी हैं या स्थायी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अनुच्छेद 370 की प्रकृति से उत्पन्न भ्रम के कारण कश्मीर घाटी के निवासियों के मन में “मनोवैज्ञानिक द्वंद्व” उत्पन्न हुआ था।

जबकि याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के भंग होने के बाद स्थायी स्वरूप ले लिया है।

याचिकाकर्ताओं ने इस मुद्दे को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को सौंपने का तर्क दिया था। जिसे पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मार्च 2020 में अस्वीकृत कर दिया था और तत्कालीन सीजेआई एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पाँच -न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने तर्क दिया कि शीर्ष अदालत द्वारा अनुच्छेद 370 की व्याख्या से संबंधित प्रेम नाथ कौल मामले और संपत प्रकाश मामले में जो फैसले दिए गए थे,वे विरोधाभासी नहीं थे।

 

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