केरल में अनाक्कमपोयिल-कल्लाडी-ट्विन टनल फोर लेन परियोजना का शिलान्यास (तस्वीर क्रेडिट@pinarayivijayan)

केरल में परिवहन क्रांति की ओर बड़ा कदम: अनाक्कमपोयिल-कल्लाडी-ट्विन टनल फोर लेन परियोजना का शिलान्यास

तिरुवनंतपुरम, 1 सितंबर (युआईटीवी)- केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रविवार को राज्य के परिवहन बुनियादी ढाँचे को नई दिशा देने वाली एक ऐतिहासिक परियोजना का विधिवत शिलान्यास किया। कोझिकोड और वायनाड जिलों को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित अनाक्कमपोयिल-कल्लाडी-ट्विन टनल फोर लेन परियोजना का शिलान्यास अन्नक्कमपोयिल स्थित सेंट मैरी स्कूल ग्राउंड में एक भव्य समारोह के दौरान किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इसे केरल के परिवहन विकास का मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल राज्य की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाएगी,बल्कि व्यापार,पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को भी नई ऊर्जा देगी।

मुख्यमंत्री विजयन ने अपने संबोधन में याद दिलाया कि यह परियोजना वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के 2021 के चुनावी वादों में से एक प्रमुख वादा थी। आज उसका क्रियान्वयन शुरू होना इस बात का प्रतीक है कि सरकार अपने विकासात्मक वादों को धरातल पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कोझिकोड और वायनाड के बीच की दूरी और समय को कम करना दोनों जिलों के लिए जीवनरेखा साबित होगा। यह न केवल यात्रियों को लाभान्वित करेगा,बल्कि स्थानीय व्यापारियों और पर्यटकों के लिए भी बड़ी राहत लेकर आएगा।

देश की तीसरी सबसे लंबी और केरल की सबसे लंबी सुरंग बनने जा रही यह परियोजना वर्षों से चर्चाओं और प्रयासों का हिस्सा रही है। इसकी कल्पना सबसे पहले 1990 के दशक के अंत में सीपीआई(एम) के विधायक मथाई चाको ने की थी। उनके उत्तराधिकारी जॉर्ज एम. थॉमस ने इसे आगे बढ़ाते हुए पारंपरिक वन सड़क की बजाय सुरंग निर्माण को अधिक व्यवहारिक और पर्यावरण अनुकूल विकल्प के रूप में पेश किया। लंबी चर्चा और अनेक चरणों की योजना के बाद अब जाकर यह परियोजना साकार रूप लेने की दिशा में अग्रसर हुई है।

2,134.5 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना की कुल लंबाई 8.73 किलोमीटर होगी,जिसमें से 5.58 किलोमीटर हिस्सा वायनाड जिले में और 3.15 किलोमीटर हिस्सा कोझिकोड जिले में आएगा। इसमें 8.1 किलोमीटर का भाग ट्विन-ट्यूब सुरंग के रूप में विकसित किया जाएगा,जिसमें चार-लेन ट्रैफिक की व्यवस्था होगी। यह अत्याधुनिक सुरंग न केवल यात्रा के समय और दूरी को घटाएगी,बल्कि सुरक्षा और सुविधा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण साबित होगी। अन्नक्कमपोयिल और मेप्पाड़ी के बीच वर्तमान 42 किलोमीटर की दूरी इस परियोजना के बाद घटकर केवल 22 किलोमीटर रह जाएगी। इसका सीधा लाभ यात्रियों को समय की बचत के रूप में मिलेगा,जबकि व्यापार और लॉजिस्टिक क्षेत्र को लागत कम होने से प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी।

इस परियोजना के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित दिलीप बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी गई है,जबकि संपर्क सड़कों के निर्माण का दायित्व रॉयल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को दिया गया है। परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को नियुक्त किया गया है और किटको लिमिटेड को सलाहकार की भूमिका सौंपी गई है। इससे स्पष्ट है कि इस परियोजना में राष्ट्रीय स्तर की इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनियों की विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।

सुरंग के भीतर आधुनिक तकनीकी और सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसमें अत्याधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम,फायर फाइटिंग यूनिट,सीसीटीवी निगरानी,ट्रैफिक सिग्नल,टनल रेडियो,आपातकालीन कॉल प्वाइंट और प्रकाशित एस्केप रूट जैसी सभी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। इन सुविधाओं का उद्देश्य न केवल यातायात को सुरक्षित बनाना है,बल्कि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई और बचाव सुनिश्चित करना भी है।

हालाँकि,इस परियोजना के शिलान्यास ने जहाँ एक ओर विकास और कनेक्टिविटी के नए द्वार खोले हैं,वहीं दूसरी ओर पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों में कुछ चिंताएँ भी सामने आई हैं। वायनाड जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से जैव विविधता पर असर पड़ने का डर व्यक्त किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरंग निर्माण के दौरान पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक असंतुलन और भूस्खलन जैसी घटनाओं का जोखिम बढ़ सकता है। पिछले वर्ष मुण्डक्काई-चूरलमाला भूस्खलन की त्रासदी अब भी लोगों की स्मृतियों में ताजा है,जिसने कई परिवारों को तबाह कर दिया था। ऐसे में स्थानीय लोग चाहते हैं कि परियोजना के दौरान अत्यधिक सावधानी और सतर्कता बरती जाए।

पर्यावरणीय चुनौतियों के बावजूद इस परियोजना को राज्य के विकास की दिशा में एक अनिवार्य कदम माना जा रहा है। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि वायनाड की कनेक्टिविटी बेहतर होने से यहाँ पर्यटन को नया प्रोत्साहन मिलेगा। वायनाड अपने प्राकृतिक सौंदर्य,वन्यजीव अभयारण्यों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। यात्रा का समय कम होने से अधिक पर्यटक इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होंगे,जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। साथ ही,व्यापारियों का कहना है कि कोझिकोड बंदरगाह और वायनाड क्षेत्र के बीच माल ढुलाई आसान होने से निर्यात और आयात गतिविधियों में वृद्धि होगी।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार,यह परियोजना एलडीएफ सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है। चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करना जनता के बीच सरकार की विश्वसनीयता को मजबूत करेगा। वहीं विपक्ष इस परियोजना की पर्यावरणीय चुनौतियों को मुद्दा बना सकता है। इसलिए आने वाले वर्षों में इस परियोजना की प्रगति न केवल विकास बल्कि राजनीति के दृष्टिकोण से भी अहम रहने वाली है।

अनाक्कमपोयिल-कल्लाडी-ट्विन टनल फोर लेन परियोजना का शिलान्यास केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का आरंभ नहीं है,बल्कि यह केरल की भावी परिवहन व्यवस्था और आर्थिक उन्नति की आधारशिला है। यह परियोजना जहाँ लाखों लोगों की यात्रा को सरल बनाएगी, वहीं राज्य की आर्थिक गतिविधियों को भी नई ऊँचाई प्रदान करेगी। अब देखना होगा कि पर्यावरणीय सतर्कता और विकास की महत्वाकांक्षा के बीच संतुलन कैसे साधा जाता है। यही संतुलन इस परियोजना की वास्तविक सफलता का निर्धारण करेगा।