अगरतला, 10 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के अपने पद पर बने रहने के बारे में रविवार को एक जनसभा के जरिए लोगों का फैसला लेने की घोषणा की थी। इसके दो दिन बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और राज्य के नेताओं की सलाह पर गुरुवार को बुलाई जाने वाली जनसभा रद्द कर दी गई। बीते रविवार को राज्य की राजधानी के एक बड़े स्टेडियम, स्वामी विवेकानंद मैदान में एक जनसभा के माध्यम से लोगों का फैसला सुनने की देब की घोषणा के बाद सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी दल इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी), मुख्य विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस ने इस कदम के लिए देब की आलोचना की थी।
इस बीच, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित केंद्रीय नेतृत्व ने देब को जनादेश पाने के लिए जनसभा न बुलाने की सलाह दी। इस पर आईपीएफटी, माकपा और कांग्रेस नेतृत्व ने कहा कि संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को बुलाकर जनादेश लेने की कोई गुंजाइश नहीं है।
कई बैठकों के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि रविवार को लोगों को बुलाकर जनादेश लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ज्यादातर विधायक और पार्टी नेतृत्व उनके साथ है।
वर्मा ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास से निकलने पर कहा, “भाजपा संगठन और विधायकों के बीच कोई मतभेद नहीं है। नड्डाजी और केंद्रीय पर्यवेक्षक विनोद कुमार सोनकर पहले ही देब से बात कर चुके हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई मुद्दा है, तो वह सौहार्दपूर्ण रूप से हल हो जाएगा।”
इस बीच, पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख माणिक साहा और लोकसभा सांसद प्रतिमा भौमिक सहित भाजपा के कई मंत्रियों, विधायकों और नेताओं ने पिछले दो दिनों में देब से मुलाकात की।
त्रिपुरा में भाजपा नेताओं और विधायकों के एक खेमे के बीच असंतोष को देखते हुए मंगलवार की रात मुख्यमंत्री देब ने भाजपा-आईपीपी गठबंधन के प्रमुख के रूप में बने रहने के बारे में 13 दिसंबर को एक सार्वजनिक सभा में लोगों की सलाह और मार्गदर्शन लेने की घोषणा की थी।
देब ने मंगलवार रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था, “मैं बुरी तरह से निराश हो गया था, जब रविवार को कुछ लोगों ने ‘बिप्लब हटाओ, त्रिपुरा बचाओ’ का नारा बुलंद किया था। मैंने दिन-रात काम किया है। त्रिपुरा के सर्वागीण विकास के लिए ‘मोदी मंत्र’ के अनुरूप काम किया है।”
बीते रविवार को त्रिपुरा गेस्ट हाउस में हजारों भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय नेता इकट्ठा हुए और देब के नेतृत्व के खिलाफ नारे लगाए थे, जबकि पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक विनोद कुमार सोनकर ने मंत्रियों, विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठकें की थीं।
सोनकर ने मीडिया को बताया कि पार्टी के भीतर कोई मतभेद नहीं है और उन्होंने मंत्रियों, विधायकों और पार्टी के पदाधिकारियों के साथ हर मामले पर चर्चा की है।
सोनकर ने मीडिया से कहा, “सीएम को त्रिपुरा के लोगों की सेवा करनी चाहिए। अगर कोई समस्या है, तो पार्टी उन पर गौर करेगी।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी के विधायक रतन चक्रवर्ती ने मीडिया को बताया कि भाजपा के 36 विधायकों में से अधिकांश ने देब से मुलाकात की और उनके नेतृत्व के प्रति अपना पूरा समर्थन व्यक्त किया।
वहीं, शिक्षा और कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि देब एक सकारात्मक सोच वाले मुख्यमंत्री हैं, पिछले नौ अन्य सीएम के विपरीत, जिनमें माकपा के माणिक सरकार (1998-2018) और राज्य के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री सचिंद्र सिंह (1963-1971) शामिल हैं।
