अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@mdzishan0786)

गाजा संकट पर ट्रंप और नेतन्याहू की बयानबाज़ी: भुखमरी पर चिंता के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज़

एडिनबर्ग,28 जुलाई (युआईटीवी)- गाजा पट्टी में जारी मानवीय संकट और भुखमरी की भयावह स्थिति पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ताज़ा बयानों ने अंतर्राष्ट्रीय बहस को और तेज़ कर दिया है। रविवार को स्कॉटलैंड की यात्रा पर पहुँचे डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में बच्चों की भूख से मौत की वायरल होती तस्वीरों पर प्रतिक्रिया देते हुए गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गाजा की स्थिति ‘भयानक’ है,लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राहत सामग्री का दुरुपयोग किया जा रहा है और यह “लोगों द्वारा चुरा ली जा रही है।”

डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में अफसोस जताया कि अमेरिका ने गाजा के लिए 6 करोड़ डॉलर का योगदान दिया,लेकिन अन्य किसी देश ने इस दिशा में कोई सहायता नहीं की। उन्होंने कहा,“हमने बहुत सारा पैसा,बहुत सारा खाना और अन्य मदद भेजी है। अगर हम नहीं होते,तो वहाँ के लोग भूख से मर जाते।” हालाँकि,ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनका ‘चोरी’ का आरोप किस पर था,लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा हमास की ओर था,जिस पर इजरायल पहले से ही यह आरोप लगाता रहा है कि वह अंतर्राष्ट्रीय राहत सामग्री को जब्त कर अपने फायदे के लिए उपयोग करता है।

ट्रंप की टिप्पणी ऐसे समय में आई है,जब गाजा में बच्चों की कुपोषण और भुखमरी से मौत की खबरें दुनियाभर में चिंता का विषय बनी हुई हैं। कई मानवाधिकार संगठनों और सहायता एजेंसियों ने गाजा की स्थिति को ‘नरसंहार जैसी’ और ‘संवेदनहीन राजनीतिक असफलता’ करार दिया है। इन एजेंसियों का कहना है कि भोजन,दवा और साफ पानी की भारी कमी ने हजारों लोगों को जीवन-मृत्यु के बीच खड़ा कर दिया है।

वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक अलग रुख अपनाते हुए दावा किया कि यदि वह न होते,तो गाजा की स्थिति और भी बदतर हो जाती। शनिवार रात यरुशलम में आयोजित एक ईसाई सम्मेलन में बोलते हुए नेतन्याहू ने कहा, “गाजा में कोई भुखमरी नहीं है। हमने हर वह कदम उठाया है,जो मानवीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था।” यह सम्मेलन ट्रंप की करीबी सलाहकार और इवेंजेलिकल पादरी पाउला व्हाइट द्वारा आयोजित किया गया था,जिसमें नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि इजरायल ने युद्ध के दौरान भी अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत गाजा में सहायता भेजने की अनुमति दी।

नेतन्याहू ने दावा किया कि अक्टूबर 2023 से अब तक लगभग 1.9 मिलियन टन राहत सामग्री गाजा में प्रवेश कर चुकी है। उन्होंने कहा, “जो लोग यह कहते हैं कि हमने कुछ नहीं किया,वे सच्चाई से दूर हैं। अगर इजरायल युद्ध के दौरान मानवीय सहायता को मंजूरी न देता,तो गाजा में कोई नहीं बचता।” नेतन्याहू के अनुसार, इजरायल ने हर उस ट्रक को अनुमति दी जिसमें भोजन,दवा और प्राथमिक आवश्यकताएँ की चीज़ें भरी थीं,बशर्ते कि वह सहायता आतंकियों के हाथ न लगे।

नेतन्याहू और ट्रंप दोनों के बयानों में यह समानता देखी जा सकती है कि वे गाजा में हो रहे मानवीय संकट के लिए सीधे-सीधे किसी देश को दोषी नहीं ठहरा रहे,लेकिन परोक्ष रूप से हमास और अन्य स्थानीय संगठनों पर आरोप लगा रहे हैं कि वे सहायता सामग्री के वितरण में बाधा डाल रहे हैं। हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टें इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं। संयुक्त राष्ट्र की कई रिपोर्टों में यह कहा गया है कि इजरायली नाकेबंदी और सैन्य गतिविधियों के चलते गाजा में मानवीय सहायता का वितरण प्रभावित हुआ है और कई बार सहायता ट्रकों को सीमा पर रोक दिया गया।

इस बीच,गाजा में लगातार बिगड़ती हालात के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अमेरिका और इजरायल पर टिकी हैं। अमेरिका की ओर से ट्रंप ने सहायता बढ़ाने का संकेत दिया है,लेकिन उनकी सरकार की पूर्व नीतियों और वर्तमान स्थिति के बीच विरोधाभास भी उजागर हो रहा है। दूसरी ओर,नेतन्याहू का यह दावा कि गाजा में ‘कोई भुखमरी नहीं’ है,कई रिपोर्टों और ग्राउंड रियलिटी से मेल नहीं खाता,जिससे उनकी आलोचना भी हो रही है।

मानवीय संगठनों का कहना है कि यदि इस संकट से निपटने के लिए सभी पक्षों ने मिलकर प्रयास नहीं किए,तो गाजा में जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को भुखमरी, बीमारियों और असहायता का सामना करना पड़ेगा। इस समय अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति, पारदर्शिता और वास्तविक मानवीय चिंता की आवश्यकता है,लेकिन फिलहाल जो दिखाई दे रहा है,वह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की जंग है,जबकि जमीनी स्तर पर लाखों लोगों का जीवन संकट में है।