वाशिंगटन,18 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर से तूफान खड़ा हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कट्टर वामपंथी समूह ‘एंटीफा’ को एक प्रमुख आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है,जब हाल ही में उनके करीबी सहयोगी और दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या ने पूरे अमेरिका को झकझोर दिया था। ट्रंप का यह कदम देश की राजनीतिक बहस को और अधिक गर्माने वाला माना जा रहा है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखते हुए कहा, “मुझे अपने सभी अमेरिकी देशभक्तों को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं एक बीमार, खतरनाक,कट्टरपंथी वामपंथी संगठन,एंटीफा को एक प्रमुख आतंकवादी संगठन घोषित कर रहा हूँ। मैं यह भी दृढ़ता से अनुशंसा करता हूँ कि एंटीफा को वित्तपोषित करने वालों की उच्चतम कानूनी मानकों और प्रक्रियाओं के अनुसार गहन जाँच की जाए। इस मामले पर ध्यान देने के लिए आपका धन्यवाद!” इस पोस्ट ने ट्रंप के समर्थकों में उत्साह पैदा कर दिया,वहीं आलोचकों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध की रणनीति करार दिया।
हालाँकि,ट्रंप ने अपने बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि उनका प्रशासन एंटीफा को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए किन कानूनी मानदंडों का पालन करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीफा की कोई केंद्रीकृत संरचना नहीं है और न ही इसका कोई औपचारिक नेतृत्व है। यह मूलतः एक विकेंद्रीकृत आंदोलन है,जिसमें कई स्थानीय और स्वतंत्र समूह शामिल हैं,जो खुद को वामपंथी या फासीवाद-विरोधी विचारधारा से जोड़ते हैं। ऐसे में इसे आतंकवादी संगठन घोषित करना व्यावहारिक दृष्टि से कितना कारगर होगा,इस पर सवाल उठ रहे हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से अमेरिका में बढ़ती राजनीतिक हिंसा के लिए एंटीफा को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। हाल ही में रूढ़िवादी टिप्पणीकार और उनके करीबी सहयोगी चार्ली किर्क की हत्या के बाद उन्होंने फिर से इस संगठन को निशाने पर लिया। फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मैं आपको कुछ ऐसा बताऊँगा,जिससे मैं मुश्किल में पड़ सकता हूँ,लेकिन मुझे इसकी कोई परवाह नहीं है। दक्षिणपंथी कट्टरपंथी अक्सर इसलिए कट्टरपंथी होते हैं क्योंकि वे अपराध नहीं देखना चाहते। वामपंथी कट्टरपंथी ही समस्या हैं और वे क्रूर हैं,वे भयानक हैं और वे राजनीतिक रूप से चतुर हैं।”
चार्ली किर्क की हत्या का मामला अमेरिका में गहरी बहस छेड़ चुका है। 31 वर्षीय किर्क 10 सितंबर को यूटा वैली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे,तभी अचानक उनकी गर्दन में गोली लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया,लेकिन कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई। किर्क की पहचान एक प्रमुख रूढ़िवादी आवाज और ट्रंप के करीबी सहयोगी के रूप में थी। उनकी मौत से रिपब्लिकन खेमे में गुस्सा और दुख दोनों फैल गया है।
यूटा के अभियोजकों ने इस मामले में टायलर रॉबिन्सन नामक 27 वर्षीय युवक को मुख्य आरोपी बताया है। उस पर हत्या समेत छह अन्य आरोप लगाए गए हैं। अभियोजकों ने यह भी घोषणा की है कि वे इस मामले में मौत की सजा की माँग करेंगे। दस्तावेजों के अनुसार,रॉबिन्सन की माँ ने जाँचकर्ताओं को बताया कि पिछले एक साल में उसका बेटा ज्यादा राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गया था। वह समलैंगिक और ट्रांसजेंडर अधिकारों के समर्थन में झुकाव रखने लगा था। इतना ही नहीं,रॉबिन्सन ने अपने रूममेट के साथ डेटिंग शुरू कर दी थी,जो जैविक रूप से पुरुष था,लेकिन महिला बनने की प्रक्रिया में था। इन सबके चलते रॉबिन्सन की सोच और जीवनशैली में बड़े बदलाव आए थे।
किर्क की हत्या ने न केवल अमेरिकी समाज में ध्रुवीकरण को गहरा किया है,बल्कि इसने राष्ट्रपति चुनावी राजनीति में भी नई बहस छेड़ दी है। ट्रंप के समर्थक इसे वामपंथी हिंसा और असहिष्णुता का उदाहरण बता रहे हैं। वहीं आलोचकों का कहना है कि ट्रंप इस घटना का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने और विपक्ष को कमजोर करने के लिए कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीफा को आतंकवादी संगठन घोषित करना कानूनी और संवैधानिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अमेरिकी कानून के तहत किसी संगठन को ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ घोषित करने का प्रावधान है,लेकिन घरेलू स्तर पर सक्रिय और विकेंद्रीकृत आंदोलन के लिए ऐसा कदम अभूतपूर्व होगा। इसके अलावा, यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक गतिविधियों पर भी गहरे सवाल खड़े कर सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिका की राजनीति को और ध्रुवीकृत कर दिया है। रिपब्लिकन खेमे में जहाँ ट्रंप की घोषणा का स्वागत किया जा रहा है,वहीं डेमोक्रेट्स इसे लोकतंत्र पर हमला और राजनीतिक प्रतिशोध की रणनीति करार दे रहे हैं। वामपंथी कार्यकर्ताओं का कहना है कि एंटीफा कोई संगठित आतंकवादी समूह नहीं है,बल्कि यह फासीवाद और नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाले स्वतंत्र कार्यकर्ताओं का आंदोलन है।
चार्ली किर्क की हत्या और उसके बाद एंटीफा पर ट्रंप की कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका का राजनीतिक परिदृश्य आने वाले महीनों में और भी गरमाने वाला है। 2024 के चुनावी माहौल में यह मुद्दा रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों के बीच बड़ा टकराव पैदा कर सकता है। एक ओर ट्रंप कानून-व्यवस्था और राष्ट्रवाद की दुहाई देकर अपने समर्थकों को लामबंद कर रहे हैं,वहीं दूसरी ओर उनके विरोधी इसे स्वतंत्रता पर खतरा और असहमति की आवाजों को दबाने की कोशिश बता रहे हैं।
अमेरिका में राजनीतिक हिंसा का मुद्दा अब केवल सुरक्षा का सवाल नहीं रह गया है,बल्कि यह देश की लोकतांत्रिक परंपरा और भविष्य की दिशा पर भी गहरी छाया डाल रहा है। चार्ली किर्क की हत्या और उसके बाद एंटीफा को आतंकवादी संगठन घोषित करने की ट्रंप की घोषणा ने यह दिखा दिया है कि आने वाले समय में अमेरिका में विचारधाराओं की जंग और भी तीखी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालतें,प्रशासन और जनता इस नए राजनीतिक अध्याय को किस तरह से स्वीकार करती हैं।
