पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (तस्वीर क्रेडिट@Shashank_8880)

व्हाइट हाउस में ट्रंप-शहबाज-आसिम मुलाकात: पाकिस्तान के नेताओं का इंतजार और द्विपक्षीय वार्ता

वाशिंगटन,26 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की बहुप्रतीक्षित बैठक ने वॉशिंगटन डीसी में हलचल मचा दी। यह मुलाकात गुरुवार शाम व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में हुई,लेकिन इससे पहले का घटनाक्रम सुर्खियों में रहा। रिपोर्ट्स के अनुसार,प्रधानमंत्री शरीफ और आर्मी चीफ मुनीर को ट्रंप से मुलाकात के लिए काफी देर तक व्हाइट हाउस के गेट पर इंतजार करना पड़ा। इस दौरान राष्ट्रपति ट्रंप टिकटॉक को लेकर कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर रहे थे और प्रेस से मुलाकात में व्यस्त थे। यही वजह रही कि पाकिस्तान के दोनों वरिष्ठ नेताओं को राष्ट्रपति के खाली होने तक गेट पर इंतजार करना पड़ा। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए असहज भी मानी जा रही है,क्योंकि यह मुलाकात उनके लिए कूटनीतिक तौर पर बेहद अहम थी।

जैसे ही राष्ट्रपति ट्रंप का प्रेस ब्रीफिंग समाप्त हुआ,उसके बाद शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर को ओवल ऑफिस में प्रवेश का अवसर मिला। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने,व्यापारिक सहयोग बढ़ाने,क्षेत्रीय सुरक्षा और कई वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। हालाँकि,इस मुलाकात का मुख्य आकर्षण दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों को नए आयाम देने की दिशा में किए गए प्रयास रहे।

गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था, “आज हमारे पास एक महान नेता आ रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल बहुत महान इंसान हैं और प्रधानमंत्री भी। वे आ रहे हैं और शायद अभी इस कमरे में ही हों।” ट्रंप की यह टिप्पणी बैठक से पहले आई थी,जिसने मुलाकात को लेकर उम्मीदें और भी बढ़ा दी थीं।

पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर का यह पहला अवसर नहीं था जब उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से व्हाइट हाउस में मुलाकात की हो। जून में ट्रंप ने मुनीर को लंच के लिए आमंत्रित किया था,जो उनकी पहली सोलो विजिट थी। उस दौरान दोनों नेताओं के बीच व्यापक बातचीत हुई थी,जिसमें द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और क्षेत्रीय स्थिरता पर खास जोर दिया गया था। इसके बाद अगस्त में भी मुनीर वाशिंगटन गए थे,जहाँ उन्होंने अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा और कूटनीतिक मुद्दों पर वार्ता की थी।

इस बार की बैठक को विशेष महत्व इसलिए भी दिया जा रहा है क्योंकि इसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व का संयुक्त रूप से व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलना अपने आप में इस रिश्ते की संवेदनशीलता और अहमियत को दर्शाता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और मध्य पूर्व मामलों के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ भी इस बैठक का हिस्सा बने। यह उपस्थिति इस तथ्य को पुष्ट करती है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ संबंधों को केवल द्विपक्षीय तक सीमित नहीं रख रहा,बल्कि उन्हें व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक संदर्भ में देख रहा है।

बैठक से पहले का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस वर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के ट्रंप के प्रयासों की सार्वजनिक रूप से सराहना की थी। उन्होंने यहाँ तक कहा था कि ट्रंप को इस प्रयास के लिए नोबेल शांति पुरस्कार का समर्थन मिलना चाहिए। हालाँकि,भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया था कि तनाव कम करने में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं रही। इस पृष्ठभूमि ने व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात को और भी संवेदनशील बना दिया।

वॉशिंगटन में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का इंतजार करना किसी भी दृष्टिकोण से छोटा प्रसंग नहीं माना जा रहा। कई कूटनीतिक विशेषज्ञ इसे अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को उसकी स्थिति का एहसास कराने के तौर पर देख रहे हैं। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध भले ही सहयोगात्मक दिशा में बढ़ रहे हों,लेकिन उनमें असमानता और संवेदनशीलता अब भी मौजूद है। अमेरिका के लिए पाकिस्तान क्षेत्रीय सुरक्षा और अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण एशिया तक की नीतियों में एक अहम सहयोगी है,लेकिन वह भारत के साथ अपने रिश्तों को और अधिक प्राथमिकता देता है। ऐसे में पाकिस्तान को कई बार द्विपक्षीय मंचों पर प्रतीक्षा या असहज परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

बैठक के दौरान व्यापारिक सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई। पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है और उसे बाहरी निवेश और समर्थन की सख्त जरूरत है। अमेरिका के साथ व्यापार बढ़ाना पाकिस्तान की प्राथमिकता में शामिल है। वहीं, ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा मुद्दों पर ठोस प्रतिबद्धता चाहता है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और अफगानिस्तान में शांति बनाए रखने के प्रयासों पर भी बातचीत हुई।

इस पूरी मुलाकात का निहितार्थ यह है कि अमेरिका और पाकिस्तान दोनों ही एक-दूसरे की जरूरतों को समझते हैं,लेकिन उनके बीच भरोसे और प्राथमिकताओं का समीकरण अभी भी संतुलन की तलाश में है। जहाँ पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका उसे एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में मान्यता दे,वहीं अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को खतरे में डाले बिना पाकिस्तान से दूरी भी नहीं बनाना चाहता।

व्हाइट हाउस में शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर की बैठक पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक अवसर थी,लेकिन गेट पर इंतजार का प्रसंग उनकी छवि पर भारी पड़ा। यह मुलाकात इस तथ्य को भी रेखांकित करती है कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में प्रतीकात्मक क्षण भी उतने ही मायने रखते हैं,जितने कि औपचारिक वार्तालाप। राष्ट्रपति ट्रंप के साथ यह बैठक भविष्य के संबंधों की दिशा तय कर सकती है,लेकिन इसके शुरुआती घटनाक्रम ने पाकिस्तान के लिए एक असहज स्मृति जरूर छोड़ दी है।