वाशिंगटन,2 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों को “बेहद अच्छे” बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच नया व्यापार समझौता इन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएगा। यह बयान ऐसे समय आया है,जब लंबे समय से चली आ रही टैरिफ वार्ताओं के बाद दोनों देशों ने एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया है।
ट्रंप ने यह टिप्पणी एक पत्रकार के उस सवाल के जवाब में की,जिसमें दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग की संभावित अमेरिका यात्रा और व्हाइट हाउस में होने वाली द्विपक्षीय बैठक को लेकर पूछा गया था। राष्ट्रपति ट्रंप ने पुष्टि की कि यह बैठक आगामी दो हफ्तों के भीतर व्हाइट हाउस में होगी और यह व्यापारिक संबंधों को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच ‘बहुत अच्छा रिश्ता’ कायम हुआ है।
दक्षिण कोरिया की समाचार एजेंसी योनहाप के मुताबिक,राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका-दक्षिण कोरिया व्यापार समझौते की जानकारी देते हुए कहा कि इसके अंतर्गत अमेरिका ने दक्षिण कोरिया पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। बदले में दक्षिण कोरिया ने अगले चार वर्षों में अमेरिका में 350 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। इसके साथ ही उसने अमेरिका से 100 अरब डॉलर मूल्य के ऊर्जा उत्पादों की खरीद करने का भी आश्वासन दिया है,जिनमें मुख्य रूप से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) शामिल है।
यह समझौता अमेरिका की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के अनुरूप है,जिसमें ट्रंप प्रशासन विदेशी साझेदारों से अधिक पारदर्शिता,निवेश और अमेरिकी उत्पादों की खरीद की अपेक्षा करता रहा है। इस समझौते को दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को कम करने और पारस्परिक हितों की रक्षा करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री चो ह्यून ने भी पुष्टि की कि दोनों देशों के प्रमुखों की बैठक के लिए तारीख तय करने को लेकर बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक हितों को संतुलित करता है और इससे भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग और मजबूत होगा।
हालाँकि,इस व्यापार समझौते को लेकर दक्षिण कोरिया के भीतर कुछ भ्रम की स्थिति भी बनी। खासकर चावल बाजार को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अनुमान लगाया गया कि अमेरिका ने दक्षिण कोरिया पर दबाव डाला है कि वह अपने कृषि क्षेत्र के कुछ संवेदनशील हिस्सों,विशेषकर चावल और बीफ बाजार को खोले,लेकिन कोरियाई सरकार ने इस पर तुरंत सफाई देते हुए स्पष्ट किया कि इस समझौते में ‘राइस मार्केट’ से जुड़ा कोई नया प्रावधान शामिल नहीं है।
दक्षिण कोरिया के वित्त,उद्योग और कृषि मंत्रालयों ने संयुक्त प्रेस रिलीज जारी कर कहा, “कोरिया-अमेरिका व्यापार समझौता चावल से जुड़ा नहीं है। चावल के बाजार को लेकर जो खबरें सामने आई हैं,वे निराधार हैं। यह समझौता पारस्परिक टैरिफ और निवेश के क्षेत्रों तक सीमित है।”
बावजूद इसके,कुछ सूत्रों के मुताबिक अमेरिका ने दक्षिण कोरिया से यह माँग जरूर की थी कि वह अमेरिकी बीफ उत्पादों पर विशेषकर 30 महीने से अधिक उम्र की गायों से बने मांस उत्पादों पर लगे प्रतिबंधों को हटाए। अमेरिका लंबे समय से दक्षिण कोरिया के पशुपालन और कृषि नियमों को “व्यापार में बाधा” मानता आया है। हालाँकि,कोरियाई अधिकारियों ने फिलहाल इन शर्तों पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं जताई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता ट्रंप प्रशासन की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है,जो उसे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति में मदद करेगा। दक्षिण कोरिया की ओर से इतने बड़े स्तर पर निवेश और अमेरिकी ऊर्जा उत्पादों की खरीद का आश्वासन,अमेरिका की ऊर्जा निर्यात नीति के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच इस नए समझौते को ट्रंप प्रशासन की एक और सफल व्यापार नीति के रूप में देखा जा रहा है,जहाँ अमेरिका ने न केवल टैरिफ में राहत दी,बल्कि बड़े निवेश और निर्यात के रूप में अपने हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की। आने वाले हफ्तों में जब दोनों राष्ट्राध्यक्ष व्हाइट हाउस में आमने-सामने बैठेंगे,तब इस समझौते के और विस्तृत पहलुओं पर चर्चा होने की संभावना है,जो दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान कर सकती है।
