तेल अवीव,10 अक्टूबर (युआईटीवी)- गाजा युद्ध में ऐतिहासिक युद्धविराम समझौते के बाद इजरायल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में जबरदस्त लहर देखने को मिल रही है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से लेकर विपक्षी नेताओं तक,सभी उन्हें “नोबेल शांति पुरस्कार” दिए जाने की माँग कर रहे हैं। नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर ट्रंप की एक एआई-जनरेटेड तस्वीर शेयर की है,जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति के गले में नोबेल पदक लटका हुआ है और उनके आसपास कई लोग तालियाँ बजा रहे हैं।
इस तस्वीर के साथ नेतन्याहू ने लिखा, “डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दीजिए — वह इसके हकदार हैं!” यह बयान ऐसे समय आया है,जब ट्रंप की मध्यस्थता में इजरायल और हमास के बीच गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई पर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इस समझौते ने न केवल पश्चिम एशिया बल्कि वैश्विक राजनीति में भी नई हलचल पैदा कर दी है।
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्रंप की इस सफलता को “मानवता के लिए बड़ा कदम” बताया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता “सिर्फ एक युद्धविराम नहीं,बल्कि एक नई शुरुआत” है। नेतन्याहू ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने असंभव को संभव कर दिखाया है। उन्होंने गाजा में दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाया,बंधकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की और एक ऐसी शांति प्रक्रिया शुरू की जो आने वाले वर्षों तक असर दिखा सकती है।
इजरायल के आम नागरिक भी ट्रंप के समर्थन में उतर आए हैं। सोशल मीडिया पर “#ट्रंप फॉर नोबल ” हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। कई लोगों ने ट्रंप को “मध्य पूर्व में शांति के निर्माता” कहा है।
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप की तारीफ केवल नेतन्याहू या उनकी पार्टी तक सीमित नहीं रही। इजरायल के प्रमुख विपक्षी नेता यायर लापिड ने भी ट्रंप की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा, “नोबेल शांति पुरस्कार का उनसे ज्यादा कोई हकदार नहीं है और इजरायल के लोग उनका अनंत आभार जताते हैं।”
Give @realDonaldTrump the Nobel Peace Prize – he deserves it! 🏅 pic.twitter.com/Hbuc7kmPt1
— Prime Minister of Israel (@IsraeliPM) October 9, 2025
लापिड ने एक वीडियो संदेश में कहा कि यह समझौता लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। उन्होंने कहा, “मैं डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम को धन्यवाद देना चाहता हूँ। स्टीव विटकॉफ,जेरेड कुशनर,मार्को रुबियो और टोनी ब्लेयर को,जिन्होंने इस असंभव लगने वाले काम को अंजाम दिया। मैं प्रधानमंत्री नेतन्याहू,आईडीएफ के सैनिकों और उन बहादुर परिवारों को भी सलाम करता हूँ,जिन्होंने बंधकों की रिहाई के लिए निरंतर संघर्ष किया।”
इजरायल के राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग ने भी इस ऐतिहासिक समझौते के बाद ट्रंप की सराहना करते हुए कहा कि “इसमें कोई संदेह नहीं है कि ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं।” उन्होंने कहा कि ट्रंप ने मध्य पूर्व में एक ऐसा कूटनीतिक बदलाव किया है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल थी।
हर्जोग ने कहा, “यह सिर्फ इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम नहीं है,बल्कि यह मानव जीवन को प्राथमिकता देने की दिशा में एक वैश्विक उदाहरण है। डोनाल्ड ट्रंप ने दिखाया है कि राजनीति और कूटनीति मिलकर भी चमत्कार कर सकते हैं।”
डोनाल्ड ट्रंप खुद कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के प्रति अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। 2019 और 2020 में उन्होंने कहा था कि उन्होंने “इतिहास में किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति से ज्यादा शांति समझौते कराए हैं,” फिर भी उन्हें “कभी मान्यता नहीं दी गई।”
हाल ही में, एक रैली के दौरान उन्होंने कहा था, “अगर मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया,तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बड़ा अपमान होगा।” अब गाजा युद्धविराम समझौते के बाद ट्रंप के समर्थक और उनके राजनीतिक साथी इसे “उनका हक” बता रहे हैं।
ट्रंप के करीबी सूत्रों के मुताबिक,अमेरिकी राष्ट्रपति इस समझौते को अपने “सबसे बड़े कूटनीतिक विजय” के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने कहा था कि यह समझौता “मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम” है।
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को हुए इस समझौते के तहत इजरायल और हमास ने गाजा में तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई। इसके साथ ही फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा। यह समझौता डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में हुआ और उनकी “शांति योजना” का पहला चरण माना जा रहा है।
इस समझौते को लेकर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई अरब देशों ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। मिस्र और कतर जैसे देशों ने इसे “मध्य पूर्व में शांति बहाली की दिशा में ऐतिहासिक कदम” बताया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता ट्रंप की “कूटनीतिक सफलता” का प्रतीक है,लेकिन इसे स्थायी शांति में बदलना अभी एक लंबी प्रक्रिया होगी। इजरायल और हमास के बीच दशकों से जारी अविश्वास को खत्म करना आसान नहीं होगा।
हालाँकि,ट्रंप के समर्थक मानते हैं कि यह शुरुआत ही काफी है। उनका कहना है कि अगर ट्रंप ने युद्ध रोकने और बंधकों की रिहाई में भूमिका निभाई है,तो उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।
फिलहाल, इजरायल में ट्रंप की लोकप्रियता नई ऊँचाइयों पर है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू और राष्ट्रपति हर्जोग से लेकर विपक्षी नेता लापिड तक,सभी ने उनकी तारीफ में स्वर मिलाए हैं। सोशल मीडिया पर उनकी एआई-जनरेटेड तस्वीर के जरिए चल रहा अभियान भी दिखाता है कि ट्रंप की शांति पहल को लेकर लोगों में उत्साह है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नोबेल कमेटी इस बढ़ती माँग को ध्यान में रखती है या नहीं,लेकिन इतना तो तय है कि गाजा युद्धविराम और बंधकों की रिहाई ने डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों के केंद्र में ला दिया है और इस बार वजह है “शांति”, न कि विवाद।
