वॉशिंगटन, 1 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा प्रोग्राम में कड़े बदलावों और भारी शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद वैश्विक स्तर पर इस निर्णय को लेकर बहस तेज हो गई है। इसी बीच टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने एक पॉडकास्ट के दौरान भारतीय प्रवासियों और भारतीय प्रतिभा को लेकर बड़ा बयान दिया है,जो ट्रंप प्रशासन को खास पसंद न आए। मस्क ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीय उच्च कौशल वाले लोग लंबे समय से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे हैं और उनकी प्रतिभा ने अमेरिका को वैश्विक टेक्नोलॉजी हब बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एलन मस्क ने यह टिप्पणी जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के पॉडकास्ट डब्ल्यूटीएफ में की। बातचीत के दौरान उन्होंने भारत की प्रतिभा,अमेरिका के लिए उसकी जरूरत और वीजा प्रणाली के दुरुपयोग जैसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बात की। मस्क ने कहा कि आज अमेरिका को जितनी प्रतिभा की जरूरत है,वह पहले से कहीं अधिक है और इस जरूरत को भारतीय पेशेवर कुशलता से पूरा कर रहे हैं। उनका मानना है कि भारतीय इंजीनियर,वैज्ञानिक और टेक विशेषज्ञ अमेरिकी कंपनियों में उन पदों को भर रहे हैं,जिनके लिए स्थानीय टैलेंट अक्सर उपलब्ध नहीं होता।
मस्क ने कहा, “अमेरिका ने भारत से आने वाली प्रतिभा का बड़ा लाभ उठाया है। इस देश की कंपनियों को शीर्ष पदों के लिए लगातार सक्षम लोगों की तलाश रहती है,लेकिन प्रतिभाशाली लोगों की संख्या कम होने के कारण भारतीय मूल के पेशेवर ही उस कमी को पूरा करते हैं। भारतीयों ने न सिर्फ अमेरिकी टेक सेक्टर की मजबूती सुनिश्चित की है,बल्कि नवाचार को आगे बढ़ाने में भी अहम योगदान दिया है।”
हालाँकि,मस्क ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम के कुछ पहलुओं की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम का कुछ हद तक गलत उपयोग भी हुआ है,विशेषकर उन कंपनियों द्वारा जो बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग मॉडल पर काम करती हैं,लेकिन इसके बावजूद वह इस कार्यक्रम को बंद करने के सख्त खिलाफ हैं। मस्क ने साफ कहा कि अमेरिका को अगर वैश्विक टेक नेतृत्व कायम रखना है,तो उसे भारतीय हाई-स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत हमेशा बनी रहेगी।
एलन मस्क ने बातचीत में अमेरिकी बाइडेन सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने पिछले प्रशासन की नीतियों को कमजोर बॉर्डर कंट्रोल के समान बताया। मस्क ने कहा, “पिछली सरकार का तरीका लगभग ऐसा था जैसे किसी ने बिना सीमा नियंत्रण के सबके लिए एच-1बी वीजा मुफ्त कर दिया हो। इससे गैर-कानूनी प्रवासियों को बढ़ावा मिला और नकारात्मक चयन (नेगेटिव सेलेक्शन) का खतरा भी बढ़ा।” उनका मानना है कि देश की सुरक्षा और आर्थिक संरचना के लिए बॉर्डर कंट्रोल अनिवार्य है और बिना नियंत्रण के देश की पहचान और स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।
इसके अलावा मस्क ने राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति पर भी अपनी असहमति जताई। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार ट्रंप को यह समझाने की कोशिश की कि भारी टैरिफ किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए लंबे समय में नुकसानदेह हो सकते हैं,लेकिन ट्रंप अपनी राय से नहीं हटे। मस्क ने कहा कि टैरिफ बाजार को बाधित करते हैं,व्यापार को कम दक्ष बनाते हैं और निवेश का वातावरण अस्थिर करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी देश में शहरों या राज्यों के बीच भी टैरिफ लगाने की शुरुआत हो जाए,तो पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो जाएगी। इसी तर्क को देशों के बीच व्यापार पर भी लागू किया जाना चाहिए।
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क में भारी वृद्धि का फैसला लिया है। अब नए एच-1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क 100,000 डॉलर यानी लगभग 89 लाख रुपये तक कर दिया गया है,जो 21 सितंबर 2025 से लागू होगा। ट्रंप का कहना है कि यह वार्षिक शुल्क नहीं है,बल्कि यह केवल नए वीजा के आवेदन पर लागू होगा,जबकि मस्क जैसे उद्योगपति इस बढ़ी हुई लागत को वैश्विक प्रतिभा को हतोत्साहित करने वाला कदम मानते हैं।
एच-1बी वीजा 1990 के इमिग्रेशन एक्ट के तहत शुरू किया गया था,जिसका उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को विदेशी उच्च कौशल वाले पेशेवरों की भर्ती में सहायता देना था। हर साल इस वीजा की सीमा 65,000 तय की जाती है,जबकि अलग से 20,000 वीजा अमेरिकी विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों के लिए आरक्षित होते हैं। भारतीयों को इस वीजा का सबसे अधिक लाभ मिलता है। 2024 में जारी सभी एच-1बी वीजा में से 71 फीसदी भारतीय नागरिकों को मिले,जबकि केवल 12 फीसदी चीनी नागरिक इस सूची में शामिल रहे। अमेरिका ने 2024 में करीब चार लाख एच-1बी वीजा मंजूर किए,जिसमें सीमा से बाहर के रिन्यूअल भी शामिल थे।
मस्क ने आगे यह भी कहा कि भारतीय उद्यमियों को यदि संभव हो तो भारत में ही अपनी कंपनियाँ स्थापित करनी चाहिए,क्योंकि भारत में क्षमता और संसाधनों की कमी नहीं है। उनका कहना है कि भारत तेजी से आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है और आने वाले दशक में भारतीय स्टार्टअप और इंडस्ट्री दुनिया को नेतृत्व दे सकते हैं। उन्होंने भारतीयों की मेहनत,उनके अनुशासन और उनकी सीखने की क्षमता की भी सराहना की।
एलन मस्क के इस बयान ने एक बार फिर एच-1बी वीजा की जटिलताओं,अमेरिका की तकनीकी निर्भरता और भारतीय प्रतिभा की वैश्विक भूमिका पर बहस को गर्म कर दिया है। जहाँ एक ओर ट्रंप प्रशासन वीजा नीतियों को सख्त कर अमेरिकी नौकरियों की रक्षा की बात कर रहा है,वहीं उद्योग जगत का मानना है कि अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभा,विशेषकर भारत से आने वाले विशेषज्ञों की आवश्यकता भविष्य में और भी अधिक होगी।
मस्क के ये बयान आने वाले महीनों में अमेरिकी वीजा नीति पर राजनीतिक चर्चा को और गहरा कर सकते हैं,खासकर तब जब दुनिया भर के लाखों पेशेवर इस प्रोग्राम पर निर्भर करते हैं।

