रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ (तस्वीर क्रेडिट@Sputnik_India)

ट्रंप के दूत की रूस यात्रा से पहले बढ़ा तनाव,युद्धविराम की समयसीमा पर गहराया अमेरिका-रूस विवाद

वाशिंगटन,4 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि उनके विशेष दूत स्टीव विटकॉफ अगले सप्ताह रूस का दौरा कर सकते हैं। यह दौरा उस समय होने जा रहा है,जब अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन संकट,गाजा में मानवीय राहत और संभावित प्रतिबंधों को लेकर तनाव चरम पर है। राष्ट्रपति ट्रंप ने रविवार को न्यू जर्सी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।

ट्रंप ने कहा कि स्टीव विटकॉफ इस समय गाजा पट्टी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं,जहाँ वे लोगों तक भोजन और मानवीय सहायता पहुँचाने की अमेरिकी कोशिशों का हिस्सा हैं,लेकिन साथ ही,ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि स्टीव विटकॉफ अगले सप्ताह रूस की यात्रा कर सकते हैं,संभवतः बुधवार या गुरुवार को। उन्होंने कहा, “वे उनसे मिलना चाहेंगे। उन्होंने उनसे मिलने का अनुरोध किया है। देखते हैं क्या होता है।”

हालाँकि,यह दौरा एक कूटनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है,लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में अमेरिका-रूस संबंधों में लगातार बढ़ रही तल्खी छिपी नहीं है। दरअसल, ट्रंप पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि यदि रूस और यूक्रेन के बीच कोई ठोस शांति समझौता नहीं होता है,तो 9 अगस्त तक रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएँगे। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि वे प्रतिबंधों से बचने में काफी अच्छे हैं,” जो एक तरह से रूस की वर्तमान रणनीति पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी मानी जा रही है।

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या रूस प्रतिबंधों से बचने के लिए कुछ कर सकता है,तो उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके लिए एकमात्र रास्ता युद्धविराम है। उन्होंने कहा, “हत्याएँ रुकनी चाहिए,लोगों को मरते हुए नहीं देखा जा सकता। किसी समझौते की आवश्यकता है।” यह बयान ट्रंप की उस आक्रामक रणनीति का हिस्सा है,जिसके तहत वे रूस को आर्थिक दबाव में डालकर कूटनीतिक टेबल पर लाना चाहते हैं,लेकिन रूस इस रुख को धमकी के रूप में देख रहा है।

ट्रंप और रूस के पूर्व राष्ट्रपति तथा वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया है। यह वाकयुद्ध उस समय शुरू हुआ,जब ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस पर 50 दिनों की समयसीमा तय करते हुए कहा कि यदि इतने समय में शांति समझौता नहीं होता,तो रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा दिए जाएँगे। बाद में, 29 जुलाई को ट्रंप ने यह समयसीमा घटाकर महज 10 से 12 दिन कर दी।

ट्रंप की इस धमकी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मेदवेदेव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक तीखा बयान जारी किया। उन्होंने लिखा, “ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम का खेल खेल रहे हैं,कभी 50 दिन,अब 10 दिन। उन्हें याद रखना चाहिए कि रूस न तो इजरायल है और न ही ईरान। हर नया अल्टीमेटम एक खतरे और युद्ध की ओर एक और कदम है। यह रूस और यूक्रेन के बीच नहीं,बल्कि अमेरिका और रूस के बीच युद्ध की दिशा में ले जाएगा। ट्रंप को ‘स्लीपी जो’ की राह पर नहीं चलना चाहिए।”

यह बयान स्पष्ट संकेत है कि रूस अमेरिका की चेतावनियों को गंभीरता से ले रहा है,लेकिन साथ ही उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मेदवेदेव के इस बयान में ‘स्लीपी जो’ का उल्लेख,अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर ट्रंप द्वारा बार-बार की जाने वाली आलोचना का व्यंग्यात्मक उपयोग था,जो दर्शाता है कि रूस ट्रंप की धमकियों को भी एक राजनीतिक नाटक से अधिक कुछ नहीं मान रहा है।

हालाँकि,कूटनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि स्टीव विटकॉफ की रूस यात्रा अगर होती है,तो वह एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। यह यात्रा न केवल अमेरिका और रूस के बीच संवाद के एक पुल की तरह काम करेगी,बल्कि युद्धविराम की संभावनाओं को भी गति दे सकती है। हालाँकि,अगर यह बातचीत विफल होती है,तो ट्रंप की तरफ से घोषित प्रतिबंध और टैरिफ रूस की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर वैश्विक व्यापार व्यवस्था से अलग-थलग कर सकते हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले भी ट्रंप प्रशासन ने दो परमाणु पनडुब्बियों को रूस के निकट रणनीतिक बिंदुओं पर तैनात करने का आदेश दिया था,जिसके बाद अमेरिका और रूस के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया था। ट्रंप की आक्रामक विदेश नीति और बार-बार अल्टीमेटम जारी करने की रणनीति को लेकर आलोचक यह भी कह रहे हैं कि इससे वैश्विक अस्थिरता और बढ़ सकती है।

अब पूरी नजर विटकॉफ की संभावित रूस यात्रा पर टिकी है। यदि यह यात्रा होती है और किसी समझौते की दिशा में बढ़ती है,तो यह ना केवल अमेरिका-रूस संबंधों में तनाव को कम कर सकती है,बल्कि यूक्रेन संकट को भी शांत करने की दिशा में एक ठोस पहल मानी जाएगी,लेकिन यदि वार्ता असफल रही,तो आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक भूचाल से इनकार नहीं किया जा सकता।