नई दिल्ली,17 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके जॉन बोल्टन पर गुरुवार को मैरीलैंड की एक संघीय ग्रैंड जूरी ने अभियोग दायर किया है। बोल्टन पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अत्यंत गोपनीय जानकारी को रखने और साझा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह मामला ट्रंप प्रशासन के समय के सबसे उच्च पदस्थ अधिकारियों में से एक पर आरोपों का नया अध्याय खोलता है। दिलचस्प बात यह है कि यह पिछले एक महीने में तीसरा अवसर है,जब राष्ट्रपति ट्रंप के किसी हाई-प्रोफाइल राजनीतिक विरोधी पर संघीय अभियोग लगाया गया है।
बोल्टन के खिलाफ दायर अभियोग में कहा गया है कि उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा संबंधी जानकारी को अवैध रूप से अपने पास रखा और परिवार के सदस्यों के साथ साझा किया। अभियोजकों के अनुसार,बोल्टन ने अपनी गतिविधियों की एक डिजिटल डायरी बनाई थी,जिसमें उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहने के दौरान हुई संवेदनशील बैठकों,चर्चाओं और गोपनीय दस्तावेजों से जुड़ी जानकारियाँ शामिल थीं। आरोपपत्र के मुताबिक,उन्होंने डायरी जैसी प्रविष्टियों के 1,000 से अधिक पन्ने साझा किए,जिनमें से कई में “टॉप सीक्रेट” स्तर की सूचनाएँ थीं।
अभियोजन पक्ष का कहना है कि बोल्टन की इन डायरियों में ऐसी जानकारियाँ थीं,जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को नुकसान पहुँचाने वाला माना जा सकता है। उन्होंने इन प्रविष्टियों को न केवल डिजिटल रूप में रखा,बल्कि अपने घर के निजी उपकरणों में भी संग्रहीत किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक,इन नोट्स में व्हाइट हाउस की उच्चस्तरीय बैठकों की चर्चाएँ,विदेश नीति के निर्णय और कुछ देशों के साथ अमेरिका की गुप्त रणनीतिक वार्ताएँ दर्ज थीं।
अभियोग के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया भी सामने आई। मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं था,लेकिन वह (बोल्टन) एक बहुत बुरा इंसान है। वह वाकई बहुत खराब व्यक्ति है।” ट्रंप का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि दोनों के बीच वर्षों पुराना मतभेद अभी भी खत्म नहीं हुआ है। ट्रंप ने 2019 में बोल्टन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद से हटा दिया था,जब दोनों के बीच ईरान,अफगानिस्तान और उत्तर कोरिया से जुड़ी नीतियों पर गहरा विवाद हुआ था।
जॉन बोल्टन अमेरिकी राजनीति में अपने कड़े और युद्धोन्मुखी रुख के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ट्रंप प्रशासन छोड़ने के बाद 2020 में अपनी किताब “द रूम वेयर इट हैपेंड (The Room Where It Happened)” प्रकाशित की थी,जिसमें उन्होंने व्हाइट हाउस के कई गोपनीय और संवेदनशील मामलों का खुलासा किया था। उस समय भी अमेरिकी न्याय विभाग ने उनकी किताब के प्रकाशन को रोकने की कोशिश की थी,यह दावा करते हुए कि बोल्टन ने “गोपनीय जानकारी” का उल्लंघन किया है। हालाँकि,अदालत ने पुस्तक के प्रकाशन पर रोक नहीं लगाई थी,लेकिन उस विवाद ने ट्रंप और बोल्टन के रिश्तों में स्थायी खटास पैदा कर दी थी।
इस नए मामले की जड़ें 2022 तक जाती हैं,जब रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के हैकर्स ने बोल्टन का ईमेल सर्वर हैक कर लिया था। इस घटना ने अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क किया और उसके बाद से बोल्टन की डिजिटल गतिविधियों की गहन जाँच शुरू की गई। जाँच में यह सामने आया कि बोल्टन के पास राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यकाल के दौरान की गई बैठकों से जुड़ी अत्यंत गोपनीय जानकारी मौजूद थी,जिसे उन्होंने सरकारी अनुमति के बिना निजी रूप से संरक्षित किया हुआ था।
अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने बोल्टन पर आठ आरोप राष्ट्रीय रक्षा संबंधी जानकारी प्रसारित करने और 10 आरोप ऐसी जानकारी को अपने पास रखने के लगाए हैं। यदि अदालत में ये आरोप सिद्ध होते हैं,तो बोल्टन को कई वर्षों की सजा का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला न केवल अमेरिकी कानून व्यवस्था के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है,बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशीलता के कारण इसका राजनीतिक असर भी व्यापक हो सकता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,बोल्टन शुक्रवार को ग्रीनबेल्ट स्थित संघीय अदालत में आत्मसमर्पण कर सकते हैं। हालाँकि,अदालत में सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है। बोल्टन के वकीलों ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है,लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह सभी आरोपों को “राजनीतिक प्रतिशोध” बताकर चुनौती देंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला ट्रंप और उनके विरोधियों के बीच चल रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को और तेज कर सकता है। ट्रंप पहले भी अपने कई पूर्व सहयोगियों पर “गद्दारी” और “फर्जी खबरें फैलाने” के आरोप लगा चुके हैं। वहीं,बोल्टन लंबे समय से ट्रंप के खिलाफ मुखर आलोचक रहे हैं और सार्वजनिक रूप से उन्हें “राष्ट्रहित से ऊपर निजी लाभ देखने वाला नेता” कह चुके हैं।
अमेरिका में यह मामला एक बार फिर इस सवाल को जन्म दे रहा है कि पूर्व उच्च पदस्थ अधिकारी गोपनीय सूचनाओं का कैसे इस्तेमाल करते हैं और क्या ऐसे मामलों में राजनीतिक पक्षपात से बचा जा सकता है। बोल्टन के खिलाफ यह अभियोग आने वाले महीनों में न केवल अमेरिकी न्याय प्रणाली की परीक्षा लेगा,बल्कि 2024 के राष्ट्रपति चुनावी माहौल में इसे एक राजनीतिक हथियार के रूप में भी देखा जा सकता है।
इस घटनाक्रम ने अमेरिकी राजनीति में गर्माहट बढ़ा दी है। जहाँ ट्रंप समर्थक इस मामले को “राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा” के लिए आवश्यक कदम बता रहे हैं,वहीं ट्रंप विरोधी इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दे रहे हैं। अब सबकी निगाहें संघीय अदालत की ओर टिकी हैं,जहाँ यह तय होगा कि जॉन बोल्टन के खिलाफ लगे ये गंभीर आरोप कानूनी रूप से कितने मजबूत हैं और क्या एक बार फिर अमेरिका की राजनीति में गोपनीय सूचनाओं का दुरुपयोग बहस का केंद्र बनेगा ।
