संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी ) (तस्वीर क्रेडिट@Quantum_akr)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ट्रंप की गाज़ा शांति योजना को मंजूरी दी,अंतर्राष्ट्रीय बल की तैनाती का रास्ता साफ

संयुक्त राष्ट्र,18 नवंबर (युआईटीवी)- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाज़ा शांति योजना को मंजूरी दे दी। इस निर्णय को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक भूचाल माना जा रहा है,क्योंकि इससे न सिर्फ गाज़ा में लंबे समय से जारी संघर्ष को समाप्त करने का रास्ता खुलता है,बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल भेजे जाने की औपचारिक स्वीकृति भी मिल जाती है। यह अंतर्राष्ट्रीय बल युद्ध से तबाह गाज़ा में कानून-व्यवस्था,पुनर्निर्माण और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

सुरक्षा परिषद में पारित इस प्रस्ताव को ट्रंप प्रशासन के लिए बड़ी रणनीतिक जीत माना जा रहा है। लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र के आलोचक रहे डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर इसे ‘‘संयुक्त राष्ट्र के इतिहास की सबसे बड़ी मंजूरियों में से एक’’ करार दिया और कहा कि यह विश्व शांति की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण है। प्रस्ताव में ट्रंप की 20 सूत्रीय गाज़ा शांति योजना को पूरी तरह शामिल किया गया है,जो अपने आप में एक दुर्लभ उदाहरण है,क्योंकि अक्सर सुरक्षा परिषद प्रस्तावों में किसी एक देश की योजना का पूर्ण समावेश नहीं होता। इस योजना के तहत ‘‘बोर्ड ऑफ़ पीस’’ (बीओपी) नामक एक अंतरिम प्रशासनिक संस्था का गठन किया जाएगा,जो गाज़ा में अगले दो वर्षों तक प्रशासन संभालेगी और धीरे-धीरे राजनीतिक ढाँचे को स्थिरता की ओर ले जाएगी।

इस प्रस्ताव की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इसमें फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र बनने की दिशा में स्पष्ट मार्ग देने की बात कही गई है। ट्रंप प्रशासन पहले फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के विचार का विरोध करता रहा था,परंतु इस प्रस्ताव में फिलिस्तीन को राष्ट्र-स्वीकृति की दिशा में आगे बढ़ाने वाले कई प्रावधान शामिल किए गए हैं। अरब और मुस्लिम देशों द्वारा इस योजना का समर्थन करने के बाद सुरक्षा परिषद में इसका पारित होना लगभग तय हो गया था। रूस ने शुरू में अमेरिकी प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और अपना अलग मसौदा भी पेश किया,लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि मुस्लिम देशों का झुकाव अमेरिकी योजना की ओर है,उसने अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया और मतदान में हिस्सा न लेकर परहेज़ किया। चीन ने भी मतदान से दूरी बनाई,लेकिन उसके परहेज़ ने प्रस्ताव पास होने से नहीं रोका। शेष 13 देशों ने अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया,जिससे यह आसानी से पारित हो गया।

अल्जीरिया,जो सुरक्षा परिषद में एकमात्र अरब प्रतिनिधि है,ने प्रस्ताव का स्वागत किया,लेकिन यह भी स्पष्ट कहा कि स्थायी शांति तभी स्थापित हो सकती है,जब फिलिस्तीन को पूर्ण राष्ट्र का दर्जा मिल जाए। अल्जीरिया के स्थायी प्रतिनिधि अमर बेंडजामा ने बताया कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण और प्रमुख मुस्लिम एवं अरब देशों ने उच्चतम स्तर पर इस अमेरिकी योजना का समर्थन किया है। उनके अनुसार,गाज़ा में मानवीय संकट को देखते हुए इस योजना का लागू होना अत्यंत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी प्रस्ताव को सकारात्मक बताते हुए कहा कि अब सबसे बड़ा काम ज़मीन पर ठोस कदम उठाने का है। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि गाज़ा में बिना किसी रोक-टोक के मानवीय सहायता पहुँचाने की आवश्यकता है। इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अंतर्राष्ट्रीय राहत संगठनों को गाज़ा में सहायता बढ़ाने के निर्देश शामिल हैं,जिससे लाखों विस्थापित और प्रभावित लोगों तक राहत पहुँच सके।

इस प्रस्ताव के तहत अब योजना का अगला चरण ‘‘अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल’’ (आईएसएफ) की तैनाती है। यह बल हमास को निशस्त्र करने,गाज़ा में कानून-व्यवस्था स्थापित करने और फिलिस्तीनी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करेगा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि आईएसएफ संयुक्त राष्ट्र का पारंपरिक शांति मिशन नहीं होगा और न ही सीधे सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट करेगा। यह मॉडल बीजिंग और मॉस्को के लिए संवेदनशील मुद्दा था,मगर अमेरिकी प्रस्ताव में इसे स्पष्ट कर दिया गया कि अंतर्राष्ट्रीय बल का संचालन बोर्ड ऑफ़ पीस और साझेदार देशों द्वारा किया जाएगा।

योजना में विश्व बैंक और अन्य प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को गाज़ा के पुनर्निर्माण में शामिल करने का ढाँचा भी निर्धारित किया गया है। माना जा रहा है कि गाज़ा पुनर्निर्माण योजना आने वाले वर्षों में मध्य पूर्व की सबसे बड़ी विकास परियोजनाओं में से एक बन सकती है। इससे गाज़ा की बुनियादी संरचना—जैसे अस्पताल,स्कूल,जल-विद्युत व्यवस्था और आवास को आधुनिक और सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र महासभा फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने की माँग को लगातार आवाज़ देती रही है। कई पश्चिमी देशों,जिनमें फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं,ने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है। ऐसे समय में ट्रंप की योजना का पास होना फिलिस्तीन की राज्य-स्वीकृति की दिशा में एक नया अंतर्राष्ट्रीय माहौल तैयार कर सकता है।

फिलहाल गाज़ा में युद्धविराम लागू है और सैकड़ों परिवार अपने घरों की तबाही और विस्थापन की त्रासदी झेल रहे हैं। इस प्रस्ताव के लागू होने से उम्मीद है कि गाज़ा में कम-से-कम एक अंतरिम शांति और स्थिरता स्थापित हो सकेगी,जिससे दो साल चल चुके भीषण मानवीय संकट को कम किया जा सकेगा।

इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद अब पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर टिक गई हैं कि गाज़ा में अंतर्राष्ट्रीय बल की तैनाती कैसे और कब होती है और क्या यह योजना गाज़ा और इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष को स्थायी समाधान की ओर ले जा पाएगी या नहीं। दुनिया के कई विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रस्ताव भविष्य में मध्य पूर्व की राजनीति और शक्ति-संतुलन को एक नई दिशा दे सकता है।