यूपीआई (तस्वीर क्रेडिट@kuch_nya03)

यूपीआई की वैश्विक धाक: आईएमएफ और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों में भारत का रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम बना दुनिया का नंबर-वन मॉडल

नई दिल्ली,9 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की ताकत दुनिया भर में तेजी से स्थापित होती जा रही है। इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को लेनदेन की मात्रा के आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा रियल-टाइम भुगतान सिस्टम बताया है। यह जानकारी भारत सरकार ने संसद में साझा की। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि आईएमएफ की जून 2025 में जारी रिपोर्ट ‘बढ़ते खुदरा डिजिटल भुगतान (इंटरऑपरेबिलिटी की वैल्यू)’ में यह उल्लेख किया गया कि विश्व भर में रियल-टाइम ट्रांजैक्शन्स के मामले में यूपीआई सबसे आगे है।

यूपीआई को लेकर भारत के दावों को और मजबूती देते हुए एसीआई वर्ल्डवाइड की 2024 की ‘प्राइम टाइम फॉर रियल-टाइम’ रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हुआ कि डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में भारत एक वैश्विक नेता बन चुका है। इस रिपोर्ट के अनुसार,49 प्रतिशत वैश्विक बाजार हिस्सेदारी के साथ यूपीआई दुनिया की सबसे बड़ी रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है। वर्ष 2023 में यूपीआई के माध्यम से कुल 129.3 अरब लेनदेन दर्ज किए गए,जो डिजिटल पेमेंट्स के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। इसके बाद ब्राजील 14 प्रतिशत हिस्सेदारी और 37.4 अरब लेनदेन के साथ दूसरे स्थान पर है,जबकि थाईलैंड 8 प्रतिशत हिस्सेदारी और 20.4 अरब लेनदेन के साथ तीसरे स्थान पर आता है। चीन,जो लंबे समय से डिजिटल पेमेंट्स का एक प्रमुख केंद्र रहा है,6 प्रतिशत हिस्सेदारी और 17.2 अरब लेनदेन के साथ चौथे स्थान पर है।

इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि भारत की डिजिटल पेमेंट प्रणाली न केवल एशिया में,बल्कि पूरे विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रही है। यूपीआई की खासियत इसकी उपयोग में सरलता,भाषा-अनुकूल इंटरफेस और विभिन्न वित्तीय संस्थानों तथा प्लेटफॉर्म से सहज इंटरऑपरेबिलिटी है। यही वजह है कि भारत के छोटे शहरों,गाँवों और दूरदराज के इलाकों तक डिजिटल भुगतान की पहुँच तेजी से बढ़ी है।

वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने अपने वक्तव्य में बताया कि छोटे व्यापारियों और स्थानीय दुकानदारों को डिजिटल माध्यम अपनाने में सहायता पहुँचाने के लिए सरकार,भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा कई पहल की गई हैं। इनमें कम मूल्य वाले भीम-यूपीआई लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएँ शामिल हैं। सरकार ने डिजिटल इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए भुगतान अवसंरचना विकास कोष (पीआईडीएफ) की भी स्थापना की है। इस कोष के माध्यम से टियर-3 से टियर-6 शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पीओएस मशीनें,क्यूआर कोड और अन्य डिजिटल भुगतान साधनों के लिए बैंकों तथा फिनटेक कंपनियों को अनुदान दिया जाता है।

सरकार के आँकड़ों के अनुसार,31 अक्टूबर 2025 तक पीआईडीएफ के माध्यम से लगभग 5.45 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट देशभर में स्थापित किए जा चुके हैं। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि भारत केवल बड़े शहरों में ही नहीं,बल्कि छोटे कस्बों और ग्रामीण बाजारों में भी डिजिटल पेमेंट्स को व्यापक रूप से बढ़ावा दे रहा है। ई-कॉमर्स,परिवहन,रिटेल और सार्वजनिक सेवाओं सहित कई क्षेत्रों में यूपीआई के उपयोग को बढ़ाने के प्रयास भी लगातार जारी हैं।

वित्त राज्य मंत्री ने आगे यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत में कुल 56.86 करोड़ क्यूआर कोड सक्रिय किए जा चुके हैं,जो लगभग 6.5 करोड़ व्यापारियों के गैप्स तक पहुँच चुके हैं। इससे छोटे व्यापारी बिना किसी बड़ी निवेश लागत के डिजिटल भुगतान स्वीकार कर पा रहे हैं। यह बदलाव भारत के अनौपचारिक बाजार क्षेत्र को फॉर्मलाइज करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यूपीआई की सबसे बड़ी ताकत इसकी सार्वभौमिक स्वीकार्यता और त्वरित भुगतान सुविधा है। आज गाँवों के छोटे किराना दुकानदार से लेकर बड़े मॉल्स तक,रिक्शा चालक से लेकर टैक्सी सेवा तक,सब यूपीआई को स्वीकार कर रहे हैं। भारत में लगभग हर बैंक यूपीआई से जुड़ा है और लाखों ऐप तथा सेवाएँ इसके माध्यम से निर्बाध रूप से भुगतान स्वीकार करती हैं।

डिजिटल इंडिया पहल के तहत पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने तकनीकी ढाँचे को न केवल मजबूत किया है,बल्कि वित्तीय समावेशन को भी नए आयाम दिए हैं। यूपीआई की सफलता की कहानी सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप बनी है। भारत का यह मॉडल अब कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा बन चुका है। नेपाल,भूटान,यूएई,सिंगापुर और फ्रांस जैसे कई देशों में यूपीआई आधारित भुगतान सेवाएँ शुरू हो चुकी हैं या विस्तार पर हैं।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में और अधिक तेजी से वृद्धि करेगी और यूपीआई इस विकास का मुख्य स्तंभ बना रहेगा। आईएमएफ और वैश्विक एजेंसियों द्वारा की गई प्रशंसा न केवल भारत की उपलब्धि है,बल्कि यह प्रमाण है कि तकनीकी नवाचार और मजबूत नीतिगत ढाँचे के माध्यम से भारत विश्व में डिजिटल क्रांति का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। यूपीआई का यह वैश्विक दबदबा भारत की आर्थिक शक्ति और डिजिटल सशक्तिकरण की कहानी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और अधिक मजबूत रूप से स्थापित करता है।