प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@garrywalia_)

भारत पर अमेरिकी टैरिफ का संकट गहराया,डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने लगाए 25% शुल्क,7 अगस्त से होगा लागू

वाशिंगटन,1 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध एक बार फिर से तनाव की कगार पर पहुँचते दिख रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से आयात होने वाली वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। हालाँकि,इस निर्णय को फिलहाल एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है और अब यह टैरिफ 1 अगस्त के बजाय 7 अगस्त से प्रभावी होगा।

ट्रंप प्रशासन की इस नई नीति के तहत भारत समेत कुल 92 देशों पर टैरिफ लागू किया गया है। इनमें से भारत पर 25 फीसदी और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ तय किया गया है। दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान पर सबसे कम शुल्क लगाया गया है,जिसे पहले 29 प्रतिशत से घटाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके विपरीत,दुनिया भर में सबसे अधिक टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है,जो 41 प्रतिशत है। इस सूची में चीन का नाम नहीं है,जो वैश्विक व्यापार में अमेरिका का एक बड़ा प्रतिस्पर्धी है।

ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि भारत हमेशा से रूस से अपने अधिकांश सैन्य उपकरण खरीदता रहा है और अब चीन के साथ मिलकर रूस से ऊर्जा का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है। ट्रंप ने लिखा कि जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध के समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रही है,ऐसे समय में भारत का रूस से निकटता बढ़ाना विश्व शांति की दिशा में एक नकारात्मक संकेत है। इसी कारण उन्होंने भारत पर टैरिफ लगाने के अलावा एक अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क भी लगाने का निर्णय लिया है।

इस पूरे मामले पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा और किसी भी प्रकार के एकतरफा फैसलों से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत अपने दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारों के साथ पारस्परिक सम्मान और भरोसे पर आधारित संबंध बनाए रखने का इच्छुक है,लेकिन वह दबाव की राजनीति को स्वीकार नहीं करेगा।

इस नए टैरिफ निर्णय के राजनीतिक प्रभाव भी भारत में देखने को मिले हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की विदेश नीति और व्यापार रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा सरकार को देश चलाना नहीं आता। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने देश की आर्थिक रीढ़ को पूरी तरह से तोड़ दिया है और विदेश नीति को इतना कमजोर बना दिया है कि आज अमेरिका जैसे देशों को भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की हिम्मत हो रही है।

गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने पहली बार 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालाँकि,इसके सात दिन बाद ही इस फैसले को 90 दिनों के लिए टाल दिया गया था,जिसके बाद इसे 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया। ट्रंप की योजना थी कि इन 90 दिनों के भीतर अमेरिका 90 व्यापारिक समझौते कर लेगा। मगर वास्तविकता यह रही कि इस अवधि में केवल 7 देशों के साथ ही समझौते हो सके। यह अमेरिका की व्यापारिक कूटनीति की सीमाएँ दर्शाता है,जो लगातार एकतरफा और आक्रामक होती जा रही है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘पारस्परिक टैरिफ दरों में और संशोधन’ नामक कार्यकारी आदेश के तहत इन टैरिफों की घोषणा की थी। यह आदेश वैश्विक स्तर पर अमेरिका की व्यापार नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। भारत इस आदेश में उल्लिखित प्रमुख देशों में शामिल है,जिससे स्पष्ट है कि अमेरिका अब भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर पहले जैसी सहजता नहीं रखता।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की इस नई टैरिफ नीति से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में खटास आ सकती है। भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा निर्यातक देश है और दोनों देशों के बीच तकनीक,रक्षा,ऊर्जा और फार्मा जैसे क्षेत्रों में गहरा व्यापारिक जुड़ाव है। ऐसे में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का सीधा असर भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ेगा और दोनों देशों के कारोबारी संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।

ट्रंप के इस कदम को अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि ट्रंप फिर से अपने पुराने राष्ट्रवादी और संरक्षणवादी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। वे घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने और अमेरिका को ‘फर्स्ट’ नीति के तहत वैश्विक व्यापारिक व्यवस्थाओं को चुनौती दे रहे हैं।

हालाँकि,भारत इस चुनौती को केवल राजनयिक स्तर पर नहीं,बल्कि व्यावसायिक रणनीति के जरिए भी जवाब देने की तैयारी में है। भारत अपने निर्यात बाजारों का विस्तार कर अमेरिका पर निर्भरता को कम करने की योजना पर काम कर रहा है। साथ ही,रूस और चीन के साथ आर्थिक साझेदारी को लेकर भारत स्पष्ट कर चुका है कि उसका दृष्टिकोण उसके अपने राष्ट्रीय हितों से प्रेरित है और यह किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं बदलेगा।

ट्रंप की इस घोषणा से स्पष्ट है कि आने वाले समय में वैश्विक व्यापार नीतियों में एक नई अस्थिरता का दौर शुरू हो सकता है,जिसका असर सिर्फ भारत ही नहीं,बल्कि पूरी दुनिया के विकासशील देशों पर पड़ सकता है। ऐसे में भारत को एक संतुलित,आत्मनिर्भर और बहुआयामी व्यापार नीति अपनानी होगी,जिससे वह किसी भी विदेशी दबाव का कुशलता से सामना कर सके।