नई दिल्ली,9 सितंबर (युआईटीवी)- भारत में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया आज सुबह दस बजे से शुरू हो गई और यह शाम पाँच बजे तक जारी रहेगी। यह चुनाव केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया ही नहीं,बल्कि मौजूदा राजनीतिक माहौल और सत्ता संतुलन की दिशा तय करने वाला अहम पड़ाव माना जा रहा है। मतदान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सबसे पहले मतदान करके की। उनके साथ संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू,कानून और संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह और नागरिक विमानन मंत्री राम मोहन नायडू भी मौजूद रहे। यह दृश्य बताता है कि सत्ता पक्ष इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
दूसरी ओर,विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस ने अपने उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी की जीत का दावा किया है। विपक्ष का कहना है कि यह चुनाव केवल एक पद के लिए नहीं,बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को बचाने की लड़ाई है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि देश की आत्मा को बचाने के लिए सांसदों की अंतरात्मा जागेगी और इस बार का नतीजा चौंकाने वाला हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जनता और सांसद दोनों जानते हैं कि मौजूदा हालात किस दिशा में जा रहे हैं और इसलिए उनका वोट एक ऐतिहासिक संदेश देगा।
इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी और तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू, दोनों मिलकर एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं। टैगोर का कहना है कि जगन के खिलाफ चल रहे सीबीआई मामलों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार ने उन पर दबाव बनाया है और इसी कारण उनकी पार्टी ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम बताया।
कांग्रेस सांसद चमाला किरण कुमार रेड्डी ने इस चुनाव को गंभीर सोच का अवसर बताते हुए कहा कि बी. सुदर्शन रेड्डी भले ही इंडिया अलायंस के उम्मीदवार हैं,लेकिन उनकी छवि किसी राजनीतिक दल से जुड़ी नहीं है। वह न्यायपालिका से आए हैं और इसलिए उनके पास निष्पक्षता और ईमानदारी की साख है। ऐसे में सभी सांसदों को,चाहे वे किसी भी दल के हों,मतदान से पहले यह सोचना चाहिए कि आखिर लोकतंत्र को बचाने के लिए किसे चुनना सही होगा।
धरमवीर गांधी,जो कांग्रेस सांसद हैं,ने भी बी. सुदर्शन रेड्डी की जीत को लेकर आशावादी रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि हमारा उम्मीदवार ईमानदार,विचारशील और जनता के हितों को सर्वोपरि मानने वाला है। हमें पूरा विश्वास है कि इस बार का चुनाव हम जीतेंगे और हमें उम्मीद है कि भाजपा के कुछ सांसद भी अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर विपक्षी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे।
समाजवादी पार्टी के सांसद छोटेलाल ने दावा किया कि भाजपा की सहयोगी कई पार्टियाँ खुलकर एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने से पीछे हट गई हैं और इस बार बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग देखने को मिलेगी। उनके अनुसार बी. सुदर्शन रेड्डी की जीत लगभग तय है और परिणाम विपक्ष के पक्ष में जाएगा। इसी तरह कांग्रेस सांसद अमर सिंह और नेता सचिन पायलट ने भी विपक्षी उम्मीदवार की जीत को लेकर विश्वास जताया और कहा कि इंडिया गठबंधन ने एक मजबूत,निष्पक्ष और साफ छवि वाला उम्मीदवार मैदान में उतारा है।
कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने इस चुनाव को केवल उपराष्ट्रपति पद की लड़ाई से कहीं बड़ा बताते हुए कहा कि यह राष्ट्र की आत्मा की रक्षा का क्षण है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और अगर सांसद सही फैसला नहीं लेते हैं,तो आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें माफ नहीं करेंगी। यह बयान विपक्षी खेमे की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है,जिसमें वह इस चुनाव को केवल सत्ता की राजनीति से ऊपर उठाकर नैतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की लड़ाई के रूप में पेश करना चाहता है।
हालाँकि,एनडीए इस पूरे परिदृश्य को विपक्ष की “भावनात्मक राजनीति” करार दे रहा है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने अंदाज में दावा किया कि एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत उतनी ही निश्चित है,जितना सूरज का उगना और डूबना। उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार पर तंज कसते हुए कहा कि भले ही वह सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हों,लेकिन उनका उठना-बैठना उन लोगों के साथ है,जो भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए गए हैं। ऐसे में उनसे नैतिकता की उम्मीद करना बेमानी है।
भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने भी यह कहते हुए जीत का भरोसा जताया कि एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन कल उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। वहीं भाजपा सांसद गोविंद ढोलकिया ने कहा कि यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र के लिए गौरव का क्षण है और गुजरात के सभी सांसद इस प्रक्रिया में भाग लेकर लोकतांत्रिक परंपराओं को और मजबूत कर रहे हैं।
इस पूरे चुनावी माहौल में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं। सत्ता पक्ष जहाँ अपनी संख्या बल और सहयोगी दलों के समर्थन पर भरोसा जता रहा है,वहीं विपक्ष क्रॉस वोटिंग और नैतिक दबाव की राजनीति के सहारे परिणाम बदलने का दावा कर रहा है। इस चुनाव की सबसे बड़ी दिलचस्पी यही होगी कि क्या वाकई विपक्ष का दावा सच साबित होता है और क्या एनडीए खेमे में सेंधमारी की स्थिति बनती है या नहीं।
उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह पद केवल राज्यसभा के सभापति का ही नहीं बल्कि संवैधानिक व्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। उपराष्ट्रपति का चुनाव हमेशा से इस बात का संकेत देता है कि देश की राजनीति किस दिशा में जा रही है और किस खेमे की पकड़ संसद में ज्यादा मजबूत है। इस बार भी यही सवाल सबसे बड़ा है कि क्या एनडीए अपने गठबंधन की मजबूती दिखा पाएगा या विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी कोई चमत्कार कर देंगे।
दिनभर चली चुनावी सरगर्मी और नेताओं के दावों से साफ है कि यह मुकाबला भले ही संख्या बल के लिहाज से एकतरफा नजर आता हो,लेकिन विपक्ष इसे एक नैतिक और वैचारिक लड़ाई में बदलना चाहता है। शाम पाँच बजे मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब सभी की निगाहें मतगणना और अंतिम नतीजों पर टिक गई हैं। चाहे जो भी परिणाम आए,यह तय है कि यह चुनाव आने वाले समय में भारतीय राजनीति के स्वरूप को प्रभावित करेगा और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों के लिए कई नए समीकरण गढ़ेगा।