प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा

एनडीए में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन तेज,प्रधानमंत्री मोदी और जेपी नड्डा करेंगे अंतिम चयन

नई दिल्ली,12 अगस्त (युआईटीवी)- भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर नए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन का दौर तेज हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को एनडीए के उम्मीदवार का अंतिम चयन करेंगे। उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को चुनाव होना है,जबकि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त तय की गई है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि एनडीए मंगलवार को अपने उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा कर सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई हालिया बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को उम्मीदवार चुनने के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष द्वारा चुने गए उम्मीदवार को एनडीए के सभी सहयोगियों का समर्थन मिलेगा और इस फैसले में सभी दलों की सहमति शामिल होगी।

इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,शिवसेना नेता श्रीकांत शिंदे,लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान,तेलुगु देशम पार्टी के लवू कृष्ण देवरायलु और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास अठावले भी मौजूद रहे। शिवसेना और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पहले ही भाजपा द्वारा चुने गए उम्मीदवार को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर दी थी,जिससे एनडीए के भीतर एकजुटता का संकेत मिलता है।

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव इस बार मध्यावधि में हो रहा है,क्योंकि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा दे दिया था। धनखड़ ने 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उनके इस फैसले ने सभी को चौंका दिया था,हालाँकि,राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके और सरकार के बीच मतभेद इसकी एक बड़ी वजह रहे। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कुछ नीतिगत मुद्दों और संसदीय कार्यप्रणाली पर मतभेद के कारण यह इस्तीफा सामने आया,लेकिन आधिकारिक तौर पर इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई।

एनडीए के उम्मीदवार को लेकर एक और चर्चा यह है कि भाजपा,जाट समुदाय से आने वाले जगदीप धनखड़ की जगह किसी दूसरे जाट नेता को मौका दे सकती है,ताकि समुदाय की भावनाओं को साधा जा सके। अगर इस दृष्टिकोण को अपनाया जाता है,तो गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का नाम सबसे आगे हो सकता है। आचार्य देवव्रत भी जाट बिरादरी से आते हैं और हरियाणा के रहने वाले हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम भाजपा को हरियाणा,राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में राजनीतिक लाभ दे सकता है,जहाँ जाट समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। हालाँकि,अब तक पार्टी ने इस विषय में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है और उम्मीदवार को लेकर अटकलें जारी हैं।

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव कार्यक्रम चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को घोषित किया था। चुनाव आयोग के अनुसार, 7 अगस्त को चुनाव की अधिसूचना जारी की गई,जिसके बाद उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर सकते हैं। 21 अगस्त नामांकन की अंतिम तारीख है,जबकि 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जाँच की जाएगी। 9 सितंबर को मतदान और परिणाम की घोषणा,दोनों एक ही दिन होंगे। चूँकि उपराष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा किया जाता है,इसलिए एनडीए के पास अपनी संख्या बल के आधार पर मजबूत स्थिति है,लेकिन उम्मीदवार के चयन में राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखना भी जरूरी है।

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भाजपा के लिए एक राजनीतिक चुनौती बनकर आया,क्योंकि उनके कार्यकाल में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन अपेक्षाकृत सख्ती से किया गया था और विपक्ष के साथ कई बार टकराव की स्थिति बनी। अब नए उपराष्ट्रपति का चयन न केवल संवैधानिक पद को भरने के लिए,बल्कि संसद के ऊपरी सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी अहम होगा।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवार के चयन में प्रधानमंत्री मोदी और जेपी नड्डा न केवल अनुभव और प्रशासनिक दक्षता को ध्यान में रखेंगे,बल्कि यह भी देखेंगे कि वह व्यक्ति विभिन्न राजनीतिक परिस्थितियों में सदन का संतुलित संचालन कर सके। इसके अलावा,आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए उम्मीदवार का सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन भी महत्वपूर्ण होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा जाट समुदाय से ही उम्मीदवार चुनती है,तो यह संदेश जाएगा कि पार्टी ने धनखड़ के इस्तीफे के बाद समुदाय की हिस्सेदारी बरकरार रखी है। दूसरी ओर,अगर पार्टी किसी अन्य जातीय या क्षेत्रीय पृष्ठभूमि के उम्मीदवार को लाती है,तो यह एक व्यापक सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास हो सकता है।

एनडीए की ओर से मंगलवार को उम्मीदवार की घोषणा के बाद चुनावी तस्वीर और स्पष्ट हो जाएगी। विपक्ष की ओर से भी उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार है,जिससे इस चुनाव में होने वाले मुकाबले का अंदाजा लगाया जा सकेगा। फिलहाल,सभी की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के फैसले पर टिकी हुई हैं,जो आने वाले हफ्तों में न केवल संसद भवन के ऊपरी सदन के नेतृत्व को तय करेगा,बल्कि यह भी संकेत देगा कि भाजपा आगामी राजनीतिक समीकरणों को किस दिशा में ले जाना चाहती है।