संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी ) (तस्वीर क्रेडिट@Quantum_akr)

सूडान में बढ़ती हिंसा पर यूएनएससी की गहरी चिंता: अल फशर में रैपिड सपोर्ट फोर्सेस के हमलों की कड़ी निंदा

संयुक्त राष्ट्र,31 अक्टूबर (युआईटीवी)- सूडान में पिछले कई महीनों से जारी खूनी संघर्ष ने देश को गहरे मानवीय संकट में धकेल दिया है। गृहयुद्ध की विभीषिका झेल रहे इस अफ्रीकी देश में लाखों लोग भुखमरी,विस्थापन और हिंसा के शिकार हो चुके हैं। अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उत्तरी दारफुर राज्य के अल फशर क्षेत्र में बढ़ती हिंसा की कड़ी निंदा की है।

न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार,गुरुवार को जारी एक बयान में यूएनएससी के सदस्यों ने रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (आरएसएफ) द्वारा अल फशर और आसपास के इलाकों में किए गए हमलों की निंदा की। परिषद ने कहा कि इन हमलों का नागरिक आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। कई निर्दोष लोग मारे गए हैं,हजारों को अपने घर छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा है और स्थानीय समुदाय भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को विवश हैं।

यूएनएससी ने अपने बयान में कहा कि आरएसएफ द्वारा किए जा रहे अत्याचारों,विशेष रूप से जातीय आधार पर प्रेरित हिंसा,गंभीर चिंता का विषय है। परिषद ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया,तो यह व्यापक जनसंहार या बड़े पैमाने पर अत्याचारों में बदल सकती है। यूएनएससी के अनुसार, “दारफुर क्षेत्र में जो घटनाएँ हो रही हैं,वे मानवीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन हैं और इनकी अंतर्राष्ट्रीय जाँच आवश्यक है।”

संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से आग्रह किया है कि वे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और मानवाधिकार कानूनों के तहत अपने दायित्वों का पालन करें। परिषद ने यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए और मानवीय सहायता एजेंसियों को बिना किसी रुकावट के प्रभावित इलाकों में पहुँचने दिया जाए। वर्तमान स्थिति में राहत सामग्री की आपूर्ति बाधित हो रही है,जिससे लाखों लोगों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है।

गौरतलब है कि सूडान में पिछले वर्ष अप्रैल से सेना और अर्धसैनिक संगठन आरएसएफ के बीच संघर्ष छिड़ा हुआ है। राजधानी खार्तूम से लेकर दारफुर तक यह लड़ाई फैल चुकी है। आरएसएफ और सेना,दोनों ही एक-दूसरे पर नागरिकों के खिलाफ अत्याचार करने के आरोप लगा रहे हैं। इस संघर्ष में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 80 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।

यूएनएससी ने अपने बयान में कहा कि प्राथमिकता अब इस बात की है कि सभी पक्ष तत्काल युद्धविराम पर सहमत हों और सूडान के स्वामित्व वाली एक समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाएँ। परिषद ने जोर दिया कि किसी भी स्थायी समाधान के लिए सभी गुटों,जनजातियों और नागरिक समाज संगठनों की भागीदारी आवश्यक है। यूएनएससी ने कहा, “शांति केवल तभी संभव है,जब यह सूडानी जनता की इच्छा और नेतृत्व से प्रेरित हो,न कि बाहरी दबावों या हितों से।”

परिषद ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे सूडान में किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप से बचें। यूएनएससी ने कहा कि बाहरी शक्तियों द्वारा दिए जा रहे हथियार,धन या सैन्य समर्थन इस संघर्ष को और लंबा खींच रहे हैं तथा देश को और अधिक अस्थिर बना रहे हैं। परिषद ने सभी देशों से आग्रह किया कि वे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करें और स्थायी शांति के प्रयासों में सहयोग करें।

यूएनएससी के सदस्यों ने सूडान की संप्रभुता,स्वतंत्रता,एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा परिषद किसी भी ऐसे प्रयास को अस्वीकार करती है,जो सूडान के भीतर समानांतर शासन प्रणाली या अलग प्रशासनिक प्राधिकरण स्थापित करने की कोशिश करता हो। विशेष रूप से आरएसएफ द्वारा अपने नियंत्रित क्षेत्रों में समानांतर सरकार स्थापित करने के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अस्वीकार किया है।

अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि अल फशर की स्थिति बेहद नाजुक है। यह शहर न केवल उत्तरी दारफुर का प्रमुख प्रशासनिक केंद्र है,बल्कि मानवीय सहायता के वितरण के लिए भी एक अहम मार्ग है। अगर आरएसएफ इस क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लेता है,तो पूरे पश्चिमी सूडान में राहत कार्य पूरी तरह ठप हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यदि हिंसा नहीं रुकी,तो अगले कुछ हफ्तों में लाखों लोगों के भूख और बीमारी से मरने का खतरा बढ़ जाएगा।

वहीं,स्थानीय नागरिकों ने बताया कि लगातार हवाई हमलों,गोलीबारी और लूटपाट ने जनजीवन को बर्बाद कर दिया है। सैकड़ों गाँव जलकर खाक हो गए हैं और अस्पतालों में घायल लोगों की भरमार है। कई मानवीय संगठन सुरक्षा कारणों से अपने कर्मचारी वापस बुला चुके हैं,जिससे राहत कार्यों में और बाधा आ रही है।

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी सूडान की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “इस युद्ध का कोई सैन्य समाधान नहीं है।” उन्होंने सभी पक्षों से आग्रह किया कि वे तत्काल संघर्षविराम करें और शांति वार्ता की मेज पर लौटें। गुटेरेस ने कहा कि सूडान में जो हो रहा है,वह केवल एक राजनीतिक संकट नहीं,बल्कि एक मानवीय त्रासदी है।

सूडान में जारी यह संघर्ष अफ्रीका के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर यह युद्ध यूँ ही जारी रहा,तो यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। यूएनएससी के नवीनतम बयान ने इस संकट की गंभीरता को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अब यह देखना होगा कि क्या वैश्विक दबाव और कूटनीतिक प्रयास सूडान में शांति बहाल करने में सफल हो पाते हैं या देश एक और लंबे गृहयुद्ध के दौर में फँस जाता है।