अमेरिका के लॉस एंजिल्स शहर प्रदर्शन (तस्वीर क्रेडिट@nypost)

लॉस एंजिल्स में हिंसक प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए करीब 700 अमेरिकी मरीन तैनात किए जाएँगे

लॉस एंजिल्स,10 जून (युआईटीवी)- पिछले चार दिनों से अमेरिका के लॉस एंजिल्स शहर में लगातार हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। ये प्रदर्शन इमिग्रेशन रेड्स के खिलाफ शुरू हुए थे,लेकिन धीरे-धीरे हिंसा और तोड़फोड़ में तब्दील हो गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सैन्य कार्रवाई का आदेश दिया है,जिसके तहत नेशनल गार्ड के साथ-साथ अब मरीन कॉर्प्स की भी तैनाती की जा रही है।

ट्वेंटीनाइन पाम्स, कैलिफोर्निया स्थित यूएस मरीन कॉर्प्स के एयर ग्राउंड कॉम्बैट सेंटर से “सेकेंड बटालियन,सेवंथ मरीन (2/7)” को लॉस एंजिल्स भेजा गया है। यह एक लाइट इन्फैंट्री बटालियन है,जिसे विशेष रूप से तीव्र गति से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इन मरीन सैनिकों को लॉस एंजिल्स में उन नेशनल गार्ड सैनिकों के साथ मिलकर काम करना है,जिन्हें ट्रंप ने सप्ताहांत में ही वहाँ तैनात किया था,वह भी बिना राज्य के गवर्नर या स्थानीय प्रशासन की सहमति के।

यह तैनाती एक संवैधानिक बहस को भी जन्म देती है। अमेरिकी संविधान के तहत, आमतौर पर संघीय बलों को किसी राज्य में तैनात करने से पहले वहाँ के गवर्नर या स्थानीय प्रशासन की सहमति आवश्यक होती है,लेकिन ट्रंप ने “फेडरल पावर” का उपयोग करते हुए गवर्नर गेविन न्यूजॉम और लॉस एंजिल्स के मेयर की सहमति के बिना ही यह कदम उठाया। यह एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है,क्योंकि इससे संघीय और राज्य शक्तियों के बीच टकराव का खतरा बढ़ गया है।

हालाँकि,मरीन सैनिकों को सीधे कानून प्रवर्तन जैसे गिरफ्तारी या भीड़ नियंत्रण में भाग लेने से रोका गया है,लेकिन यदि राष्ट्रपति “इंसरेक्शन एक्ट” (विद्रोह अधिनियम) लागू करते हैं,तो यह बदल सकता है। इस अधिनियम के तहत राष्ट्रपति को अधिकार मिलता है कि वह घरेलू विद्रोह या बगावत को नियंत्रित करने के लिए सेना का इस्तेमाल कर सके। अभी तक ट्रंप ने इस अधिनियम को औपचारिक रूप से लागू नहीं किया है,लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए इसकी संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

मरीन सैनिकों को मुख्यतः फेडरल प्रॉपर्टी (संघीय संपत्तियों) और फेडरल कर्मियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ‘एनबीसी न्यूज’ के अनुसार, इन सैनिकों को विशेष रूप से सरकारी भवनों,कोर्टहाउस और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों की रक्षा के लिए उपयोग में लाया जाएगा। ‘एबीसी न्यूज’ ने बताया है कि मरीन अगले 24 घंटों के भीतर शहर में पहुँच जाएँगे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लॉस एंजिल्स में फैली अराजकता और हिंसा के जवाब में तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने शनिवार को दो हजार से अधिक नेशनल गार्ड सैनिकों को तैनात कर दिया। रविवार की सुबह तक 300 से अधिक नेशनल गार्ड जवान शहर में पहुँच चुके थे,लेकिन रविवार को ही एक बड़ी झड़प देखने को मिली,जब एक हजार से अधिक प्रदर्शनकारियों ने गार्ड सैनिकों से सीधी भिड़ंत कर ली।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इमिग्रेशन रेड्स मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं और सरकार जानबूझकर प्रवासियों को डराने की रणनीति अपना रही है। इस बीच ट्रंप ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक भाषणों के जरिए नेशनल गार्ड की “साहसिक” कार्रवाई की सराहना की है और उन्हें “देशभक्त” बताया है।

लॉस एंजिल्स में जारी हिंसा और उस पर केंद्र सरकार की जवाबी कार्रवाई अमेरिका में संघीय बनाम राज्य अधिकारों की बहस को फिर से जीवित कर रही है। ट्रंप प्रशासन की मंशा साफ है कि वे किसी भी हाल में कानून व्यवस्था बहाल करना चाहते हैं,चाहे इसके लिए संविधानिक सीमाओं को भी लांघना पड़े। दूसरी ओर प्रदर्शनकारी नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर हैं।

इस संकट की घड़ी में मरीन और नेशनल गार्ड की तैनाती अस्थायी राहत दे सकती है,लेकिन अगर राष्ट्रपति ने इंसरेक्शन एक्ट लागू कर दिया,तो यह देश को एक बड़े संवैधानिक और लोकतांत्रिक संकट की ओर धकेल सकता है। लॉस एंजिल्स की सड़कों पर चल रही यह लड़ाई सिर्फ एक शहर की नहीं,बल्कि पूरे अमेरिका की लोकतांत्रिक आत्मा की परीक्षा है।