व्लादिवोस्तोक,6 सितंबर (युआईटीवी)- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के भारत के प्रयासों के लिए भारत की तारीफ की है। गुरुवार को पुतिन ने यूक्रेन के नेता को “एलियंस” जैसा बताते हुए कहा कि वे लोगों की पीड़ा की परवाह किए बिना क्रूर फैसला लेते हैं। उन्होंने संघर्ष को हल करने में सहयोग देने के लिए भारत जैसे मित्रों और साझेदारों की सराहना की।
आरटी के रिपोर्ट के मुताबिक,उन्होंने पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) के पूर्ण अधिवेशन में कहा कि,कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यूक्रेन पर शासन करने वाले लोग एलियंस या विदेशियों की तरह हैं। उनका नुकसान बहुत बड़ा है,वे इस बारे में नहीं सोचते हैं। आगे वे क्या करेंगे यह भी मैं नहीं समझ सकता।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीती बातों को याद दिलाते हुए कहा कि संघर्ष के शुरू होने के तुरंत बाद इस्तांबुल वार्ता हुआ था,जहाँ हमारा देश और यूक्रेन एक शांति समझौते पर पहुँच गए थे,लेकिन यह शांति समझौते सफल नहीं हो पाया। उन्होंने इन प्रयासों को पटरी से उतारने का आरोप पश्चिमी शक्तियों पर लगाया। उनके अनुसार पश्चिमी शक्तियों के प्रयासों के कारण दोनों देशों के मध्य शांति समझौता नहीं हो पाया और अभी भी यह युद्ध जारी है।
आगे उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में यूक्रेन के व्यवहार पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि कीव ने सेना में भर्ती के लिए एक बार फिर से अधिकतम आयु को कम करने का विकल्प रखा और उनके ऐसा करने से बच्चों को सेना में भर्ती करने की अनुमति मिलेगी। जर्मन नाज़ियों ने ऐसा ही हिटलर यूथ के साथ किया था। उन्होंने यह बात इस संदर्भ में कही कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में जब मित्र राष्ट्र जर्मन क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे,तब एडोल्फ हिटलर के शासन ने किशोरों को अस्थायी मिलिशिया में शामिल होने के लिए मजबूर किया था। पुतिन ने कहा कि लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं होगा। यदि यूक्रेन के अगले कदम की बात करें तो वह सेना में छात्रों को भर्ती करेगा,लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं है,बल्कि इससे यूक्रेन बर्बादी की तरफ बढ़ेगा।
यूक्रेन के इस कदम से ऐसा लगता है कि वास्तव में वे देश के बारे में नहीं सोचते हैं। इसे वे राष्ट्रवादी नारों से ढँक देते हैं और लोगों को अँधेरा में रखकर उन्हें धोखा दे रहे हैं। रूस के साथ संघर्ष के शुरू होने के बाद यूक्रेन ने सैन्य नुकसान की भरपाई के लिए सेना में भर्ती हेतु दो विधेयक पारित किए। इनमें से एक मसौदा तैयार करने की आयु 27 वर्ष से कम कर 25 वर्ष करना था,जबकि दूसरा लामबंदी नियमों को काफी सख्त करना था।
रूसी नेता ने यह भी कहा कि यूक्रेनी सेना को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसपैठ के बाद से भारी क्षति हुई,जिसके कारण उसकी सशस्त्र सेनाएँ बेकार हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि पिछले महीने यूक्रेन के ओर से सीमा पार रूसी प्रगति को बाधित करने के मकसद से बड़े पैमाने पर हमला किया गया था,जो विफल हो गया।
आरटी के मुताबिक,पुतिन ने कहा कि,स्थिति को हमारी सेना ने अपने नियंत्रण में कर लिया है और अब सीमावर्ती क्षेत्रों से हमारी सेना धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को खदेड़ रही है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि डोनबास में हमारी प्रगति का कोई विरोध नहीं है। प्रतिद्वंद्वी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपेक्षाकृत मजबूत और अच्छी तरह से प्रशिक्षित इकाइयों को ले जाकर प्रमुख धुरी पर खुद को कमजोर कर लिया है।
यूक्रेन को उम्मीद थी कि मॉस्को फिर से अपनी कुछ सेनाओं को पूर्व से उत्तर में तैनात करेगा,ताकि घुसपैठ को रोका जा सके,लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यूक्रेन द्वारा किया गया यह दावा विफल हो गया। इसे हाल ही में शीर्ष यूक्रेनी जनरल अलेक्जेंडर सिर्स्की ने स्वीकार किया था। पुतिन ने कहा कि डोनबास में रूसी सैनिक आगे की ओर बढ़ रही हैं और मॉस्को की यही प्राथमिकता है।
इस बीच,यूक्रेनी सैनिकों को बहुत अधिक सैन्य नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हताहतों की संख्या में वृद्धि हो रही है है,जिसके कारण यूक्रेन के सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता में कमी आ सकती है।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने अनुमान लगाते हुए बताया कि यूक्रेन के 9,700 से अधिक लोगों के रूस के कुर्स्क क्षेत्र में हताहत होने की सूचना है। कुर्स्क में यूक्रेन के 81 टैंक, भारी हथियार,दर्जनों अन्य बख्तरबंद वाहन इत्यादि भी नष्ट हुए हैं।

