चिराग पासवान

दो राज्यों की मतदाता सूची में नाम आने पर प्रशांत किशोर पर सियासत गरमाई,चिराग पासवान बोले – ‘शीशे के घर में रहने वाले दूसरों पर पत्थर न फेंकें’

पटना,29 अक्टूबर (युआईटीवी)- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर एक नई राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गए हैं। उनके नाम के दो अलग-अलग राज्यों की मतदाता सूचियों में पाए जाने की खबर सामने आने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस मामले पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जो दूसरों की कथित पोल खोलने की बात करते हैं,वे खुद दोहरे मतदाता पंजीकरण के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

मामला तब सामने आया जब चुनाव आयोग की मतदाता सूची की जाँच में यह पता चला कि प्रशांत किशोर का नाम न केवल बिहार,बल्कि पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में भी शामिल है। पश्चिम बंगाल में वे कोलकाता पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की भवानीपुर विधानसभा सीट के मतदाता के रूप में दर्ज हैं। चुनाव आयोग के दस्तावेजों के अनुसार,उनका एपिक नंबर ‘IUI0686683’ है और उनका नाम सीरियल नंबर 621 पर दर्ज है। उनका मतदान केंद्र सेंट हेलेन स्कूल, 21बी रानीशंकरी लेन, आर-1 के रूप में सूचीबद्ध है। वहीं बिहार में उनका नाम सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत करगहर विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है, जहाँ उनका मतदान केंद्र रोहतास जिले के कोनार स्थित मध्य विद्यालय है। कोनार उनका पैतृक गाँव भी है।

इस खुलासे के बाद बिहार की सियासत में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “जब आपके पास खुद दो मतदाता पहचान पत्र हैं,तो आप दूसरों पर सवाल कैसे उठा सकते हैं? जो व्यक्ति खुद कानून का पालन नहीं करता,वह दूसरों को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ा सकता। जब खुद के घर शीशे के हों,तो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं मारना चाहिए।”

चिराग पासवान ने आगे कहा कि यह मामला गंभीर है और चुनाव आयोग को इसकी जाँच करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरूरी है कि हर नागरिक एक ही राज्य में मतदाता के रूप में पंजीकृत हो। अगर कोई व्यक्ति दो जगह से वोट देने की योग्यता रखता है,तो यह निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

इस विवाद के बीच प्रशांत किशोर की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालाँकि,उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि यह महज प्रशासनिक गलती हो सकती है और वे चुनाव आयोग से जल्द ही इस मामले को स्पष्ट करेंगे। प्रशांत किशोर,जो पहले चुनावी रणनीतिकार के रूप में विभिन्न पार्टियों के लिए काम कर चुके हैं,अब जन सुराज पार्टी के माध्यम से सक्रिय राजनीति में हैं और बिहार चुनाव में अपनी पार्टी को मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश में जुटे हैं।

इधर,चिराग पासवान ने इस मौके पर चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर यानी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दूसरे चरण की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह कदम बेहद आवश्यक था और इससे चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। उनके अनुसार, “हम लोग पहले से ही एसआईआर के पक्ष में थे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी व्यक्ति फर्जी तरीके से दो राज्यों की मतदाता सूची में दर्ज न हो सके। बिहार में भी इससे काफी फायदा हो रहा है और कई विसंगतियों को ठीक किया जा सका है।”

चिराग ने यह भी कहा कि विपक्ष अक्सर मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता रहा है,इसलिए जरूरी है कि ऐसी समीक्षा हर राज्य में की जाए। उन्होंने कहा, “एसआईआर लागू होने से दूसरे राज्यों के लोग किसी और जगह फर्जी वोट नहीं दे सकेंगे। इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था और मजबूत होगी।”

बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर का उभार पहले से ही कई दलों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। वे पिछले कुछ महीनों से ‘जन सुराज यात्रा’ के ज़रिए राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं और जनता के मुद्दों को उठाकर अपने संगठन को विस्तार दे रहे हैं। उनके खिलाफ उठी यह नई विवाद की लहर आगामी विधानसभा चुनाव के समीकरणों पर असर डाल सकती है।

वहीं,चिराग पासवान ने राहुल गांधी,अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को ‘जननायक’ कहे जाने पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “आजकल कुछ नेता खुद को जननायक बताने में लगे हैं,लेकिन लोगों को समझना चाहिए कि कोई व्यक्ति नाम से नहीं,बल्कि अपने काम से जननायक बनता है। जो नेता जनता की सेवा और विकास के काम से जुड़ते हैं,वही सच्चे मायनों में जननायक कहलाते हैं। अपने नाम के आगे ‘जननायक’ जोड़ लेना अहंकार का प्रतीक है।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर से जुड़ा यह विवाद बिहार चुनाव से पहले विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। क्योंकि प्रशांत किशोर ने खुद को एक वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया है। अब यदि चुनाव आयोग की जाँच में दोहरे मतदाता पंजीकरण की पुष्टि होती है,तो यह उनकी छवि के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

फिलहाल,चुनाव आयोग ने इस प्रकरण की जाँच की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी भी व्यक्ति का नाम दो स्थानों पर पाया जाता है,तो एक स्थान से नाम हटाया जाएगा और संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँगा जाएगा।

इस बीच,बिहार की सियासत में यह मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ही इस बहाने एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या निर्णय लेता है और प्रशांत किशोर इस विवाद का क्या जवाब देते हैं।