कोलकाता,16 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में आगामी 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के अंतर्गत ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार,यह ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल मंगलवार को प्रकाशित किया गया,जिसके बाद राज्य के लाखों मतदाताओं को अपने नाम,विवरण और अन्य जानकारियों की जांच करने का अवसर मिल गया है। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक,पारदर्शी और अद्यतन बनाना है,ताकि कोई भी पात्र नागरिक अपने मताधिकार से वंचित न रह जाए।
निर्वाचन आयोग ने ड्राफ्ट मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियाँ दर्ज कराने के लिए 16 दिसंबर से 15 जनवरी 2026 तक का समय निर्धारित किया है। इस अवधि के दौरान यदि किसी मतदाता का नाम सूची में शामिल नहीं है,गलत तरीके से दर्ज है,किसी अन्य मतदाता का नाम गलत पते पर दर्ज हो गया है या किसी मृत व्यक्ति का नाम अब भी सूची में मौजूद है,तो संबंधित नागरिक या मतदाता आवश्यक आवेदन कर सकता है। आयोग का कहना है कि यह चरण लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है,क्योंकि सही और त्रुटिरहित मतदाता सूची ही निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद होती है।
ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद नोटिस,सुनवाई और सत्यापन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी,जो 16 दिसंबर से 7 फरवरी 2026 तक चलेगी। इस दौरान निर्वाचन अधिकारी प्राप्त दावों और आपत्तियों की जाँच करेंगे,आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन करेंगे और संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर देंगे। आयोग ने भरोसा दिलाया है कि सभी मामलों का निपटारा समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से किया जाएगा। इसके बाद 14 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी,जो आगामी चुनावों के लिए मान्य होगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने राज्य के सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस प्रक्रिया को गंभीरता से लें और समय रहते ड्राफ्ट मतदाता सूची में अपना नाम जरूर जाँचें। आयोग के अनुसार,मतदाता अपने नाम की जाँच कई माध्यमों से कर सकते हैं। बूथ लेवल ऑफिसर के पास उपलब्ध मतदाता सूची के अलावा ईसीआईनेट मोबाइल ऐप,भारत निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट,सीईओ पश्चिम बंगाल की वेबसाइट और जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट के जरिए भी नाम देखा जा सकता है। डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल से नागरिकों को घर बैठे यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है, ताकि उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो।
यदि किसी पात्र नागरिक का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल नहीं है,तो उसे फॉर्म-6 भरकर आवेदन करना होगा। इसके साथ आवश्यक दस्तावेज और एनेक्सचर-4 संलग्न करना अनिवार्य होगा,जिससे उसकी पात्रता की पुष्टि की जा सके। यह आवेदन ऑनलाइन माध्यम से या सीधे बूथ लेवल ऑफिसर के जरिए जमा किया जा सकता है। निर्वाचन आयोग का कहना है कि युवाओं,विशेषकर पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं को इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए,ताकि वे समय पर मतदाता सूची में शामिल हो सकें।
वहीं, विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं। ऐसे मतदाता फॉर्म-6ए के माध्यम से अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इसके अलावा,यदि किसी मतदाता को लगता है कि मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का नाम गलत तरीके से शामिल है या किसी कारणवश हटाया जाना चाहिए,तो उसके लिए फॉर्म-7 के जरिए नाम हटाने का आवेदन किया जा सकता है। विवरण में सुधार,जैसे नाम की वर्तनी,पता,आयु या अन्य जानकारियों में संशोधन के लिए फॉर्म-8 का प्रावधान भी किया गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी पश्चिम बंगाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के माध्यम से भी नागरिकों से अपील की है कि वे इस अवसर को हाथ से न जाने दें। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में नाम दर्ज होना न केवल एक अधिकार है,बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी भी है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की जानकारी या सहायता के लिए नागरिक टोल फ्री वोटर हेल्पलाइन नंबर 1950 पर संपर्क कर सकते हैं,जहाँ उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग का मानना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया से मतदाता सूची में मौजूद त्रुटियों को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा। इससे फर्जी,दोहरे या अपात्र नामों को हटाने में मदद मिलेगी और पात्र नागरिकों को समय पर सूची में शामिल किया जा सकेगा। पश्चिम बंगाल जैसे बड़े और विविध राज्य में यह प्रक्रिया और भी महत्वपूर्ण हो जाती है,जहाँ मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है।
आयोग ने सभी राजनीतिक दलों,सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज से भी सहयोग की अपील की है,ताकि मतदाता जागरूकता बढ़ाई जा सके और अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया में भाग लें। निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि मतदाता सूची पूरी तरह सही और अद्यतन हो। इसी उद्देश्य के साथ निर्वाचन आयोग ने यह विशेष पहल शुरू की है,जो आने वाले चुनावों की तैयारी में एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकती है।
