कोलकाता,13 अक्टूबर (युआईटीवी)- पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ हुए कथित गैंगरेप के मामले ने पूरे राज्य में गुस्सा और तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। यह घटना न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है,बल्कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान ने सियासी तूफान को और भी तेज कर दिया है। एक तरफ विपक्षी दल बीजेपी इस घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर तीखा हमला बोल रही है,वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया पर अपने बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है।
दुर्गापुर में हुई यह घटना पश्चिम बंगाल की सियासत में नया विवाद लेकर आई है। बताया जा रहा है कि पीड़िता एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी और कॉलेज परिसर से बाहर आने के बाद उसके साथ गैंगरेप किया गया। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया है,लेकिन इस घटना के बाद जनता और विपक्ष दोनों ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि “वह स्टूडेंट रात साढ़े 12 बजे क्यों बाहर निकली थी?” उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना एक जंगल क्षेत्र में हुई है और सवाल उठाया कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की जिम्मेदारी किसकी है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष ने उन्हें महिलाओं के प्रति असंवेदनशील ठहराया और उन पर “पीड़िता को ही दोष देने” का आरोप लगाया।
बीजेपी ने सीएम ममता बनर्जी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि “ममता बनर्जी नारीत्व पर एक धब्बा हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और संदेशखाली की घटनाओं के बाद अब यह नया मामला ममता सरकार की नाकामी को उजागर करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री न्याय दिलाने की जगह पीड़िता पर ही सवाल उठा रही हैं,जो बेहद शर्मनाक है।
इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि “क्या मुख्यमंत्री चाहती हैं कि सभी महिलाएँ बुर्का पहनें और घर पर रहें?” उन्होंने याद दिलाया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भी इसी तरह की घटना के बाद राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था,जिसमें कहा गया था कि प्राइवेट कंपनियाँ महिलाओं को रात की शिफ्ट में कम काम दें। उन्होंने कहा कि यह सोच महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता के खिलाफ है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की सदस्य अर्चना मजूमदार ने भी ममता बनर्जी की टिप्पणी को ‘बेतुका’ और ‘असंवेदनशील’ बताया। उन्होंने कहा कि “हम यह कैसे कह सकते हैं कि लड़कियों को रात में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। महिलाएँ आज हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर रही हैं—चाहे वह अस्पताल हो,आईटी सेक्टर हो या सेना।” उन्होंने आगे कहा कि “आज भारतीय महिलाएँ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत रही हैं,अंतरिक्ष में जा रही हैं और मुख्यमंत्री का यह कहना कि लड़कियाँ रात में बाहर न निकलें,बेहद निराशाजनक है।”
एनसीडब्ल्यू की सदस्य ने ममता बनर्जी को याद दिलाया कि मुख्यमंत्री के रूप में उनकी जिम्मेदारी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है,न कि उनके अधिकारों पर सवाल उठाना। उन्होंने कहा कि “महिलाओं को सुरक्षा देना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है,न कि उन्हें डराकर घरों में बंद रखना।”
बीजेपी की महिला नेता और पश्चिम बंगाल की सचिव प्रियंका टिबरेवाल ने भी ममता बनर्जी पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री एक बार फिर पीड़िता को शर्मिंदा करने की कोशिश कर रही हैं। अपराधियों को पकड़ने के बजाय वह लड़की से पूछ रही हैं कि वह हॉस्टल से बाहर क्यों निकली।” उन्होंने ममता बनर्जी के बयान को ‘असंवेदनशील’ बताते हुए कहा कि यह महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है।
बीजेपी सांसद शंकर लालवानी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। सरकार के स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।” उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक अपराध नहीं बल्कि प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है।
राज्य में बढ़ते विरोध और आलोचना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। ममता ने कहा, “आप मुझसे सवाल पूछते हैं,मैं जवाब देती हूँ,लेकिन फिर आप मेरे शब्दों को गलत तरीके से दिखाते हैं। इस तरह की राजनीति न करें।” उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कभी भी महिलाओं को दोष नहीं दिया,बल्कि यह कहा था कि समाज के सभी हिस्सों को मिलकर सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।
हालाँकि,विपक्ष का कहना है कि ममता बनर्जी अब सफाई देकर अपने बयान से पलटने की कोशिश कर रही हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री को यह समझना चाहिए कि जब राज्य की प्रमुख महिला नेता इस तरह के बयान देती हैं,तो समाज में एक गलत संदेश जाता है।
इस बीच,टीएमसी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह इस संवेदनशील मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहा कि “बीजेपी इस मुद्दे को महिलाओं के हित के बजाय अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है।” टीएमसी ने दावा किया कि राज्य पुलिस तेजी से कार्रवाई कर रही है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
दुर्गापुर की यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं रही,बल्कि यह महिलाओं की सुरक्षा,स्वतंत्रता और संवेदनशीलता पर देशव्यापी बहस का कारण बन गई है। एक ओर समाज यह सवाल कर रहा है कि क्या महिलाओं की सुरक्षा के लिए रात का समय मायने रखता है और दूसरी ओर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं।
ममता बनर्जी के बयान ने उस बहस को फिर से जगा दिया है,जो हर बार महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर उठती है—क्या महिलाओं की सुरक्षा का मतलब उन्हें घर में बंद रखना है या समाज को इस हद तक सुरक्षित बनाना कि कोई भी लड़की, किसी भी समय,कहीं भी बिना डर के जा सके?
इस घटना के बाद जनता और विपक्ष दोनों का यही कहना है कि ममता सरकार को बयानबाजी छोड़कर कड़ी कार्रवाई और ठोस नीतियाँ बनानी चाहिए,ताकि पश्चिम बंगाल की महिलाओं को वास्तव में सुरक्षित महसूस हो सके। फिलहाल पुलिस जाँच जारी है और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है,लेकिन इस घटना ने राज्य की सियासत में जिस तरह का भूचाल मचाया है,वह यह बताने के लिए काफी है कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
