टोक्यो,19 सितंबर (युआईटीवी)- टोक्यो ओलंपिक और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन करने वाले स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा इस बार अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे। जापान नेशनल स्टेडियम में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 के फाइनल में उनसे देश को बहुत बड़ी उम्मीदें थीं,लेकिन उनका प्रदर्शन अपेक्षा से बेहद कमजोर रहा। नीरज केवल 84.03 मीटर की दूरी तक ही भाला फेंक पाए और आठवें स्थान पर संतोष करना पड़ा। यह न केवल उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 90.23 मीटर से काफी कम था,बल्कि उनके स्वर्ण पदक बचाने के अभियान को भी धराशायी कर गया।
नीरज का यह प्रदर्शन इसलिए भी निराशाजनक कहा जा रहा है क्योंकि उन्होंने बीते दो वर्षों में भारतीय खेलों की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया था। 2023 में बेलग्रेड में विश्व चैंपियनशिप का स्वर्ण जीतने के बाद वे लगातार चर्चा में बने रहे। उनके थ्रो की सटीकता और ताकत ने उन्हें न केवल भारत का,बल्कि दुनिया का सबसे सफल भाला फेंक खिलाड़ी बना दिया था,लेकिन इस बार उनकी लय और आत्मविश्वास दोनों ही कहीं खोए हुए नजर आए। पहले प्रयास में उन्होंने 83.65 मीटर तक भाला फेंका,लेकिन उसके बाद केवल दूसरे थ्रो में ही थोड़ा सुधार दिखा,जब उन्होंने 84.03 मीटर तक का प्रयास किया। तीसरे और पाँचवें थ्रो में फाउल कर बैठे और बाकी प्रयासों में वापसी नहीं कर पाए।
भारत के लिए यह निराशा का पल था,लेकिन उसी के साथ एक नई उम्मीद का चेहरा भी सामने आया। 25 वर्षीय सचिन यादव ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 86.27 मीटर का थ्रो किया और चौथे स्थान पर रहे। भले ही वह कांस्य पदक से महज 40 सेंटीमीटर से चूक गए,लेकिन उनके प्रदर्शन ने भविष्य की उम्मीदें जगाई हैं। नीरज चोपड़ा से बेहतर थ्रो करने वाले सचिन ने यह साबित कर दिया कि भारत में जैवलिन थ्रो का भविष्य केवल एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं है। सचिन का पहला थ्रो ही बेहतरीन रहा और उन्होंने शुरुआत में ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। हालाँकि,बाद के प्रयासों में वह स्थिरता नहीं ला सके और पदक से बाहर हो गए,लेकिन चौथा स्थान भी अपने आप में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
Sachin Yadav shines with his personal best of 86.27m at the World Athletics Championships 2025!
And while it wasn’t Neeraj Chopra’s best outing, champions are never defined by a single performance.
We look forward to many more golden throws ahead & the day when both these… pic.twitter.com/ohzg9wtrEA
— SAI Media (@Media_SAI) September 18, 2025
इस प्रतियोगिता में सबसे बड़ा उलटफेर त्रिनिदाद और टोबैगो के केशोर्न वाल्कोट ने किया। 2012 लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले वाल्कोट ने 13 साल बाद फिर से अपनी चमक बिखेरी और 88.16 मीटर के सीजन के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। उनका यह प्रदर्शन दर्शाता है कि अनुभव और मेहनत किसी भी उम्र में खिलाड़ी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं।
ग्रेनाडा के दो बार के विश्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स ने 87.38 मीटर का थ्रो कर रजत पदक जीता। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका के कर्टिस थॉम्पसन ने 88.67 मीटर का शानदार प्रयास करते हुए कांस्य पदक हासिल किया। खास बात यह रही कि यह अमेरिका का पिछले 18 वर्षों में भाला फेंक में पहला विश्व चैंपियनशिप पदक था। थॉम्पसन के इस प्रदर्शन ने अमेरिकी दर्शकों को भी गदगद कर दिया और देश के एथलेटिक्स इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया।
प्रतियोगिता की शुरुआत से ही यह साफ हो गया था कि नतीजे अप्रत्याशित होंगे। तीन बड़े दावेदार – जर्मनी के जूलियन वेबर,भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम सभी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से दूर रहे। जूलियन वेबर,जिन्होंने इस सीजन में 91.51 मीटर का थ्रो किया था,फाइनल में केवल 85.54 मीटर तक ही पहुँच पाए और छठे स्थान पर रहे। पाकिस्तान के अरशद नदीम,जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में 92.97 मीटर का ऐतिहासिक थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता था,इस बार पूरी तरह फ्लॉप रहे। वह केवल 82.75 मीटर का थ्रो कर पाए और 10वें स्थान पर सिमट गए।
ये सचिन यादव हैं, नीरज चोपड़ा के बाद दूसरा सबसे बड़ा नाम…! ❤️
उत्तर प्रदेश के बागपत के पास खेकड़ा गांव के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सचिन यादव ने पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्हें नीरज के बाद पुरुषों की भाला फेंक में अगला बड़ा नाम माना जा रहा है।… pic.twitter.com/eI9mppixMJ
— Vivek mishra 007 (@007vivekmishra) September 18, 2025
पहले ही राउंड से प्रतिस्पर्धा की तस्वीर बदलने लगी थी। जहाँ बड़े खिलाड़ी लगातार दबाव में दिखाई दिए,वहीं युवा और नए चेहरे लगातार बेहतर कर रहे थे। नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम,जिन पर दर्शकों की निगाहें टिकी थीं,दोनों ही कट ऑफ से बचने के लिए संघर्ष करते रहे। नीरज दूसरे राउंड के बाद आठवें स्थान पर खिसक गए,जबकि नदीम 11वें स्थान पर पहुँच गए। हालाँकि,नदीम चेक गणराज्य के जैकब वडलेज और ऑस्ट्रेलिया के कैमरन मैकएंटायर के बाहर होने के कारण पहले कट से बच गए,लेकिन अगले ही प्रयास में फाउल कर बाहर हो गए।
भारत के लिए यह प्रतियोगिता भले ही नीरज के कारण निराशाजनक रही हो,लेकिन सचिन यादव ने वह कर दिखाया,जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। उनके चौथे स्थान ने यह संदेश दिया है कि भारतीय भाला फेंक अब केवल नीरज तक सीमित नहीं है। सचिन के प्रदर्शन ने कोचों और खेल विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और माना जा रहा है कि यदि उन्हें सही मार्गदर्शन और तैयारी मिलती रही,तो आने वाले वर्षों में वे बड़े खिताब जीत सकते हैं।
नीरज चोपड़ा का इस तरह जल्दी बाहर होना निश्चित रूप से प्रशंसकों और खेल प्रेमियों के लिए निराशाजनक है। वे 2021 से लेकर 2024 तक लगातार दुनिया के शीर्ष थ्रोअर बने रहे। टोक्यो ओलंपिक का स्वर्ण,विश्व चैंपियनशिप का स्वर्ण और रजत पदक उनके करियर की बड़ी उपलब्धियाँ रही हैं,लेकिन हर खिलाड़ी के करियर में उतार-चढ़ाव आते हैं। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि नीरज को अपनी तकनीक और मानसिक मजबूती पर फिर से काम करने की जरूरत है,ताकि वे अगले टूर्नामेंट्स में वापसी कर सकें।
भारत में भाला फेंक का यह सफर अब केवल नीरज पर निर्भर नहीं रहा। सचिन यादव जैसे नए खिलाड़ियों का उभरना इस खेल के लिए शुभ संकेत है। नीरज और सचिन की जोड़ी आने वाले वर्षों में भारत को ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में पदकों की नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकती है।
विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 भारत के लिए मिली-जुली तस्वीर लेकर आई। जहाँ एक ओर नीरज चोपड़ा अपने स्तर से बहुत नीचे खेलते दिखे और देश की उम्मीदें टूट गईं,वहीं सचिन यादव ने चौथा स्थान पाकर नई आशा की किरण जगाई। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीरज इस हार से कितना सबक लेते हैं और सचिन अपने आत्मविश्वास को किस ऊँचाई तक ले जा पाते हैं। फिलहाल इतना जरूर है कि भारत के जैवलिन थ्रो का भविष्य सुरक्षित हाथों में है और दुनिया को आने वाले सालों में फिर से चौंकाने की पूरी संभावना है।
