नई दिल्ली,5 सितंबर (युआईटीवी)- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर की चुनौती से जूझ रही है। शुक्रवार सुबह पुराने रेलवे ब्रिज पर यमुना का जलस्तर 207.31 मीटर दर्ज किया गया,जो कि चेतावनी स्तर 204.50 मीटर और खतरे के निशान 205.33 मीटर से काफी ऊपर है। दिल्ली सरकार के बाढ़ नियंत्रण विभाग ने अपने दैनिक बुलेटिन में जानकारी दी कि जलस्तर फिलहाल ऊँचाई पर बना हुआ है और रात आठ बजे तक यह 207.15 मीटर तक पहुँचने के बाद धीरे-धीरे कम हो सकता है।
यमुना का उफनता पानी राजधानी के कई इलाकों में तबाही मचा रहा है। निगम बोध घाट जलमग्न हो गया है और यहाँ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अस्थायी तौर पर रोक दी गई है। घाट पर काम करने वाले प्रमोद कुमार पाल ने बताया कि जलस्तर बढ़ने के कारण शवों का अंतिम संस्कार करना संभव नहीं है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) युद्धस्तर पर जलनिकासी का काम कर रहा है,ताकि शाम तक हालात सामान्य हो सकें। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाढ़ के चलते घाट को बंद कर दिया गया है और शवों को अस्थायी रूप से अन्य जगहों पर ले जाया जा रहा है।
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार,हथिनीकुंड बैराज से 1,08,232 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है,जबकि वजीराबाद बैराज से 1,74,150 क्यूसेक और ओखला बैराज से 2,44,478 क्यूसेक जल की निकासी हुई है। इन भारी मात्रा में छोड़े गए पानी ने दिल्ली में यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा दिया। राजधानी का सबसे संवेदनशील इलाका,पुराना रेलवे ब्रिज,इस समय लगातार प्रशासन की निगरानी में है।
पानी बढ़ने का असर अब दिल्ली के महत्वपूर्ण इलाकों तक भी पहुँच चुका है। दिल्ली सचिवालय के पास डबल लाइन सड़क का एक हिस्सा जलमग्न हो गया है। वहीं,इंदिरा गांधी स्टेडियम के गेट नंबर 5 से स्टेडियम की ओर जाने वाली सड़क पर पानी भर गया है,जिससे यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। कई जगहों पर सड़कें नदी का रूप ले चुकी हैं और वाहनों की आवाजाही ठप हो गई है। यमुना बाजार क्षेत्र तो पूरी तरह से पानी में डूब गया है,जिसके कारण दुकानदार और स्थानीय निवासी काफी परेशान हैं।
दिल्ली के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों—यमुना बाजार,मजनू का टीला,गीता कॉलोनी,मयूर विहार और सिविल लाइंस से अब तक 12,000 से 14,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा चुका है। इन इलाकों में राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है। प्रशासन ने यमुना खादर,गीता कॉलोनी और मयूर विहार में राहत शिविर स्थापित किए हैं,जहाँ विस्थापित लोगों को अस्थायी आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। बाढ़ के बीच स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों में गश्त कर रही हैं और फँसे लोगों को बाहर निकालने का प्रयास कर रही हैं।
जलस्तर बढ़ने से राजधानी में दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। यातायात प्रभावित होने से लोगों को लंबा मार्ग तय करना पड़ रहा है। निगम बोध घाट के बंद होने से शवदाह की प्रक्रिया ठप हो गई है,जिसके चलते शोकाकुल परिवारों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए अन्य घाटों का सहारा लेना पड़ रहा है। यमुना बाजार की संकरी गलियों में भरा पानी स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि हालात पर पूरी तरह नजर रखी जा रही है। बाढ़ नियंत्रण विभाग का कहना है कि जलस्तर फिलहाल स्थिर है और उम्मीद है कि शुक्रवार रात तक इसमें थोड़ी कमी आएगी। हालाँकि,खतरे की स्थिति अभी बनी हुई है क्योंकि नदी का जलस्तर निकासी स्तर 206 मीटर से ऊपर है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल 13 जुलाई 2023 को यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुँच गया था,जो अब तक का सबसे ऊँचा स्तर रहा है। इस साल भी स्थिति गंभीर है,लेकिन प्रशासन को उम्मीद है कि समय रहते हालात नियंत्रित हो जाएँगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार आने वाली इस तरह की बाढ़ दिल्ली की अव्यवस्थित शहरी योजना और नदी किनारे बढ़ते अतिक्रमण की देन है। हर साल यमुना का पानी बढ़ने से हजारों लोग विस्थापित होते हैं,लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकल पाता। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि जब तक नदी के तटीय क्षेत्रों में निर्माण और अवैध बस्तियों पर रोक नहीं लगेगी,तब तक बाढ़ का खतरा टलना मुश्किल है।
इस बीच,प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोग प्रशासन से नाराज भी हैं। उनका कहना है कि पानी बढ़ने से पहले उन्हें पर्याप्त चेतावनी और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई। कई परिवारों का सामान पानी में डूब गया और वे अब राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है।
दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ना केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं,बल्कि प्रशासनिक विफलता और अव्यवस्थित शहरीकरण का संकेत भी है। हर साल दोहराई जाने वाली इस त्रासदी से यह साफ है कि नदी किनारे रहने वालों के लिए कोई दीर्घकालिक नीति नहीं बनाई गई है। वर्तमान संकट एक बार फिर यही सवाल खड़ा करता है कि क्या दिल्ली तैयार है यमुना की बाढ़ जैसी चुनौती से निपटने के लिए।
फिलहाल राहत शिविरों में रह रहे हजारों लोगों को उम्मीद है कि पानी का स्तर जल्द कम होगा और वे अपने घरों को लौट पाएँगे,लेकिन घर लौटने के बाद उनके सामने मलबा साफ करने और जीवन को दोबारा पटरी पर लाने की चुनौती होगी। प्रशासन के पास अब समय है कि वह इस आपदा से सबक ले और भविष्य के लिए ठोस और स्थायी समाधान तैयार करे।