नई दिल्ली, 14 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| दिल्ली में यमुना नदी का जल स्तर लगातार घट रहा है। दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना नदी में पानी के इस घटते स्तर के प्रति हरियाणा सरकार की उदासीनता पर निराशा व्यक्त की है। जल बोर्ड ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही हरियाणा सरकार के साथ मिलकर इस समस्या का कोई समाधान निकलेंगा। जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने यमुना नदी के घटते जल स्तर पर कहा, “जल ही जीवन है। यमुना का लगातार घटता जल-स्तर चिंता का विषय है। हरियाणा सरकार का ऐसा व्यवहार काफी निराश करने वाला है। हम हरियाणा सरकार से लगातार सहयोग की मांग कर रहे हैं, हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसका कोई समाधान निकलेगा।”
पिछले हफ्ते से ही यमुना का जल-स्तर लगातार घट रहा है। यमुना के घटते जलस्तर को लेकर हरियाणा के सिंचाई विभाग के संबंधित इंजीनियर्स को लगातार सूचना दी गई है। जल बोर्ड के मुताबिक एक्शन लेने का भरोसा दिलाने के बाद भी उन्होंने स्थिति को सामान्य करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 1996 के आदेश के मुताबिक वजीराबाद तालाब का जल-स्तर हमेशा पूरा रखना होता है। वजीराबाद तालाब के तेजी से घटते जल-स्तर की वजह से वजीराबाद और चंद्रावल प्लांट से पानी का उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। इन प्लांट्स से सेंट्रल दिल्ली, उत्तरी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली में पीने का पानी सप्लाई होता है।
यमुना नदी का सामान्य जल स्तर 674.50 फीट होना चाहिए, लेकिन ये स्तर घटकर 672.20 पर आ गया है, जो काफी चिंता का विषय है। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने कहा, “इस घटते जल-स्तर का बड़ा असर दिल्ली जल बोर्ड के ट्रीटमेंट प्लांट्स पर भी पड़ सकता है। इसकी जानकारी अपर यमुना रिवर बोर्ड के अधिकारियों को भी दी गई है। हमारे विश्लेषण के मुताबिक दिल्ली को हर 2 हफ्ते में एक बार रॉ वॉटर की परेशानी से जूझना पड़ता है। ऐसा यमुना में घटते प्रवाह या दिल्ली सब ब्रांच में कम प्रवाह या यमुना में बिना ट्रीट किया गया गंदा पानी छोड़े जाने की वजह से होता है, जिससे दिल्ली में पानी का उत्पादन प्रभावित होता है।”
राघव चड्ढा ने कहा, “यमुना में अमोनिया का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है जो कि चिंता का विषय है। हरियाणा से यमुना में बिना ट्रीट किया हुआ काफी पानी छोड़ा जाता है, जिसकी वजह से यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ता जाता है।”
यमुना में अक्सर ही अमोनिया का स्तर 0.8 की अधिकतम सीमा के भी ऊपर चला जाता है, जिसका बुरा असर दिल्ली के पानी उत्पादन पर पड़ता है। कई बार दिल्ली जल बोर्ड को अपने प्लांट बंद भी करने पड़ते हैं। कई बार तो अमोनिया का स्तर 12 पीपीएम तक चला गया है, जो कि काफी खतरनाक है। इसका बुरा असर दिल्ली में ट्रीटमेंट प्लांट्स पर पड़ता है।

