नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (युआईटीवी)- दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन भारतीय सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने एक बार फिर अपनी शानदार बल्लेबाजी से दर्शकों का दिल जीत लिया। हालाँकि,वे दुर्भाग्यवश अपने तीसरे दोहरे शतक से चूक गए और रन आउट होकर पवेलियन लौटे। इस रन आउट ने मैदान पर मौजूद दर्शकों के साथ-साथ भारतीय ड्रेसिंग रूम में भी निराशा की लहर दौड़ा दी,क्योंकि जायसवाल जिस लय में बल्लेबाजी कर रहे थे,उससे ऐसा लग रहा था कि वे एक और ऐतिहासिक पारी खेलने वाले हैं।
मुकाबले के दूसरे दिन पहले सेशन में भारत की पारी मजबूती से आगे बढ़ रही थी। तभी 92वें ओवर की दूसरी गेंद पर जायडेन सील्स की फुल लेंथ गेंद पर जायसवाल ने शानदार ड्राइव खेली,जो सीधे मिड-ऑफ की ओर गई। गेंद तेज थी और जायसवाल ने एक तेज रन चुराने की कोशिश की,लेकिन दूसरे छोर पर मौजूद कप्तान शुभमन गिल ने प्रतिक्रिया नहीं दी। रन लेने की कोशिश में यशस्वी काफी आगे निकल चुके थे और जब उन्होंने क्रीज की ओर वापसी की,तब तक बहुत देर हो चुकी थी। थ्रो सीधे विकेटकीपर तेविन इमलाच के पास पहुँचा और उन्होंने सटीक थ्रो के साथ बेल्स गिरा दीं। इस तरह जायसवाल 175 रन की शानदार पारी खेलने के बाद दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गए।
रन आउट होने के बाद यशस्वी जायसवाल की झुंझलाहट साफ झलक रही थी। वे दूसरे छोर पर खड़े शुभमन गिल से कुछ खफा नजर आए,क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि गिल उस मौके पर रन के लिए भागेंगे। हालाँकि,क्रिकेट में गलतफहमियों से हुए रन आउट अक्सर बल्लेबाजों के करियर के सबसे निराशाजनक क्षणों में गिने जाते हैं।
यशस्वी जायसवाल ने अपनी इस पारी में 258 गेंदों का सामना करते हुए 22 चौके लगाए। यह पारी उनके धैर्य,तकनीक और स्वाभाविक आक्रामकता का बेहतरीन मिश्रण थी। उन्होंने नई गेंद के खिलाफ शानदार संयम दिखाया और जब भी गेंदबाज ढीली गेंद फेंकते,तो उसे बाउंड्री तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी यह पारी भारतीय पारी की नींव साबित हुई,जिसने टीम को शुरुआती झटकों से उबरने में मदद की।
दिलचस्प बात यह है कि इस रन आउट के साथ यशस्वी जायसवाल भारत के लिए सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर पर रन आउट होने वाले तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। इस अनचाही सूची में सबसे ऊपर संजय मांजरेकर का नाम है,जो 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर में 218 रन पर रन आउट हुए थे। दूसरे स्थान पर राहुल द्रविड़ हैं,जिन्होंने 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में 217 रन बनाकर पवेलियन लौटे थे। द्रविड़ ही इस सूची में तीसरे स्थान पर भी हैं,जब वे 2001 में कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 180 रन पर रन आउट हुए थे। अब जायसवाल 175 रन के साथ इस दुर्भाग्यपूर्ण सूची में शामिल हो गए हैं।
अगर जायसवाल दोहरा शतक पूरा कर लेते,तो यह उनके करियर का तीसरा दोहरा शतक होता। उन्होंने फरवरी 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापत्तनम में 209 रन की शानदार पारी खेली थी और इसके अगले ही मैच में राजकोट टेस्ट में नाबाद 214 रन बनाकर इतिहास रचा था। इन उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय टेस्ट टीम का सबसे भरोसेमंद युवा बल्लेबाज बना दिया है।
जायसवाल के आउट होने तक भारत की पारी पूरी तरह से नियंत्रण में थी। दूसरे दिन 94 ओवरों के खेल तक टीम इंडिया ने 3 विकेट के नुकसान पर 343 रन बना लिए थे। जायसवाल के अलावा केएल राहुल और साई सुदर्शन ने भी उपयोगी पारियाँ खेलीं। राहुल ने 38 रन बनाए,जबकि साई सुदर्शन ने शानदार 87 रनों की पारी खेलकर टीम को मजबूत शुरुआत दिलाई।
फिलहाल,कप्तान शुभमन गिल 33 रन और नितीश रेड्डी 10 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद हैं। भारतीय बल्लेबाजों ने पिच की स्थिति का शानदार इस्तेमाल किया और वेस्टइंडीज के गेंदबाजों को थका दिया। हालाँकि,विपक्षी टीम के लिए सबसे सफल गेंदबाज जोमेल वारिकन रहे,जिन्होंने अब तक 2 विकेट झटके हैं। वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों को भारतीय बल्लेबाजों से कोई खास मदद नहीं मिली और वे ज्यादातर समय विकेट की तलाश में संघर्ष करते रहे।
भारत पहले ही इस सीरीज का पहला टेस्ट मैच पारी और 140 रन से जीत चुका है और अब दूसरे टेस्ट में भी मजबूत स्थिति में है। अगर भारतीय बल्लेबाज इसी तरह रन बनाते रहे,तो वेस्टइंडीज पर पहली पारी में भारी दबाव बनना तय है।
यशस्वी जायसवाल की यह पारी न केवल उनके बल्लेबाजी कौशल की गवाही देती है,बल्कि यह भी दिखाती है कि वे भारतीय क्रिकेट के भविष्य के सबसे उज्ज्वल सितारों में से एक हैं। जिस आत्मविश्वास और संयम के साथ उन्होंने खेला,वह किसी अनुभवी बल्लेबाज से कम नहीं था। रन आउट के रूप में उनका आउट होना दुर्भाग्यपूर्ण जरूर था,लेकिन इससे उनके प्रदर्शन की चमक कम नहीं होती।
दिल्ली के दर्शकों ने जब यशस्वी जायसवाल को पवेलियन लौटते देखा,तो पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। यह नज़ारा इस बात का प्रतीक था कि क्रिकेट सिर्फ रनों का खेल नहीं,बल्कि सम्मान और भावना का खेल है और यशस्वी जायसवाल ने दोनों ही मैदानों पर जीत हासिल की है।
