कोपेनहेगन,8 जून (युआईटीवी)- डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन पर एक व्यक्ति ने कोपेनहेगन के मध्य में अचानक हमला कर दिया। न्यूज एजेंसी रित्जौ की रिपोर्ट के अनुसार,आरोपी व्यक्ति ने फ्रेडरिक्सन को पीछे से आकर जोर से धक्का मारा,जिससे वह लड़खड़ा गई। पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन उस समय तो वहाँ से चली गई,लेकिन उसके बाद कोपेनहेगन पुलिस ने उस हमलावर व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
यूरोपियन यूनियन चुनाव से ठीक पहले डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन पर यह हमला हुआ है। 9 जून को यूरोपियन यूनियन के चुनाव होने हैं। सोशल डेमोक्रेट्स यूरोपीय संघ के प्रमुख उम्मीदवार क्रिस्टेल शाल्डेमोस के साथ डेनिश पीएम चुनाव प्रचार कर रही हैं। जब यह घटना घटित हुई,उस समय वह चुनाव प्रचार से ही लौट रही थीं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पुलिस ने इस मामले में पोस्ट करते हुए कहा कि एक व्यक्ति को उन्होंने गिरफ्तार किया है और उससे पूछताछ की जा रही है। आगे की जानकारी देने से पुलिस ने इनकार कर दिया।
इस घटना के चश्मदीदों ने बताया कि दूसरी तरफ से आए एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के कंधे पर जोर से धक्का मारा। धक्का बहुत जोर से मारा गया था,लेकिन वह गिरने से बच गईं।
बरिस्ता के रूप में चौराहे पर काम करने वाले सोरेन केजरगार्ड ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन थोड़ी तनावग्रस्त नजर आ रही थी और सुरक्षाकर्मियों द्वारा उन्हें हमले के बाद वहाँ से ले जाय गया।
ध्यान देने वाली बात यह है कि डेनमार्क के यूरोपीय संघ के चुनाव में होने वाले मतदान से दो दिन पहले यह हमला हुआ है। इससे पहले 15 मई को स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको को भी मारने का प्रयास किया गया था,जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। प्रधानमंत्री जब हैंडलोवा शहर में एक सांस्कृतिक हॉल के बहार भाषण दे रहे थे,तब उन पर यह जानलेवा हमला किया गया था। उन पर हमलावर ने पाँच गोलियाँ दागीं, जिसमें से एक गोली उनके पेट में लगी थीं। फिलहाल वे रिकवरी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन पर हुए हमले पर डेनमार्क के पर्यावरण मंत्री मैग्नस ह्यूनिके का कहना है कि इस हमले से मेटे फ्रेडरिक्सन सदमे में है और उनके करीबियों को इस हमले ने झकझोर कर रख दिया है।
2015 में 46 वर्षीय फ्रेडरिक्सन अपनी पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स की कमान संभाली और 2019 में डेनमार्क की प्रधानमंत्री बनीं थीं। इसी के साथ वह डेनमार्क की अब तक की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बन गईं।