नई दिल्ली,5 जुलाई (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर अर्जेंटीना पहुँचे। यह दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है,क्योंकि पिछले 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा है। इससे पहले मोदी वर्ष 2018 में जी-20 सम्मेलन के लिए अर्जेंटीना आए थे,लेकिन अब की यह यात्रा पूरी तरह से द्विपक्षीय साझेदारी और रणनीतिक सहयोग को गहराई देने के इरादे से हो रही है।
भारत और अर्जेंटीना के बीच संबंधों का आधार ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहा है। दोनों देश जी20,जी77 और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर सहयोग करते हैं। 2019 में अर्जेंटीना को भारत का रणनीतिक साझेदार घोषित किया गया और वर्ष 2023 में दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई।
अब जब अर्जेंटीना आर्थिक सुधारों के बड़े दौर से गुजर रहा है,जो भारत के विगत अनुभवों से मेल खाता है,ऐसे समय में पीएम मोदी की यात्रा न केवल सहयोग बढ़ाने का अवसर है,बल्कि एक साझा सुधार मॉडल पर चर्चा का भी मंच है।
5 जुलाई को पीएम मोदी अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच होने वाली बातचीत में रक्षा,ऊर्जा,कृषि,खनिज,व्यापार, आतंकवाद विरोध,डिजिटल टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग की चर्चा होगी।
भारत-अर्जेंटीना के संबंधों का यह नया अध्याय इन प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित होगा:
डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग: अर्जेंटीना भारत के तेजस लड़ाकू विमान और अन्य रक्षा उत्पादों में रुचि दिखा रहा है।
आईटी और हेल्थटेक: भारत डिजिटल हेल्थ और टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता साझा करेगा,जिससे अर्जेंटीना की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
स्पेस और न्यूक्लियर एनर्जी: दोनों देश शांतिपूर्ण न्यूक्लियर कार्यक्रम में सहयोग और इसरो-अर्जेंटीना स्पेस एजेंसी के बीच साझेदारी को गहराने पर काम करेंगे।
इस यात्रा का एक अहम उद्देश्य भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है। भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल) ने पहले ही अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में लिथियम की खुदाई के अधिकार हासिल कर लिए हैं।
अब इस दौरे के दौरान लिथियम और लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) की आपूर्ति को लेकर और भी समझौते हो सकते हैं। यह भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और हरित ऊर्जा की दिशा में एक ठोस कदम है।
साल 2024 में भारत और अर्जेंटीना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.2 अरब डॉलर से ऊपर पहुँच गया है। भारत,अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन चुका है। अब तक व्यापार मुख्यतः सोयाबीन तेल और कृषि उत्पादों तक सीमित रहा है,लेकिन भारत अब आईटी,हेल्थटेक और फार्मा जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने की योजना बना रहा है।
पीएम मोदी की मौजूदगी में भारत-अर्जेंटीना बिजनेस समिट 2025 आयोजित किया जाएगा,जिसमें दोनों देशों के कारोबारी नेताओं के बीच निवेश,व्यापार और तकनीकी सहयोग पर समझौते किए जाएँगे।
भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश बन चुका है। आधार,यूपीआई,कोविन और डिजिलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म्स की सफलता के बाद अब भारत इन्हें दुनिया के अन्य देशों के साथ साझा कर रहा है। अर्जेंटीना जैसे विकासशील देश के लिए ये मॉडल लो-कॉस्ट,हाई-इम्पैक्ट डिजिटल सॉल्यूशन्स प्रदान कर सकते हैं।
इस क्षेत्र में भारत और अर्जेंटीना के बीच सहयोग से फिनटेक,हेल्थटेक और डिजिटल गवर्नेंस को मजबूत किया जा सकता है।
अर्जेंटीना में लगभग 3,000 भारतीय प्रवासी रहते हैं। पीएम मोदी इस दौरे में भारतीय समुदाय के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे और उन्हें संबोधित भी करेंगे। यह समुदाय राजनयिक संबंधों को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने में एक अहम भूमिका निभाता है।
अर्जेंटीना भारत की एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) सदस्यता का समर्थन करता रहा है। भारत इसे एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक समर्थन मानता है। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए समझौतों की भी चर्चा हो सकती है।
यह दौरा वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करता है। अर्जेंटीना की सरकार के साथ निकट सहयोग से भारत को लैटिन अमेरिका में एक भरोसेमंद रणनीतिक भागीदार मिल सकता है। यह क्षेत्र खनिज,कृषि,ऊर्जा और जैव विविधता के लिहाज़ से बेहद समृद्ध है और भारत के दीर्घकालिक हितों से जुड़ा हुआ है।
पीएम नरेंद्र मोदी की यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं,बल्कि भारत-अर्जेंटीना संबंधों में एक नई रणनीतिक दिशा की शुरुआत है। रक्षा,खनिज,ऊर्जा, डिजिटल और अंतरिक्ष क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि वैश्विक मंच पर भी अधिक सक्षम बनाएगा।
इस यात्रा से यह संदेश स्पष्ट है कि भारत वैश्विक साझेदारी के नए मानक तय करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और अर्जेंटीना इसमें उसका नया भरोसेमंद साथी बनने की ओर अग्रसर है।