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भारत का फॉरेक्स रिजर्व पहली बार हुआ 700 अरब डॉलर के पार,जुलाई 2023 के बाद सबसे बड़ा उछाल

मुंबई, 5 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत का फॉरेक्स रिजर्व (विदेशी मुद्रा भंडार) पहली बार 700 अरब डॉलर से अधिक हो गया है, जो जुलाई 2023 के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है। यह मील का पत्थर चल रही भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद हासिल किया गया था। 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह तक,भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 12.588 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज की,जिससे कुल भंडार 704.885 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।

यह वृद्धि वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करती है, जिससे यह चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के साथ 700 अरब डॉलर से अधिक विदेशी भंडार वाले एकमात्र देशों में शामिल हो गया है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 अरब डॉलर के पार पहुँच गया है, जो जुलाई 2023 के बाद सबसे बड़ा उछाल है। वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को घोषणा किया कि 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह तक विदेशी विनिमय भंडार 12.588 बिलियन डॉलर बढ़कर 704.885 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।

इस वृद्धि का प्राथमिक चालक विदेशी मुद्रा संपत्ति रही है,जो 10.468 बिलियन डॉलर बढ़कर 616.154 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई। इसके साथ,भारत चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के साथ 700 अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले एकमात्र देशों में शामिल हो गया है।

केंद्रीय बैंक के आँकड़ों के मुताबिक,सोने के भंडार में 2.184 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जिससे कुल भंडार 65.796 अरब डॉलर हो गया। 80 लाख डॉलर की मामूली वृद्धि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में देखी गई,जिससे यह कुल 18.547 अरब डॉलर हो गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित स्थिति में 7.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.387 अरब डॉलर पर आ गई।

इस साल देश में विदेशी निवेश 30 अरब डॉलर तक पहुँच गया है और भंडार में और बढ़ोतरी की उम्मीद है। यह वृद्धि भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है, विदेशी निवेश को आकर्षित करती है और घरेलू व्यापार और उद्योगों को समर्थन देती है।

वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनावों के बीच, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड ऊँचाई पर है और भारतीय रुपया प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे स्थिर मुद्राओं में से एक बना हुआ है। देश में मजबूत घरेलू निवेश देखा जा रहा है और ऋण बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) भी बढ़ रहा है।

इस रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा स्तर में सकारात्मक एफपीआई प्रवाह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे आरबीआई को मौद्रिक नीति और मुद्रा प्रबंधन में अधिक लचीलापन मिला है।