खार्तूम,8 अक्टूबर (युआईटीवी)- पश्चिमी सूडान के उत्तरी दारफुर राज्य के एल फशर शहर में एक विस्थापित व्यक्ति शिविर पर हुए अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) द्वारा किए गए तोपखाने हमले में कम-से-कम सात लोगों की मौत हो गई और 59 अन्य घायल हो गए। इस बात की पुष्टि उत्तरी दारफुर के स्वास्थ्य मंत्रालय के महानिदेशक इब्राहिम खातिर ने की।
अबू शौक नामक शिविर पर यह हमला दो दिनों तक जारी रहा। रविवार को हुए हमले में दो लोग मारे गए थे,जबकि सोमवार को इस संख्या में इजाफा हुआ और पाँच और लोगों की जान चली गई। इब्राहिम खातिर ने बताया कि रविवार को हुए हमले में 20 लोग घायल हुए थे,जबकि सोमवार के हमले में 39 अन्य लोग घायल हो गए।
इब्राहिम खातिर ने एक समाचार एजेंसी से फोन पर बातचीत करते हुए यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि नागरिक क्षेत्रों पर गोलाबारी की यह घटना बहुत ही निंदनीय है। इस हमले के कारण विस्थापित व्यक्तियों और अन्य नागरिकों की पीड़ा और भी बढ़ गई है। पहले से ही ये लोग कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि शहर पर घेराबंदी की गई है।
इस हमले की निंदा करते हुए एक गैर-सरकारी संगठन,सूडानी डॉक्टर्स नेटवर्क ने बयान जारी किया और कहा कि इस प्रकार की हिंसा से पहले से ही गंभीर परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों की समस्याएँ और बढ़ गई हैं। इस संगठन ने विशेष रूप से उन नागरिकों और विस्थापितों की स्थिति पर चिंता जताई,जो पहले ही अत्यधिक कष्टों का सामना कर रहे हैं।
गौरतलब है कि एल फशर शहर में 10 मई से ही सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और आरएसएफ के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा है। इस शहर में अबू शौक सहित विस्थापितों के लिए तीन बड़े शिविर हैं। यह शहर लगभग 1.5 मिलियन लोगों का घर है, जिनमें से 800,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं। संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, इन विस्थापित व्यक्तियों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है, क्योंकि लगातार जारी हिंसा ने इनकी जिंदगी को कठिन बना दिया है।
सूडान में यह संघर्ष 15 अप्रैल, 2023 से एसएएफ और आरएसएफ के बीच शुरू हुआ था। तब से यह संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस जारी हिंसा के चलते अब तक अनुमानित 20,000 लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
इस हिंसा ने सूडान के विभिन्न हिस्सों में आम नागरिकों की जीवनशैली को बुरी तरह से प्रभावित किया है। विस्थापित व्यक्तियों के शिविरों पर हो रहे हमलों ने उनके जीवन को और भी संकट में डाल दिया है। शहरों में घेराबंदी के कारण नागरिकों के पास न तो पर्याप्त भोजन है और न ही चिकित्सा सुविधाएँ। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने सूडान की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है।
सूडान में जारी यह हिंसा और संघर्ष जल्द खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि देश को और अधिक मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी इस बात पर जोर दे रहा है कि सूडान में शांति बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएँ।