नई दिल्ली,5 दिसंबर (युआईटीवी)- भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुँचे हैं। गुरुवार को जब वह नई दिल्ली पहुँचे,तो भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके साथ रानी जेटसन पेमा वांगचुक और भूटान के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लिखा कि,आज भूटान के महामहिम राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक का नई दिल्ली पहुँचने पर स्वागत करते हुए मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि इस यात्रा से भारत और भूटान के बीच की दोस्ती और भी गहरी होगी और दोनों देशों के मध्य के रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।
भूटान नरेश इस यात्रा के दौरान भारतीय नेतृत्व के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, ताकि दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की समीक्षा की जा सके और नए सहयोग के रास्ते खोले जा सकें। यह यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह भूटान और भारत के बीच गहरे और पुरानी मित्रता के संबंधों को और मजबूत करेगी। विदेश मंत्रालय (एमईए) के आधिकारिक प्रेस बयान में बताया गया कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी सम्मान और सहयोग का प्रतीक है और यह उनके रिश्तों की स्थिरता और सामंजस्य को दिखाती है।
भूटान नरेश,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे,जो दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय बैठकों का एक और अध्याय जोड़ने का काम करेगा। इसके अलावा,विदेश मंत्री एस.जयशंकर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी भूटान नरेश से मुलाकात करेंगे। प्रेस बयान के अनुसार,इन बैठकों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मौजूदा सहयोग को और मजबूत करना और द्विपक्षीय सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशना है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है,जैसे आर्थिक सहयोग,जलवायु परिवर्तन,विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष सहयोग।
भारत और भूटान के रिश्ते हमेशा से असाधारण और अनुकरणीय रहे हैं,जो आपसी विश्वास,सद्भावना और समझ पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच रिश्तों की नींव 1949 में पड़ी थी,जब उन्होंने मैत्री और सहयोग की एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि को फरवरी 2007 में रिन्यू किया गया,ताकि दोनों देशों के रिश्तों में नई गतिशीलता आ सके। 1968 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए गए, जिसने इस स्थायी साझेदारी को और मजबूत किया। तब से लेकर अब तक,दोनों देशों के बीच के संबंध लगातार प्रगति करते गए हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है।
दोनों देशों के बीच एक और महत्वपूर्ण पहलू उनकी आर्थिक परस्पर निर्भरता है। लगभग 50,000 भारतीय नागरिक भूटान में निर्माण,शिक्षा और विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे हैं। इसके अलावा,कई श्रमिक प्रतिदिन भारत से भूटान के सीमावर्ती शहरों में काम करने के लिए आते हैं। यह एकीकरण दोनों देशों के बीच सहयोग और साझा समृद्धि की गहराई को दर्शाता है। भूटान में भारतीय नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका यह भी साबित करती है कि दोनों देशों के बीच सशक्त और परस्पर लाभकारी आर्थिक संबंध हैं।
हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच सहयोग का दायरा काफी बढ़ गया है। पारंपरिक क्षेत्रों जैसे जलविद्युत के अलावा,अब दोनों देशों के बीच डिजिटल बुनियादी ढाँचे, शिक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में भी सहयोग हो रहा है। उदाहरण के लिए,भूटान ने ‘भीम ऐप’ को अपनाने वाला दूसरा देश बनकर भारत के साथ अपने वित्तीय संबंधों को और सुगम किया है। इसके अलावा,भारत ने भूटान की ‘डिजिटल ड्रुक्युल’ पहल का समर्थन किया है,जिसका उद्देश्य भूटान के सभी 20 जिलों में एक मजबूत ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बनाना है।
अंतरिक्ष सहयोग भी दोनों देशों के रिश्तों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2019 में भूटान यात्रा के बाद, दोनों देशों ने संयुक्त रूप से ‘भारत-भूटान एसएटी’ विकसित किया,जिसे नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया। यह पहल,अन्य तकनीकी साझेदारियों के साथ,द्विपक्षीय संबंधों की प्रगतिशील प्रकृति को रेखांकित करती है और यह दोनों देशों के बीच साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है। इस पहल से भूटान को अपनी दूरसंचार और मौसम विज्ञान की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिली है और भविष्य में दोनों देशों के मध्य अंतरिक्ष तकनीकी क्षेत्र में और अधिक सहयोग की संभावना है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत और भूटान के बीच साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। भारत भूटान को स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षकों की कमी को दूर करने और भूटान की मानव संसाधन क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर रहा है। भारत भूटान में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहा है और यह प्रयास दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बना रहे हैं।
भूटान नरेश की इस यात्रा के दौरान,इन सभी पहलों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए नए रास्ते तलाशे जाएँगे। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक मित्रता को और मजबूत करेगी,बल्कि नए सहयोग के अवसर भी उत्पन्न करेगी,जिससे भारत और भूटान के बीच और गहरे रिश्ते बनेंगे। इस प्रकार,भूटान नरेश की यात्रा भारत और भूटान के बीच सहयोग और दोस्ती के नए आयामों को तलाशने का एक अहम अवसर प्रदान करती है।