चेन्नई,30 दिसंबर (युआईटीवी)- चेन्नई स्थित अन्ना विश्वविद्यालय में हुए यौन उत्पीड़न मामले की राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की टीम आज जाँच शुरू करेगी। इस मामले के जाँच के लिए एनसीडब्ल्यू की टीम रविवार को चेन्नई पहुँची। यह कदम तब उठाया गया है,जब अन्ना विश्वविद्यालय के कुछ छात्राओं ने विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इस मामले ने शिक्षा क्षेत्र में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है और इसके साथ ही देशभर में महिला सुरक्षा और समानता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
यह मामला 25 दिसंबर को सामने आया था,जब एक 19 वर्षीय लड़की और उसका पुरुष मित्र अन्ना विश्वविद्यालय परिसर के एक सुनसान स्थान पर बैठे थे। दोनों क्रिसमस समारोह में भाग लेने के बाद विश्वविद्यालय के इस स्थान पर पहुँचे थे,लेकिन तभी एक आरोपी ने उनका पीछा किया। उसने पहले लड़के पर हमला किया और उसे बुरी तरह से पीटा,फिर लड़की को खींचते हुए पास की झाड़ियों में ले गया और उसके साथ बलात्कार किया।
हाल ही में कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया कि एक प्रोफेसर ने उन्हें मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार बनाया। आरोपों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जाँच के आदेश दिए थे,लेकिन छात्राओं को लगा कि उनके आरोपों को सही तरीके से नहीं सुना जा रहा है और जाँच प्रक्रिया में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। इसके बाद उन्होंने इस मामले को राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष उठाया।
इस घटना के बाद,राष्ट्रीय महिला आयोग ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया और एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष ममता कुमारी,सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी प्रवीण दीक्षित और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी शामिल हैं। यह टीम आज जाँच शुरू करने के लिए अन्ना विश्वविद्यालय पहुँचेगी। टीम की प्राथमिक जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि इस घटना की निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच की जाए और आरोपी को सजा दिलाई जाए।
आयोग की टीम आज से जाँच शुरू करेगी और सभी तथ्यों का गहनता से विश्लेषण करेगी। टीम विश्वविद्यालय प्रशासन,छात्रों और अन्य संबंधित पक्षों से बयान लेने के बाद मामले की पूरी जाँच करेगी। आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि इस जाँच में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी और हर पहलू को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष निष्कर्ष पर पहुँचने की कोशिश की जाएगी।
इस मामले में एनसीडब्ल्यू ने विश्वविद्यालय प्रशासन से भी जवाब तलब किया है। आयोग ने विश्वविद्यालय से यह पूछा है कि उसने आरोपों पर अब तक क्या कदम उठाए हैं और यदि कोई कार्रवाई की गई है तो उसकी प्रकृति क्या रही है। साथ ही, आयोग ने विश्वविद्यालय को निर्देशित किया है कि वह छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से कदम उठाए।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एनसीडब्ल्यू ने इसे प्राथमिकता देते हुए जल्द-से-जल्द जाँच पूरी करने का संकल्प लिया है। आयोग का कहना है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं,तो संबंधित प्रोफेसर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और किसी भी दोषी को बचने नहीं दिया जाएगा। साथ ही,यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपों की अनदेखी की है या उचित कार्रवाई नहीं की है,तो उसके खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएँगे।
यह मामला शिक्षा संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दे रहा है। छात्राओं के आरोपों और एनसीडब्ल्यू की जाँच के बाद उम्मीद की जा रही है कि यह मामला महिला सुरक्षा के मामलों में एक उदाहरण बनेगा और आगे आने वाले समय में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में महिला छात्रों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में अधिक गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी।
यह जाँच केवल अन्ना विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं रहेगी,बल्कि इससे अन्य संस्थानों में भी यह संदेश जाएगा कि यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चुप्पी साधना या उन्हें नजरअंदाज करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। महिला अधिकारों की रक्षा के लिए सभी संस्थानों को अपने उपायों और नीतियों को सख्त और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।