भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई वृद्धि (तस्वीर क्रेडिट@garrywalia_)

देश के खजाने में हुआ इजाफा,लगातार दूसरे हफ्ते भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई वृद्धि,स्वर्ण भंडार में भी हुआ इजाफा

नई दिल्ली,8 फरवरी (युआईटीवी)- 31 जनवरी,2025 को समाप्त हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.05 अरब डॉलर बढ़कर 630.607 अरब डॉलर पर पहुँच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किए गए ताजा आँकड़ों से यह जानकारी प्राप्त हुई है। पिछले हफ्ते (24 जनवरी 2025) के मुकाबले,भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हुआ था। यह विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी है,जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।

आरबीआई द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार,गोल्ड रिजर्व में हफ्ते के दौरान भी बढ़ोतरी हुई। गोल्ड रिजर्व 1.1242 अरब डॉलर बढ़कर 70.893 अरब डॉलर पर पहुँच गया है। इसी तरह,स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) में 29 मिलियन डॉलर का इजाफा हुआ,जिससे यह 17.889 अरब डॉलर तक पहुँच गए हैं। हालाँकि,इस दौरान देश की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रिजर्व पोजीशन में गिरावट आई है,जो 14 मिलियन डॉलर घटकर 4.141 अरब डॉलर पर आ गई है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल सितंबर में 704.885 अरब डॉलर के ऐतिहासिक उच्चतम स्तर पर पहुँच गया था,जो अब तक का सबसे बड़ा आँकड़ा था। हालाँकि,इसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में कुछ उतार-चढ़ाव देखा गया है,लेकिन यह अभी भी ऐतिहासिक उच्चतम स्तर के आसपास है,जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और वृद्धि को सहारा मिल रहा है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर,2024 में भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 टन सोना खरीदा है। इसके अलावा,दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों ने इस दौरान सामूहिक रूप से 53 टन सोना खरीदा है। आरबीआई का गोल्ड में निवेश करना एक संकेत है कि वह सुरक्षित संपत्तियों में निवेश को प्राथमिकता दे रहा है,जो एक स्थिरता प्रदान करता है,खासकर वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के समय। गोल्ड को खरीदी का मुख्य उद्देश्य महँगाई से बचाव करना और विदेशी मुद्रा के जोखिम को कम करना है। वैश्विक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच,केंद्रीय बैंक का गोल्ड में निवेश करना एक सुरक्षित रणनीति मानी जा रही है।

आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग भारतीय रुपया की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है। जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है और बाजार में दबाव बढ़ता है,तो आरबीआई बाजार में डॉलर बेचकर रुपये की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करता है। इस प्रकार,आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार केवल एक संचित संपत्ति नहीं है,बल्कि यह भारतीय मुद्रा की स्थिरता बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन भी है।

इसके अलावा,आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के व्यापार और निपटान समय की व्यापक समीक्षा करने के लिए नौ सदस्यीय कार्य समूह का गठन किया है। यह कार्य समूह वित्तीय बाजारों के संचालन और उनके समय पर विचार करेगा,ताकि बाजार में किसी भी प्रकार की अस्थिरता या अनिश्चितता को नियंत्रित किया जा सके और वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता बनी रहे। कार्य समूह का गठन इस बात का संकेत है कि आरबीआई वित्तीय बाजारों को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए कदम उठा रहा है,जिससे भविष्य में आर्थिक निर्णयों में सुधार किया जा सके।

आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को कई सकारात्मक पहलू मिल रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक का गोल्ड में निवेश,विदेशी मुद्रा भंडार का संचय और वित्तीय बाजारों में सुधार की पहल यह दर्शाते हैं कि भारतीय केंद्रीय बैंक ने अपनी आर्थिक नीतियों को स्थिर और मजबूत बनाए रखने के लिए व्यापक रणनीतियाँ तैयार की हैं। यह कदम भारतीय आर्थिक प्रणाली की लचीलापन को और भी बढ़ाने में मदद करेगा,विशेषकर जब वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और अनिश्चितताएँ बढ़ रही हों।