डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी बढ़ी (तस्वीर क्रेडिट@ChandanSharmaG)

केंद्र सरकार ने 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाए जाने के ख़बरों का किया खंडन

नई दिल्ली,19 अप्रैल (युआईटीवी)- डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सरकार लगातार यूपीआई जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा दे रही है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैल गई कि 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाया जा सकता है। वित्त मंत्रालय के ओर से इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी गई और इसे पूरी तरह से झूठा,भ्रामक और निराधार करार दिया।

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने के किसी भी प्रस्ताव पर सरकार विचार नहीं कर रही है। मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि, ऐसा दावा किया जाना कि सरकार 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है,पूरी तरह से गलत है और यह खबर गुमराह करने वाला है। वर्तमान में सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।”

कुछ रिपोर्ट्स में जीएसटी की बात मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) से जोड़कर की गई थी। इस पर भी मंत्रालय ने स्थिति साफ करते हुए बताया कि यूपीआई पेमेंट्स में एमडीआर लागू नहीं होता। 30 दिसंबर 2019 को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पर्सन-टू-मर्चेंट (पी2एम) यूपीआई ट्रांजैक्शन से एक गैजेट नोटिफिकेशन के जरिए एमडीआर को हटा दिया था। यह निर्णय जनवरी 2020 से प्रभाव में आया।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक,यूपीआई ट्रांजैक्शन पर न तो एमडीआर लिया जाता है और न ही किसी प्रकार का जीएसटी लागू होता है।

वित्त मंत्रालय ने दोहराया कि सरकार यूपीआई और अन्य डिजिटल पेमेंट तरीकों को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकार ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना शुरू की है,जिसका उद्देश्य कम मूल्य वाले यूपीआई (पी2एम) ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना,छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान की सुविधा देना,उपभोक्ता भागीदारी तथा डिजिटल इनोवेशन को प्रोत्साहन देना है।

इस योजना के तहत विभिन्न वित्तीय वर्षों के लिए आवंटित राशि:

2021-22: ₹1,389 करोड़

2022-23: ₹2,210 करोड़

2023-24: ₹3,631 करोड़

इन फंड्स ने देश के मजबूत डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में दुनियाभर के रियल-टाइम ट्रांजैक्शन में भारत की हिस्सेदारी 49% रही। यह दर्शाता है कि भारत डिजिटल भुगतान नवाचार में अग्रणी बनकर उभरा है।

बीते वर्षों में यूपीआई ट्रांजैक्शन की वैल्यू में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है,जो 2019-20 के ₹21.3 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अनुमान) ₹260.56 लाख करोड़ हो गया।

विशेष रूप से,पी2एम ट्रांजैक्शन ₹59.3 लाख करोड़ तक पहुँच चुके हैं। यह उपभोक्ताओं के बढ़ते विश्वास और व्यापारियों की डिजिटल पेमेंट के प्रति स्वीकार्यता को दर्शाता है।

इस पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि सरकार डिजिटल पेमेंट को सुलभ,सस्ता और पारदर्शी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने की खबरें न केवल गलत हैं,बल्कि डिजिटल इंडिया अभियान को नुकसान पहुँचाने वाली हैं।

डिजिटल लेनदेन को सरल और कर-मुक्त बनाए रखना ताकि देश की अर्थव्यवस्था कैशलेस की ओर तेज़ी से बढ़े। इसलिए आम जनता और व्यापारी वर्ग से आग्रह है कि सरकारी घोषणाओं के अलावा किसी भी अफवाह या गलत सूचना पर विश्वास न करें।