नई दिल्ली,5 मई (युआईटीवी)- नेशनल कमीशन फॉर वीमेन (एनसीडब्ल्यू) ने पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के समर्थन में अपना आधिकारिक बयान जारी किया है। यह बयान उस समय आया,जब हिमांशी को उनके एक भावुक बयान को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा। महिला आयोग ने ट्रोलिंग को अनुचित,असंवैधानिक और महिला गरिमा के खिलाफ करार दिया है।
दरअसल,हिमांशी नरवाल ने हमले के बाद एक सार्वजनिक अपील में कहा था कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों को निशाना न बनाएँ। उन्होंने कहा था कि वह नहीं चाहतीं कि किसी धर्म विशेष या समुदाय को अपने पति की शहादत के नाम पर निशाना बनाया जाए। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके बाद उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने उनके देशभक्ति के जज्बे पर सवाल उठाए,तो कुछ ने उनकी राय को गलत ठहराया।
इसके जवाब में महिला आयोग ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक कड़ा बयान जारी किया। आयोग ने लिखा कि, “शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल की सोशल मीडिया पर आलोचना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह याद रखना आवश्यक है कि हम सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है,लेकिन उसकी सीमा भी संविधान द्वारा निर्धारित की गई है। असहमति जताना सभी का अधिकार है,लेकिन उसका तरीका मर्यादित और गरिमापूर्ण होना चाहिए।”
आयोग ने यह भी कहा कि हिमांशी की स्थिति को समझना चाहिए। उन्होंने अपने जीवनसाथी को देश की सेवा में खोया है और उस भावनात्मक परिस्थिति में उन्होंने जो भी कहा,वह उनके व्यक्तिगत अनुभव और सोच का हिस्सा है। किसी महिला को उसकी राय या निजी जीवन के आधार पर ट्रोल करना न केवल असंवेदनशील है, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए सुरक्षित अभिव्यक्ति के माहौल को भी प्रभावित करता है।
महिला आयोग ने इस बात पर भी जोर दिया कि हिमांशी के पति लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को आतंकियों ने धर्म पूछकर गोली मारी थी,जिससे देशभर में रोष व्याप्त है,लेकिन यह गुस्सा किसी निर्दोष समुदाय के प्रति नहीं होना चाहिए। हिंसा और प्रतिशोध का जवाब संयम और संवैधानिक मूल्यों से ही दिया जाना चाहिए।
हिमांशी नरवाल का बयान एक ऐसे समय में आया जब देश में सभी की भावनाएँ उफान पर थीं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। आतंकियों ने बायसरन घाटी में टूरिस्ट्स पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसाईं,जिससे 26 लोगों की जान चली गई। रिपोर्ट्स के अनुसार,आतंकियों ने लोगों की पहचान पत्र देखकर उनका धर्म पूछा और हिंदू होने पर उन्हें गोली मारी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े गुट ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है।
यह हमला अमरनाथ यात्रा शुरू होने से ठीक पहले हुआ,जिसे सुरक्षा की दृष्टि से बेहद गंभीर माना जा रहा है। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 47 जवान शहीद हुए थे।
ऐसे समय में जब पूरा देश गम और गुस्से से भरा है,हिमांशी नरवाल की अपील ने एक नई दिशा में सोचने की प्रेरणा दी है। उनके बयान को लेकर बेशक लोगों की राय बंटी हुई हो,लेकिन इसे लेकर सोशल मीडिया पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएँ आईं,उन्होंने महिला सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
महिला आयोग ने अंत में यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी महिला को उसकी बातों के लिए ट्रोल करना,अपमानित करना या धमकाना कानूनन अपराध है। अगर किसी को किसी के बयान से आपत्ति है,तो वह उचित मंच पर अपनी बात रख सकता है,लेकिन सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत हमले करना निंदनीय है। आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से भी अपील की है कि वे ऐसे ट्रोलिंग कंटेंट पर सख्ती से कार्रवाई करें और महिलाओं को डिजिटल स्पेस में सुरक्षित माहौल प्रदान करें।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि देश में बहस और असहमति की गुंजाइश होनी चाहिए,लेकिन वह गरिमापूर्ण और संविधान सम्मत ढंग से होनी चाहिए। हिमांशी नरवाल की आवाज उन लाखों महिलाओं की प्रतिनिधि है,जो मुश्किल समय में भी शांति और समझदारी की बात करती हैं। उनके साहस और विवेक की सराहना की जानी चाहिए,न कि आलोचना।