संयुक्त राष्ट्र,6 मई (युआईटीवी)- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी ) ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर एक गुप्त बैठक की,जिसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस विवाद को फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है। इस बैठक की अध्यक्षता परिषद के मौजूदा अध्यक्ष इवेंजेलोस सेकेरिस ने की,जिन्होंने इसे एक “उपयोगी” चर्चा बताया। हालाँकि,यह बैठक बंद दरवाजों के पीछे हुई और इसकी आधिकारिक रिकॉर्डिंग नहीं रखी गई,लेकिन इसके संकेत स्पष्ट हैं कि वैश्विक बिरादरी भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर चिंतित है और इसका समाधान चाहती है।
यह गुप्त बैठक पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद के अनुरोध पर बुलाई गई थी। उन्होंने परिषद से इस मुद्दे पर विचार करने की माँग की थी, खासकर हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद,जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। चूँकि,यह गुप्त बैठक थी और परिषद के नियमों के अनुसार केवल सदस्य देश ही इसमें भाग ले सकते हैं। भारत को बैठक में शामिल नहीं होने दिया गया। पाकिस्तान इस समय सुरक्षा परिषद का निर्वाचित सदस्य है,जिससे उसे इसमें भाग लेने का अधिकार मिला।
बैठक में शामिल सहायक महासचिव मोहम्मद खालिद खैरी ने बाहर निकलते हुए पत्रकारों से बात की। उन्होंने स्थिति को अस्थिर बताया और इससे अधिक जानकारी देने से इनकार किया। उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि सभी पक्ष तनाव कम करने के इच्छुक हैं।
रूस की उप स्थायी प्रतिनिधि अन्ना इवेस्टिग्नेवा ने भी बैठक के बाद कहा, “हमें उम्मीद है कि तनाव कम होगा।” ये प्रतिक्रियाएँ बताती हैं कि परिषद के सदस्य देश इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान संवेदनशीलता और संयम के साथ आगे बढ़ें।
इस बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने और सैन्य टकराव से बचने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह समय बहुत नाजुक है और यदि हालात बिगड़े,तो स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है।” उन्होंने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि वे पीड़ितों की भावनाओं को समझते हैं, लेकिन इस समय शांति और कूटनीति ही रास्ता है।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने भारत के इस आरोप को खारिज किया कि इस हमले में पाकिस्तान का कोई हाथ था। उन्होंने कश्मीर को एक “विवादित क्षेत्र” करार दिया और कहा कि वहाँ जनता में गहरा असंतोष है और यही इस समस्या की जड़ है न कि आतंकवाद। उनके अनुसार,पाकिस्तान भारत सहित सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों का पक्षधर है और बातचीत के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, “हम अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार हैं,लेकिन साथ ही,हम बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।”
भारत को इस गुप्त बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई,क्योंकि वह सुरक्षा परिषद का वर्तमान सदस्य नहीं है। हालाँकि,यह संभावना है कि भारत इस बैठक को पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मुद्दे को उठाने की कोशिश के रूप में देखेगा। भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और पाकिस्तान की इसमें कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
भारत यह भी मानता है कि पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठा कर ध्यान भटकाने की कोशिश करता है,जबकि असली मुद्दा पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद है।
इस बैठक ने भले ही कोई ठोस नतीजा न निकाला हो,लेकिन यह साफ हो गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में तनाव की बढ़ती स्थिति को लेकर चिंतित है। ऐसे समय में जब दोनों देशों के बीच संबंधों में ठंडापन है और जमीनी हालात संवेदनशील हैं, यह बैठक एक संकेत है कि अब अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी सक्रिय भूमिका निभाना चाहती है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का यह प्रयास दर्शाता है कि कूटनीति और संवाद ही आगे का रास्ता हो सकता है। हालाँकि,भारत और पाकिस्तान के बीच भरोसे की खाई गहरी है,लेकिन संवाद की संभावनाएँ अब भी जीवित हैं बशर्ते दोनों देश राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाएँ।