नई दिल्ली,7 मई (युआईटीवी)- भारत और ब्रिटेन के मध्य मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का सफल समापन हो गया है,जिससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में नया अध्याय जुड़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर ने मंगलवार को इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की।
इस समझौते के अनुसार,अब भारत से ब्रिटेन को होने वाले लगभग 99 प्रतिशत निर्यात पर शून्य सीमा शुल्क लागू होगा,जिससे भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाजारों तक बेहतर पहुँच मिलेगी और व्यापारिक संभावनाओं का नया द्वार खुलेगा।
इस समझौते को लेकर भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नेतृत्व में भारत न केवल आर्थिक प्रगति कर रहा है,बल्कि वैश्विक व्यापार का इंजन भी बनता जा रहा है। यह एफटीए इसी दिशा में एक निर्णायक कदम है।”
The India-UK FTA ushers a new era in trade between the two countries. Under PM @narendramodi ji’s leadership, India will be an engine of growth. This agreement will mean greater market access to Indian exporters. Industries and innovation can flourish.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) May 6, 2025
सीतारमण ने इस समझौते को भारतीय निर्यातकों के लिए ‘गेम चेंजर’ बताते हुए कहा कि इससे उन्हें ब्रिटिश बाजार तक आसान पहुँच मिलेगी और भारतीय उद्योग, इनोवेशन व मैन्युफैक्चरिंग को गति मिलेगी।
मिलान (इटली) में आयोजित नेक्स्ट मिलान फोरम में बोकोनी यूनिवर्सिटी के एक सत्र के दौरान सीतारमण ने द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर को आज की जरूरत बताते हुए कहा कि,“जहाँ पहले बहुपक्षीय समझौतों पर जोर था,अब वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए देशों के लिए द्विपक्षीय समझौते करना अधिक उपयुक्त हो गया है।”
वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के समझौते सिर्फ व्यापार नहीं,बल्कि सामरिक और आर्थिक स्थिरता का भी संकेत हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक,भारत-ब्रिटेन एफटीए एक व्यापक,दूरदर्शी और संतुलित समझौता है,जिसे दोनों देशों के बीच महीनों की गहन वार्ता के बाद अंतिम रूप दिया गया। यह न केवल वस्तुओं बल्कि सेवाओं,टेक्नोलॉजी और निवेश के क्षेत्र में भी सहयोग को मजबूती प्रदान करेगा।
यह समझौता विशेष रूप से भारत की टिकाऊ और समावेशी आर्थिक विकास रणनीति को समर्थन देने के लिए तैयार किया गया है। इसके तहत मजबूत सप्लाई चेन,बेहतर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी फोकस किया गया है।
वर्तमान में भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 60 अरब डॉलर के आसपास है। अनुमान है कि यह आँकड़ा 2030 तक दोगुना हो सकता है। एफटीए इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा।
इस समझौते के बाद भारत से ब्रिटेन को लगभग सभी प्रमुख श्रेणियों की वस्तुओं जैसे कपड़ा,ऑटो पार्ट्स,मशीनरी,फार्मास्युटिकल्स और कृषि उत्पादों के निर्यात को टैरिफ मुक्त पहुँच मिलेगी। यह भारत के मध्यम व लघु उद्योग (एमएसएमई) के लिए भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
भारत-ब्रिटेन एफटीए केवल व्यापार समझौता नहीं,बल्कि दो प्राचीन लोकतंत्रों के बीच विश्वास और सहयोग का प्रतीक है। इससे न केवल दो देशों के व्यापारिक संबंधों को नई दिशा मिलेगी,बल्कि यह वैश्विक व्यापार प्रणाली में भी भारत की उभरती भूमिका को मजबूत करेगा।
एफटीए को एक रणनीतिक,आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का अवसर माना जा रहा है, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता और निर्यात केंद्रित अर्थव्यवस्था को और बल मिलेगा।