रोम,9 मई (युआईटीवी)- अमेरिकी कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को रोमन कैथोलिक चर्च का नया पोप चुना गया है। गुरुवार को यह ऐलान आधिकारिक रूप से किया गया। ईसाई समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के अप्रैल में निधन के बाद पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर थीं कि अगला पोप कौन होगा और अब इस सवाल का जवाब अमेरिकी कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट के नाम के रूप में सामने आ गया है।
नए पोप के चयन की प्रक्रिया वेटिकन सिटी में पारंपरिक ढंग से पूरी हुई। 133 कार्डिनल्स की एक बैठक में वोटिंग कराई गई। इस चुनाव में जीत के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी और प्रीवोस्ट को कुल 89 वोट मिले। बहुमत मिलने के बाद उन्हें पोप नियुक्त किया गया। पोप बनने के बाद उन्होंने नया नाम “पोप लियो-14” चुना।
69 वर्षीय रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट इस मायने में ऐतिहासिक बन गए हैं,क्योंकि वे अमेरिका से चुने गए पहले पोप हैं। उनका जन्म 14 सितंबर,1955 को इलिनॉय के शिकागो में हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि उनके पास 2015 से पेरू की नागरिकता भी है,जो उनके अंतर्राष्ट्रीय अनुभव और व्यापक सेवा को दर्शाता है।
पोप लियो-14 के चुने जाने के बाद वेटिकन की परंपरा के अनुसार सिस्टीन चैपल पर स्थित चिमनी से सफेद धुआँ निकला। यह धुआँ दुनिया भर के ईसाइयों के लिए संकेत होता है कि नए पोप का चुनाव हो चुका है। इस दृश्य को देखने के लिए वेटिकन सिटी में मौजूद लगभग 45 हज़ार लोगों ने ज़ोरदार तालियों के साथ खुशी जताई।
नए पोप बनने के बाद पोप लियो-14 ने सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से स्पेनिश भाषा में लोगों को संबोधित किया। अपने पहले भाषण में उन्होंने सभी से दयाभाव और प्रेम बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि “दुनिया को एक-दूसरे के लिए और अधिक करुणा और सम्मान की ज़रूरत है।” उनका यह संबोधन शांति और एकता के संदेश से भरा था।
पोप लियो-14 का चयन रोमन कैथोलिक चर्च के इतिहास में एक नया अध्याय है। एक अमेरिकी कार्डिनल का पोप बनना इस बात का प्रतीक है कि चर्च अब वैश्विक प्रतिनिधित्व और विविधता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। उनकी दोहरी नागरिकता और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव यह संकेत देते हैं कि वे आने वाले वर्षों में चर्च को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।