जम्मू,10 मई (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर में हालात दिनों-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी गोलाबारी,ड्रोन हमलों और बमबारी के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ ) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने खास तौर पर पाकिस्तान को आईएमएफ द्वारा दिए गए फंड को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।
शनिवार सुबह उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दो बेहद भावनात्मक पोस्ट किए। पहले पोस्ट में उन्होंने राजौरी जिले में पाकिस्तान की गोलाबारी में शहीद हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि दी। वहीं दूसरे पोस्ट में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी और आईएमएफ के फैसले पर आश्चर्य और आक्रोश जताया।
उन्होंने लिखा, “मुझे समझ नहीं आता कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय उपमहाद्वीप में बढ़ते तनाव को कैसे कम करने के बारे में सोच सकता है, जब आईएमएफ पाकिस्तान को उन सभी हथियारों के लिए पैसे दे रहा है,जिनका इस्तेमाल वह पुंछ,राजौरी,उरी, तंगधार और कई अन्य स्थानों को तबाह करने में कर रहा है।”
उमर अब्दुल्ला के इस बयान ने पूरे राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है। उन्होंने सीधे तौर पर आईएमएफ की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये फंड कहीं न कहीं भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं।
शनिवार की सुबह राजौरी जिले में पाकिस्तान की ओर से भारी गोलाबारी और मोर्टार दागे गए,जिनमें जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राज कुमार थापा शहीद हो गए। थापा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर (एडीडीसी) के पद पर तैनात थे।
मुख्यमंत्री ने भावुक होकर कहा कि, “राजौरी से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। हमने जम्मू-कश्मीर प्रशासन सेवा के अधिकारी को खो दिया। अभी कल ही वे उपमुख्यमंत्री संग जिले का दौरा कर रहे थे और मेरी अध्यक्षता में ऑनलाइन बैठक में भी शामिल हुए थे। आज पाकिस्तान की ओर से उनके आवास पर गोलाबारी हुई, जिसमें वे शहीद हो गए।”
थापा की शहादत ने पूरे प्रशासनिक अमले और आम जनता को झकझोर कर रख दिया है। यह पहली बार है,जब किसी वरिष्ठ सिविल अधिकारी को इस तरह सीमा पार से हो रही गोलाबारी में जान गंवानी पड़ी है।
उमर अब्दुल्ला शुक्रवार को जम्मू पहुँचे थे और उन्होंने सीमावर्ती जिलों जम्मू,सांबा, कठुआ,राजौरी और पुंछ के हालात का जायजा लिया। उन्होंने मिश्रीवाला,नागबनी, बिश्नाह और ठंडी खुई में स्थापित राहत शिविरों का दौरा किया और विस्थापित परिवारों से मुलाकात कर उनकी परेशानियाँ सुनीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार लोगों की सुरक्षा और राहत के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया है कि सीमा पर रह रहे नागरिकों को जल्द-से-जल्द सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए और उन्हें भोजन,पानी,दवा और जरूरी सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
जम्मू-कश्मीर में बीते तीन दिनों से पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों का सिलसिला जारी है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार,इन ड्रोन से हथियार,विस्फोटक और कभी-कभी निगरानी उपकरण गिराए जा रहे हैं। हालाँकि,भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर ड्रोन को मार गिराया है,लेकिन कुछ ड्रोन सफलतापूर्वक भारतीय सीमा में प्रवेश कर गए हैं।
शनिवार की सुबह श्रीनगर में दो जोरदार धमाके हुए,जिससे इलाके में दहशत फैल गई। इसके अलावा,अखनूर कस्बे में तीन बड़े धमाकों की आवाजें सुनी गईं। पुंछ में भी गोलाबारी और धमाकों की खबर है। सुरक्षा एजेंसियाँ पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट पर हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के पाँच जिलों जम्मू,सांबा,कठुआ, राजौरी और पुंछ में सभी स्कूल,कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए हैं। प्रशासन ने ऐहतियातन शुक्रवार शाम को जम्मू शहर में पूरी तरह ब्लैकआउट कर दिया था। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी सीमित कर दिया गया है।
स्थिति की अगली समीक्षा 12 मई को की जाएगी,जिसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि शिक्षण संस्थानों को कब तक बंद रखना है।
उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को फंड देने वाले अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और विशेषकर आईएमएफ पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जब पाकिस्तान इन पैसों से हथियार खरीद रहा है और भारत पर हमले कर रहा है,तब कैसे दुनिया “शांति” की बातें कर सकती है?
उनका यह बयान उन लोगों की भावनाओं को आवाज दे रहा है,जो लगातार यह महसूस कर रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकी रवैये को लेकर पर्याप्त दबाव नहीं डाला जा रहा।
जम्मू-कश्मीर में हालात बेहद संवेदनशील हैं। राजौरी में अधिकारी की शहादत, सीमावर्ती इलाकों में धमाके,ड्रोन हमले और पाकिस्तान की बर्बरता के बीच उमर अब्दुल्ला का आईएमएफ को लेकर दिया गया बयान राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति के लिए एक अहम मुद्दा बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अब यह तय करना होगा कि आर्थिक सहायता के नाम पर पाकिस्तान को हथियार खरीदने की छूट देना क्या वास्तव में शांति के हित में है?