अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@mdzishan0786)

डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में जारी युद्ध को लेकर नेतन्याहू का समर्थन किया,कहा मैं नेतन्याहू से निराश नहीं

वाशिंगटन,17 मई (युआईटीवी)- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में आ गए हैं,जब उन्होंने गाजा संकट के बीच इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का खुलकर बचाव किया और गाजा को लेकर अमेरिका की सक्रिय भूमिका की पैरवी की। फॉक्स न्यूज को दिए गए साक्षात्कार में ट्रंप ने इज़रायल,गाजा,हमास और अमेरिकी रणनीति पर अपने विचार साझा किए,जिनमें से कई बिंदु आने वाले समय में वैश्विक कूटनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

जब पत्रकार ब्रेट बैयर ने ट्रंप से पूछा कि क्या वे नेतन्याहू के रवैये से निराश हैं,तो ट्रंप ने कहा, “नहीं, देखिए, उनके सामने मुश्किल स्थिति है।” ट्रंप ने इस दौरान 7 अक्टूबर 2023 की उस घटना की ओर ध्यान दिलाया,जिसे उन्होंने “दुनिया के इतिहास के सबसे हिंसक दिनों में से एक” कहा। ट्रंप का इशारा हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमले की ओर था,जिसके बाद से गाजा पट्टी में हिंसक संघर्ष जारी है।

ट्रंप ने कहा कि दुनिया इस हमले को भूलती जा रही है,लेकिन इसने इज़रायली नेतृत्व को गहरे आघात पहुँचाया है। उन्होंने नेतन्याहू को एक ‘गुस्सैल लेकिन साहसी’ नेता बताया जो कठिन परिस्थितियों में मजबूती से खड़ा है।

ट्रंप ने गाजा पट्टी की स्थिति को ‘खराब’ और ‘दुखद’ करार देते हुए कहा, “गाजा एक बुरा स्थान है। यह सालों से ऐसा ही है। मुझे लगता है कि इसे एक मुक्त क्षेत्र बन जाना चाहिए।”

उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि ट्रंप गाजा को पूरी तरह से हमास के नियंत्रण से मुक्त कर एक ऐसा इलाका बनाना चाहते हैं,जहाँ विकास,शांति और मानवता की बात की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि गाजा में बहुत से लोग भूख से मर रहे हैं और अगले महीने बहुत सी “अच्छी चीज़ें” होने की उम्मीद जताई।

ट्रंप ने इस इंटरव्यू और अपनी यात्रा के दौरान कई बार दोहराया कि अमेरिका को गाजा की स्थिति को ‘संभालने’ में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका अगर वहाँ हस्तक्षेप करता है,तो उसे गाजा को ‘स्वतंत्रता क्षेत्र’ घोषित करना चाहिए।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे गाजा में इज़रायली सैन्य योजनाओं का समर्थन करते हैं,तो ट्रंप ने कूटनीतिक तरीके से जवाब दिया, “गाजा में बहुत से लोग भूख से मर रहे हैं। हमें दोनों पक्षों को देखना होगा।”

इसका साफ मतलब है कि ट्रंप एकतरफा कार्रवाई के पक्ष में नहीं हैं,बल्कि वे चाहते हैं कि अमेरिका,इज़रायल और अरब देश मिलकर गाजा को स्थिर करने के लिए साझा प्रयास करें।

मध्य पूर्व की अपनी यात्रा के दौरान ट्रंप ने सऊदी अरब,कतर और संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया,लेकिन उन्होंने इज़रायल में रुकने से परहेज किया। इस पर उठे सवालों के जवाब में ट्रंप ने साफ किया कि वह नेतन्याहू से नाराज़ नहीं हैं,बल्कि उनका फोकस फिलहाल उन देशों पर है,जो समाधान का हिस्सा बन सकते हैं।

उन्होंने कहा, “मैंने उन तीनों देशों से बात की। वे निश्चित रूप से समाधान का हिस्सा होंगे। वे वाकई बहुत अमीर हैं और अच्छे लोग हैं। पैसा कोई समस्या नहीं है। हमें बस यह तय करना है कि वे इसमें मदद करें।” यह बयान स्पष्ट करता है कि ट्रंप चाहते हैं कि खाड़ी के अमीर देश गाजा के पुनर्निर्माण में आर्थिक और राजनीतिक रूप से योगदान दें।

गाजा की स्थिति पर बात करते हुए ट्रंप ने हमास पर भी कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “उनके पास हमास है। हर जगह हर कोई मारा जा रहा है। आपने कभी अपराध के आँकड़ों के बारे में बात की है? यह एक बुरी जगह है।”

यह बयान हमास के खिलाफ ट्रंप के रुख को दर्शाता है। वे गाजा को हिंसा, अराजकता और आतंकवाद से मुक्त कर एक विकासशील और शांतिपूर्ण क्षेत्र में बदलना चाहते हैं।

ट्रंप ने यह स्वीकार किया कि गाजा में भुखमरी और मानवीय संकट गहरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीने में अमेरिका कई “अच्छे कदम” उठाएगा,जिससे गाजा के लोगों को राहत मिल सके। “बहुत से लोग भूख से मर रहे हैं। बहुत सी बुरी चीजें हो रही हैं। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।” यह बयान ट्रंप की सहानुभूतिपूर्ण कूटनीति को दर्शाता है,जो सिर्फ सैन्य हस्तक्षेप नहीं,बल्कि मानवता आधारित समाधान की भी बात करता है।

ट्रंप के बयानों के दौरान ही खबर आई कि इज़रायली सेना ने गाजा में जबरदस्त एयरस्ट्राइक की है,जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। गाजा सिविल डिफेंस के अनुसार,उत्तर में जबाल्या और दक्षिण में खान यूनिस सबसे अधिक प्रभावित हुए।

यह घटनाक्रम दर्शाता है कि क्षेत्र में तनाव अभी भी चरम पर है और ऐसी स्थिति में ट्रंप जैसे प्रभावशाली नेताओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।

डोनाल्ड ट्रंप का यह रुख इशारा करता है कि वे गाजा संकट को सिर्फ इज़रायल-फिलिस्तीन का मुद्दा नहीं,बल्कि एक वैश्विक मानवीय समस्या मानते हैं। उनकी सोच यह है कि गाजा को सैन्य कब्जे से हटाकर एक स्वतंत्र,शांतिपूर्ण और विकसित क्षेत्र बनाया जाए,जिसमें अरब देश आर्थिक मदद करें और अमेरिका नेतृत्व करे।

जहाँ एक ओर ट्रंप ने नेतन्याहू का समर्थन किया,वहीं दूसरी ओर गाजा के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति भी जताई। यह दोहरे संतुलन की राजनीति उनकी रणनीतिक समझ को दर्शाती है।

अब देखना यह होगा कि ट्रंप की इस सोच को वैश्विक समर्थन मिलता है या नहीं,लेकिन इतना तय है कि उनका नजरिया गाजा संकट के समाधान में नई दिशा दे सकता है।