इंडिगो (तस्वीर क्रेडिट@JaikyYadav16)

पाकिस्तान की नापाक हरकत फिर से हुई बेनकाब,आपात स्थिति में भी नहीं दी भारतीय विमान को एयरस्पेस की इजाजत,227 यात्रियों की जान खतरे में थी

नई दिल्ली, 23 मई (युआईटीवी)- भारत-पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों में भले ही समय-समय पर उतार-चढ़ाव आते रहे हों,लेकिन जब बात मानवता और आपात स्थिति की होती है,तो उम्मीद की जाती है कि राजनीतिक खींचतान से ऊपर उठकर फैसले लिए जाएँगे। मगर बुधवार को जो घटना हुई,उसने पाकिस्तान की नीयत और रवैये को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया।

दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट संख्या 6E2142 में 227 यात्री सवार थे। इनमें आम नागरिकों के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पाँच सांसद डेरेक ओ’ब्रायन,नदीमुल हक,सागरिका घोष,मानस भुनिया और ममता ठाकुर भी शामिल थे। यह फ्लाइट एक सामान्य घरेलू यात्रा पर थी,लेकिन अमृतसर के ऊपर उड़ते समय अचानक मौसम बिगड़ गया।

तेज आँधी,ओलावृष्टि और अत्यधिक टर्बुलेंस ने फ्लाइट को खतरनाक स्थिति में ला खड़ा किया। विमान के नोज (सामने का हिस्सा) पर ओलों की मार से गंभीर क्षति हुई और पायलट को तत्काल निर्णय लेना पड़ा।

पायलट ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए लाहौर एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) से संपर्क किया और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने की इजाजत माँगी,ताकि विमान सुरक्षित रूप से खराब मौसम से बाहर निकल सके। यह एक अंतर्राष्ट्रीय एविएशन प्रोटोकॉल है कि आपात स्थिति में किसी भी देश का एयरस्पेस मानवता के आधार पर खोला जाता है,लेकिन पाकिस्तान ने इस अपील को सिरे से खारिज कर दिया।

यह फैसला सिर्फ एक औपचारिक इनकार नहीं था,बल्कि यह 227 निर्दोष जिंदगियों के साथ खुलेआम खिलवाड़ था,अगर पायलट ने सूझबूझ न दिखाई होती,तो शायद हम आज एक बड़ी विमान दुर्घटना की खबर पढ़ रहे होते।

यह घटना एक ऐसे समय पर हुई है,जब भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई संबंध पहले से ही बंद हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान की विमानन कंपनियों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया था और पाकिस्तान ने भी उसी तरह जवाबी कार्रवाई की थी। दोनों देशों के बीच यह हवाई प्रतिबंध एक कूटनीतिक प्रतिरोध बन चुका है।

लेकिन क्या यह प्रतिबंध आपातकालीन मानवीय स्थितियों में भी लागू होना चाहिए? क्या राजनीतिक नीतियों के चलते 227 जिंदगियों को दांव पर लगाना तर्कसंगत है?

जब पाकिस्तान ने एयरस्पेस के उपयोग की अनुमति नहीं दी,तो पायलट को उसी रूट पर आगे बढ़ना पड़ा,जहाँ मौसम लगातार खराब होता जा रहा था। ओलों की वजह से विमान को भारी झटकों का सामना करना पड़ा,लेकिन पायलट ने धैर्य और विवेक से काम लेते हुए विमान को श्रीनगर हवाई अड्डे पर सफलतापूर्वक इमरजेंसी लैंडिंग करवा दी।

डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने इस घटना की जाँच शुरू कर दी है। फ्लाइट के यात्रियों ने बताया कि टर्बुलेंस इतना भयानक था कि कुछ पल के लिए ऐसा लगा जैसे विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा। कई यात्रियों ने इसे अपने जीवन का सबसे डरावना अनुभव बताया।

इंडिगो एयरलाइंस ने बयान जारी कर कहा कि उनकी फ्लाइट संख्या 6E2142 को खराब मौसम और ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा था। कंपनी ने कहा कि उनके चालक दल ने सभी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया और विमान को सुरक्षित रूप से श्रीनगर में उतारा गया। इसके बाद एयरपोर्ट स्टाफ ने यात्रियों की मदद और देखभाल की।

यह घटना सिर्फ एक विमान की तकनीकी आपात स्थिति नहीं है,बल्कि यह पाकिस्तान की अड़ियल और अमानवीय कूटनीति का परिचायक बन गई है। जब एक देश के सामने इंसानियत और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करने का मौका आता है,तब वह अपनी छोटी-छोटी राजनीतिक कुंठाओं को प्राथमिकता देता है,तो यह न सिर्फ उस देश की छवि खराब करता है,बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उसे आलोचना का पात्र बनाता है।

पाकिस्तान यदि भारत के नागरिक विमान को हवाई क्षेत्र उपयोग की अनुमति दे देता, तो यह दोनों देशों के बीच मानवता के पुल के रूप में कार्य करता,लेकिन दुर्भाग्यवश, ऐसा नहीं हुआ।

यह घटना भारत के लिए एक चेतावनी है कि पड़ोसी देश के साथ कोई भी संवाद या नीति निर्धारण करते समय वास्तविकता की जमीन पर सोचना होगा। भारत को अब अपनी घरेलू उड़ानों की सुरक्षा रणनीतियों में ऐसे विकल्प शामिल करने चाहिए,जहाँ वह शत्रु देशों के एयरस्पेस पर निर्भर न रहे। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस घटना को मानवाधिकार और एविएशन से जुड़े नियमों के उल्लंघन के रूप में भी उठाया जाना चाहिए।

227 जिंदगियों पर खतरे की घड़ी थी,लेकिन शुक्र है कि पायलट की होशियारी और एयरलाइंस के संयमित रवैये के कारण एक बड़ी दुर्घटना टल गई,लेकिन इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान की ‘नापाक सोच’ को बेनकाब कर दिया है,जहाँ राजनीतिक प्रतिशोध को मानवता से ऊपर रखा जाता है।

यह सवाल अब भारत सरकार, अंतर्राष्ट्रीय विमानन एजेंसियों और वैश्विक समाज के सामने है। क्या ऐसी परिस्थितियों में भी एक देश को मानवता के न्यूनतम मानकों को दरकिनार करने की इजाजत दी जा सकती है?

यह सिर्फ उड़ान 6E2142 की कहानी नहीं है,यह भारत और पाकिस्तान के बीच भरोसे,कूटनीति और इंसानियत की अग्निपरीक्षा है,जिसमें पाकिस्तान एक बार फिर से असफल साबित हुआ है।