नई दिल्ली,12 जुलाई (युआईटीवी)- भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के हालिया बयान ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों में हलचल मचा दी है। शुक्रवार को डोभाल ने पहली बार आधिकारिक रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल क्रियान्वयन की पुष्टि करते हुए पाकिस्तान के भीतर चल रहे आतंकी ठिकानों को बेहद सटीक तरीके से नष्ट करने का दावा किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत ने 23 मिनट के ऑपरेशन में पाकिस्तान की सीमा के भीतर मौजूद 9 आतंकवादी ठिकानों को खामोशी से खत्म किया और इस दौरान कोई चूक नहीं हुई।
अपने बयान में डोभाल ने यह भी जोड़ा कि, “अगर भारत के इस ऑपरेशन में कुछ गलत हुआ होता या आम नागरिकों को नुकसान पहुँचा होता,तो पाकिस्तान अब तक उपग्रह चित्र,फोटो या कोई अन्य प्रमाण दिखा चुका होता। हम जानते थे कौन कहाँ है और हमने उसे ही निशाना बनाया। एक भी खिड़की का शीशा तक नहीं टूटा वहाँ,जो नहीं टूटना था।”
डोभाल के इस आत्मविश्वासी और सीधा बयान ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है। विशेषकर जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को चुनौती देते हुए सबूत पेश करने की बात कही,तो यह पाकिस्तान के लिए सीधी राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौती बन गई।
डोभाल के बयान के अगले ही दिन यानी शनिवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत पर तीखा हमला बोला। प्रवक्ता शफकत अली खान ने इस बयान को “झूठा प्रचार और तोड़फोड़ पर आधारित” बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि डोभाल का यह दावा संप्रभुता का उल्लंघन है और यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ है।
शफकत ने यह भी कहा कि, “भारत ने जिन ठिकानों को आतंकी अड्डा बताया है,वह वास्तव में आम नागरिकों के इलाके थे। वहाँ निर्दोष नागरिक मारे गए। भारत इस ऑपरेशन पर घमंड कर रहा है,जबकि यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है।”
पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने की तैयारी में जुट गया है। प्रवक्ता ने कहा कि अब समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के इन कथित हमलों पर संज्ञान ले और उचित कार्रवाई करे। पाकिस्तान का दावा है कि अगर भारत को नहीं रोका गया,तो इस तरह की कार्रवाई क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देगी।
वहीं पाकिस्तान की राजनीतिक गलियों में भी इस मुद्दे को लेकर खलबली है। इमरान खान गुट और कुछ कट्टरपंथी नेताओं ने इसे भारत की आक्रामक विदेश नीति और सैन्य दुस्साहस का उदाहरण बताते हुए सरकार से जवाब माँगा है कि आखिर पाकिस्तान इन हमलों का जवाब क्यों नहीं दे पा रहा।
भारत के लिए यह ऑपरेशन और डोभाल का बयान एक रणनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। भारत ने न केवल सीमा पार मौजूद आतंकी ठिकानों को खत्म किया,बल्कि उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर यह भी दर्शा दिया कि अब वह केवल रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक रक्षा नीति अपना चुका है।
डोभाल का यह बयान,जिसमें उन्होंने कहा कि “हमें मालूम था कि कहाँ हमला करना है और कहाँ नहीं”,इस बात की पुष्टि करता है कि भारत की खुफिया एजेंसियाँ बेहद सक्रिय और सटीक रूप से काम कर रही हैं।
डोभाल की तरफ से इस तरह का बयान सार्वजनिक रूप से पहली बार आया है। यह शायद भारत की ओर से एक बड़ा साइकोलॉजिकल और कूटनीतिक हथियार है,जो पाकिस्तान पर मानसिक दबाव बढ़ाने के लिए प्रयोग किया गया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि अगर पाकिस्तान प्रॉक्सी आतंकवाद से बाज नहीं आया,तो भारत अब सीमा के भीतर घुसकर भी कार्रवाई करने से नहीं झिझकेगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर डोभाल का बयान और पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाती है कि भारत अब पुराने ढर्रे से हटकर नई नीति अपना चुका है,जिसमें आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करना और फिर उसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुलासा करना शामिल है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के आरोपों पर गौर करता है या भारत की सटीक और साहसी रणनीति को समर्थन देता है,लेकिन फिलहाल एक बात स्पष्ट है कि भारत की नई सुरक्षा नीति अब ज्यादा मुखर, निर्णायक और जवाबी कार्रवाई की ओर झुकी हुई है।