मुंबई,30 जुलाई (युआईटीवी)- देश की प्रमुख आईवियर रिटेल कंपनी लेंसकार्ट ने जब हाल ही में अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास आईपीओ के लिए दाखिल किया,तो उसमें एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया। कंपनी के सह-संस्थापकों में शामिल और मौजूदा समय में ग्लोबल सोर्सिंग हेड की जिम्मेदारी निभा रहे सुमित कपाही की शैक्षणिक डिग्री और मार्कशीट गायब है। यह जानकारी खुद कंपनी ने डीआरएचपी दस्तावेजों में दी है,जिससे बाजार और निवेशकों के बीच हलचल मच गई है।
डीआरएचपी में बताया गया है कि कपाही ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम (ऑनर्स) की पढ़ाई की है,लेकिन उन्हें अपनी डिग्री और मार्कशीट की प्रतियाँ नहीं मिल रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को इस बाबत कई ईमेल और पत्र भेजे हैं। इसके अलावा,विश्वविद्यालय के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी उन्होंने दस्तावेज़ों की प्रतियाँ प्राप्त करने के प्रयास किए हैं,लेकिन अब तक उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला है। डीआरएचपी दस्तावेज़ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती कि दिल्ली विश्वविद्यालय उनके अनुरोधों का समय पर उत्तर देगा या भविष्य में वे आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त कर पाएंगे।
कंपनी ने यह स्वीकार किया है कि यह स्थिति संभावित निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकती है,क्योंकि सार्वजनिक लिस्टिंग से पहले प्रमोटरों और शीर्ष अधिकारियों की शैक्षणिक योग्यता की पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण मुद्दा होती है। हालाँकि,यह भी उल्लेख किया गया है कि सुमित कपाही का कंपनी के संचालन, रणनीति और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों के साथ साझेदारी के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है और यह अनुभव कंपनी की विकास यात्रा में अहम रहा है।
कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार,कपाही लेंसकार्ट के प्रारंभिक दौर में पीयूष बंसल और अमित चौधरी के बाद जुड़ने वाले तीसरे सह-संस्थापक थे। उन्होंने नेहा बंसल और रमणीक खुराना के साथ भी कंपनी की नींव रखी। कपाही को वैश्विक आईवियर ब्रांडों के साथ काम करने का गहरा अनुभव है और उन्होंने आपूर्ति श्रृंखला तथा सोर्सिंग के क्षेत्र में लेंसकार्ट को एक मजबूत स्थिति में पहुँचाया है।
लेंसकार्ट का आईपीओ भारतीय स्टॉक मार्केट में एक बड़े आयोजन के रूप में देखा जा रहा है। डीआरएचपी के अनुसार,कंपनी आईपीओ के तहत 2,150 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी,जबकि मौजूदा निवेशक और प्रमोटर 13.2 करोड़ शेयरों की बिक्री करेंगे। इसका अर्थ यह है कि एक बड़ा हिस्सा ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के तहत जारी किया जाएगा। इस आईपीओ का प्रबंधन देश और दुनिया के प्रमुख वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जा रहा है,जिनमें कोटक महिंद्रा कैपिटल, मॉर्गन स्टेनली इंडिया,एवेंडस कैपिटल,सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया,एक्सिस कैपिटल और इंटेंसिव फिस्कल सर्विसेज जैसे नाम शामिल हैं।
लेंसकार्ट ने 26 जुलाई को आयोजित अपनी वार्षिक आम बैठक में सार्वजनिक लिस्टिंग के प्रस्ताव को आधिकारिक मंजूरी दी थी। इस मंजूरी के बाद से ही कंपनी के आईपीओ की तैयारियाँ तेज हो गई थीं और निवेशकों में कंपनी के शेयर बाजार में उतरने को लेकर उत्साह भी देखने को मिल रहा है। यह आईपीओ लेंसकार्ट के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है,जिससे कंपनी को नई पूँजी जुटाने और अपने अंतर्राष्ट्रीय विस्तार की योजनाओं को गति देने में मदद मिलेगी।
हालाँकि,सुमित कपाही की डिग्री और मार्कशीट गायब होने का मामला कंपनी की पारदर्शिता और नियामकीय अनुपालन के लिहाज़ से गंभीर माना जा रहा है। निवेशकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मुद्दे का शीघ्र समाधान हो और आवश्यक दस्तावेजों की उपलब्धता को लेकर स्पष्टता लाई जाए। भविष्य में यह देखा जाना बाकी है कि क्या दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्हें वांछित दस्तावेज प्राप्त हो पाते हैं या नहीं,लेकिन इतना तय है कि आईपीओ से पहले इस प्रकार की जानकारी सार्वजनिक होना लेंसकार्ट की छवि और निवेशकों की धारणा पर असर डाल सकता है।