एयर इंडिया विमान हादसा (तस्वीर क्रेडिट@sdineshaa)

अहमदाबाद विमान हादसे पर एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: टेक-ऑफ के 3 सेकंड बाद दोनों इंजन बंद

नई दिल्ली,12 जुलाई (युआईटीवी)- 12 जून,2025 को एअर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 के साथ हुआ अहमदाबाद विमान हादसा अब तकनीकी और जाँच एजेंसियों के केंद्र में है। इस हादसे को लेकर एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी ) की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आई है,जिसने कई चौंकाने वाले पहलुओं पर से पर्दा उठाया है।

रिपोर्ट के अनुसार,टेक-ऑफ के केवल तीन सेकंड बाद ही दोनों इंजनों की ईंधन आपूर्ति अचानक बंद हो गई थी,जबकि विमान का टेक-ऑफ वजन और ईंधन मात्रा दोनों मानक के भीतर थे। इस घटना के बाद महज 29 सेकंड में विमान क्रैश हो गया, जिससे एविएशन सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

एएआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक,बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (वीटी-एएनबी) जब अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भर रहा था,तब टेक-ऑफ के 3 सेकंड बाद ही दोनों इंजनों की फ्यूल सप्लाई अचानक बंद हो गई। इससे विमान की पंखे की गति गिरने लगी और विमान हवाई अड्डे की सीमा की दीवार को पार करने से पहले ही नीचे गिरने लगा।

रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि विमान में 54,200 किलोग्राम ईंधन था और टेक-ऑफ के समय उसका कुल वजन 2,13,401 किलोग्राम था,जो अधिकतम अनुमत वजन 2,18,183 किलोग्राम से कम था। इसके बावजूद ईंधन की आपूर्ति कट जाना एक असाधारण तकनीकी विफलता के संकेत देता है।

जाँच एजेंसी ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) का विश्लेषण भी किया है, जिसमें दोनों पायलटों के बीच की बातचीत दर्ज है। टेक-ऑफ के तुरंत बाद एक पायलट दूसरे से पूछता है,
“तुमने कटऑफ क्यों किया?”
जिस पर जवाब मिलता है,
“मैंने नहीं किया।”

इस बातचीत से यह संकेत मिलता है कि फ्यूल कटऑफ स्विच किसी पायलट द्वारा जानबूझकर नहीं किया गया,बल्कि यह स्वचालित रूप से या तकनीकी गड़बड़ी के चलते हुआ। अब इस दिशा में गहराई से जाँच जारी है।

रिपोर्ट बताती है कि टेक-ऑफ के समय विमान ने 180 नॉट्स की रफ्तार हासिल की थी और ठीक उसी वक्त दोनों इंजनों के फ्यूल कटऑफ स्विच ‘रन’ से ‘कटऑफ’ में बदल गए। इन दोनों स्विच के एक्टिवेशन में केवल 1 सेकंड का अंतर था,जिससे लगता है कि कोई सिंक्रोनाइज्ड फॉल्ट या सिस्टम गड़बड़ी हो सकती है।

इस बेहद संकटपूर्ण स्थिति में पायलटों ने दोनों इंजनों को दोबारा शुरू करने की कोशिश की। इंजन-1 तो कुछ हद तक रिकवर होने लगा,लेकिन इंजन-2 लगातार कोशिशों के बावजूद पर्याप्त गति नहीं पकड़ सका। पायलटों ने बार-बार फ्यूल रीइंट्रोड्यूस करने की कोशिश की,लेकिन सफलता नहीं मिली।

एएआईबी ने विमान के मेंटेनेंस रिकॉर्ड की भी जाँच की है। रिपोर्ट के अनुसार,थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल को वर्ष 2019 और 2023 में बदला गया था,लेकिन उसका फ्यूल कटऑफ घटना से कोई संबंध नहीं पाया गया।

वहीं,फ्यूल कटऑफ स्विच को लेकर 2023 के बाद कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सिस्टम में कोई अज्ञात तकनीकी खामी थी,जो अब गहराई से जाँच का विषय है।

एएआईबी ने अभी तक बी787-8 विमान या जीई जीईएनएक्स-1बी इंजन ऑपरेटर्स के लिए कोई विशेष सेफ्टी अलर्ट या चेतावनी जारी नहीं की है। हालाँकि,एजेंसी ने कहा है कि वे अन्य तकनीकी दस्तावेजों और सिस्टम रिकॉर्ड्स की भी समीक्षा कर रही है और डिटेल्ड फाइनल रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

हादसे के बाद एअर इंडिया ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि कंपनी जाँच एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग कर रही है और रिपोर्ट के हर पहलू पर निगरानी रख रही है। एयरलाइन ने यह भी कहा कि यात्री सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है और ऐसी घटनाओं की दोबारा पुनरावृत्ति न हो,इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएँगे।

एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट ने इस हादसे को एक रूटीन विफलता मानने की संभावना को काफी हद तक खत्म कर दिया है। ईंधन की आपूर्ति का अचानक बंद हो जाना,वह भी टेक-ऑफ के ठीक बाद,एविएशन टेक्नोलॉजी और सेफ्टी मैकेनिज़्म पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

इस घटना ने यह भी दिखाया कि आपात स्थिति में पायलटों की प्रतिक्रिया और विमान के ऑटोमैटिक सिस्टम के बीच समन्वय कितना जरूरी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि एएआईबी की अंतिम रिपोर्ट में तकनीकी कारणों की पुष्टि कैसे होती है और क्या कोई डिजाइन दोष,सॉफ्टवेयर फेल्योर या इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेरेंस इसकी जड़ में है।

लेकिन फिलहाल इतना तय है कि यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं,बल्कि एक तकनीकी चेतावनी है,जिसे हल्के में लेना एविएशन इंडस्ट्री के लिए घातक हो सकता है।