नई दिल्ली,12 जुलाई (युआईटीवी)- 12 जून,2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने न केवल भारत बल्कि वैश्विक एविएशन जगत को झकझोर कर रख दिया। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान ने अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद क्रैश लैंडिंग की,जिसमें 230 में से 229 यात्रियों की मौत हो गई और केवल एक यात्री जीवित बचा।
घटना के बाद से इस हादसे के तकनीकी कारणों और संभावित मानवीय त्रुटियों पर बहस छिड़ गई है। अब इस विषय पर एविएशन सेफ्टी एक्सपर्ट मार्क मार्टिन नेमहत्वपूर्ण और व्यावसायिक विश्लेषण पेश किया है।
मार्क मार्टिन,जो कि एशिया की अग्रणी एविएशन सेफ्टी कंसल्टिंग कंपनी ‘मार्टिन कंसल्टिंग’ के सीईओ हैं, उन्होंने साफ तौर पर कहा कि, “कोई भी प्रशिक्षित पायलट इतना बेवकूफ या लापरवाह नहीं हो सकता कि टेकऑफ के दौरान कॉकपिट के ईंधन नियंत्रण स्विच से जानबूझकर छेड़छाड़ करे।”
मार्टिन ने जोर देकर कहा कि टेकऑफ और लैंडिंग दो सबसे क्रिटिकल चरण होते हैं,जिनमें पायलट का पूरा ध्यान केवल फ्लाइट इंस्ट्रूमेंट्स और विमान के नियंत्रण पर होता है। ऐसे समय में स्विच को गलती से छूना भी असंभव के करीब है।
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की शुरुआती जाँच रिपोर्ट के अनुसार, विमान के दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच एक के बाद एक रन से कटऑफ में बदल गए। इसके चलते दोनों इंजन बंद हो गए और टेकऑफ के सिर्फ 29 सेकंड बाद विमान क्रैश हो गया।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में यह सुना गया कि एक पायलट दूसरे से पूछता है, “तुमने कटऑफ क्यों किया?”,जवाब में कहा गया, “मैंने नहीं किया।”
यह संवाद दर्शाता है कि यह क्रिया या तो स्वचालित रूप से हुई या फिर इसमें तकनीकी गड़बड़ी का हाथ हो सकता है।
मार्टिन ने बताया कि टेकऑफ के समय पायलट का मुख्य ध्यान थ्रस्ट (गति) बनाए रखने,लैंडिंग गियर ऊपर करने और फ्लैप्स की स्थिति कंट्रोल करने पर होता है।
इस समय कोई भी पायलट पीछे लगे फ्यूल कंट्रोल स्विच की ओर देखने या छूने की कोशिश नहीं करता। उन्होंने कहा कि यह लगभग असंभव है कि कोई स्विच खुद से कटऑफ पोजीशन में चला जाए,जब तक कि उसमें इलेक्ट्रॉनिक या सिस्टम लेवल गड़बड़ी न हो।
मार्क मार्टिन ने कहा कि अगर यह घटना किसी ऑटोमेशन फेल्योर या फ्यूल कंट्रोल सिस्टम की खराबी के कारण हुई है,तो यह सिर्फ एयर इंडिया ही नहीं,बल्कि सभी बोइंग 787 ऑपरेटरों के लिए एक चेतावनी है। ऐसे में बोइंग और अन्य नियामकों को इस पर तत्काल टेक्निकल बुलिटिन जारी करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार,दोनों पायलटों ने उड़ान से पहले पर्याप्त आराम लिया था। उनका ब्रेथ एनालाइज़र टेस्ट भी क्लियर था। को-पायलट टेकऑफ के समय विमान उड़ा रहा था,जबकि मुख्य पायलट निगरानी कर रहा था। इससे साफ है कि मानव स्तर की थकान या ध्यान में कमी की आशंका कम है।
विमान में 230 यात्री थे (15 बिजनेस, 215 इकोनॉमी) और टेकऑफ के समय फ्यूल सप्लाई 54,200 किलोग्राम थी। विमान का टेकऑफ वजन 2,13,401 किलोग्राम, जो अनुमत सीमा से कम था। 180 नॉट्स की रफ्तार पर ही दोनों इंजन बंद हो गए और क्रैश का समय टेकऑफ के मात्र 29 सेकंड बाद का था।
इन तथ्यों से यह भी जाहिर होता है कि विमान की ओवरलोडिंग,ईंधन की कमी या थ्रस्ट असंतुलन जैसी समस्याएँ नहीं थीं।
मार्टिन ने कहा कि यह केवल शुरुआती रिपोर्ट है और हमें एएआईबी की विस्तृत जाँच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। जब तक सभी एविडेंस नहीं आ जाते,तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।
हालाँकि,इस तरह की घटना को गंभीर चेतावनी के रूप में लेना चाहिए क्योंकि इससे न केवल यात्रियों का भरोसा डगमगाता है,बल्कि यह एविएशन इंडस्ट्री की साख पर भी चोट करता है।
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार,यह हादसा मानव भूल से अधिक तकनीकी प्रणाली में खामी का संकेत देता है। यदि ऐसा है,तो बोइंग को अपने 787 ड्रीमलाइनर मॉडल के सिस्टम्स की समीक्षा करनी पड़ेगी।
इस दुखद घटना ने 229 लोगों को खोने वाले परिवारों को झकझोर कर रख दिया है। अब यह जरूरी है कि सच्चाई पूरी पारदर्शिता के साथ सामने आए,ताकि भविष्य में किसी भी उड़ान में इस तरह की त्रासदी दोहराई न जाए।