वाशिंगटन,2 मई (युआईटीवी)- अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर से बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) माइक वाल्ट्ज को हटाकर उन्हें संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का अगला राजदूत नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले को लेकर मीडिया में तीखी बहस चल रही है कि क्या यह एक सजा है या एक प्रमोशन?
चार्ल्सटन, साउथ कैरोलिना में फॉक्स न्यूज को दिए एक विशेष साक्षात्कार में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने मीडिया पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर इस कदम को एक बर्खास्तगी के रूप में पेश कर रहा है,जबकि वास्तव में यह एक पदोन्नति (प्रमोशन) है।
वेंस ने कहा कि, “उन्हें निकाला नहीं गया है। उन्हें संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित किया गया है,जिसकी पुष्टि सीनेट ने भी कर दिया है। वेंस ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक प्रमोशन है। मीडिया इसे नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करना चाहता है,जबकि असलियत कुछ और ही है।”
वेंस ने मीडिया के इस रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि यदि यह केवल हटाया जाना होता,तो ट्रंप उन्हें नई जिम्मेदारी नहीं सौंपते। उन्होंने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप ने कई लोगों को उनके पद से हटाया है,लेकिन उन्हें बाद में उच्च पदों पर नियुक्त नहीं किया। माइक वाल्ट्ज के मामले में हम देख सकते हैं कि प्रशासन उन्हें एक नई भूमिका में बेहतर समझता है,जहाँ वे देश और अमेरिकी जनता की बेहतर सेवा कर सकें।”
हालाँकि,वेंस ने जोर देकर कहा कि वाल्ट्ज की यह भूमिका परिवर्तन “सिग्नल-गेट” कांड से जुड़ी हुई नहीं है। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि “नहीं,यह उस मुद्दे का परिणाम नहीं है।” सिग्नल-गेट एक विवादित मामला है,जिसमें आरोप लगा कि वाल्ट्ज ने ट्रंप प्रशासन की यमन में संभावित सैन्य कार्रवाई की योजना को लेकर एक उच्च स्तरीय सिग्नल ग्रुप चैट में अमेरिकी पत्रिका द अटलांटिक के संपादक को शामिल कर दिया था। इस खुलासे ने प्रशासन को असहज स्थिति में ला दिया था और यह माना गया कि यह एक सुरक्षा उल्लंघन है।
व्हाइट हाउस ने इस प्रकरण को एक “गलती” बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इससे अमेरिका की सुरक्षा को कोई वास्तविक नुकसान नहीं पहुंचा है। वाल्ट्ज ने इस पूरी जिम्मेदारी को स्वीकार किया है,जिससे यह संकेत मिलता है कि वह इस चूक के लिए पूरी तरह से जवाबदेह हैं। फिर भी, वेंस और व्हाइट हाउस दोनों ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय उनके प्रदर्शन या निष्ठा पर प्रश्नचिह्न लगाने की बजाय प्रशासनिक पुनर्संरचना का हिस्सा है।
पेंटागन के महानिरीक्षक ने इस प्रकरण की जाँच शुरू कर दी है और डेमोक्रेट्स के साथ-साथ कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने भी इस चूक की तीव्र आलोचना की है। यह मुद्दा अब केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं रह गया है,बल्कि राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है,जिससे ट्रंप प्रशासन पर और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही का दबाव बढ़ गया है।
जब उपराष्ट्रपति वेंस से पूछा गया कि क्या माइक वाल्ट्ज की तरह और भी शीर्ष अधिकारी हटाए जा सकते हैं,विशेष रूप से रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बारे में,तो उन्होंने साफ कहा कि, “पीट पर हमें पूरा भरोसा है। उनकी नौकरी सुरक्षित है।” इस बयान से यह संकेत मिलता है कि फिलहाल प्रशासन में व्यापक फेरबदल की संभावना नहीं है।
इस निर्णय की घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर की। उन्होंने लिखा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मैं माइक वाल्ट्ज को संयुक्त राष्ट्र में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित करूँगा। युद्ध के मैदान से लेकर कांग्रेस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद तक,माइक वाल्ट्ज ने हमेशा अमेरिका के हितों को सर्वोपरि रखा है।”
ट्रंप ने यह भी जानकारी दी कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो अस्थायी रूप से वाल्ट्ज के पूर्व कर्तव्यों को संभालेंगे,जब तक कि उनकी जगह स्थायी रूप से कोई और नियुक्त नहीं होता।
वेंस ने साक्षात्कार में यह भी कहा कि जब ट्रंप प्रशासन शुरू हुआ था,तो उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से उन लोगों को हटाया जो “निष्ठाहीन” थे और परिषद को अधिक क्रियाशील बनाने के लिए “सही लोगों का समूह” लाया गया। यह बयान वाल्ट्ज की नियुक्ति को ट्रंप प्रशासन के भीतर भरोसेमंद और प्रभावी नेतृत्व के रूप में दर्शाने की कोशिश है।
माइक वाल्ट्ज की संयुक्त राष्ट्र में राजदूत के रूप में नियुक्ति को वेंस और ट्रंप प्रशासन एक ‘प्रमोशन’ बता रहे हैं,लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों और मीडिया के एक हिस्से का मानना है कि यह ‘सिग्नल-गेट’ की प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया हो सकती है। प्रशासन भले ही इससे इनकार कर रहा हो,लेकिन यह तय है कि यह बदलाव ट्रंप प्रशासन की सुरक्षा नीति और नेतृत्व में एक बड़ा संकेत है।
वाल्ट्ज की नियुक्ति को सीनेट ने मंजूरी दे दी है,लेकिन इसके प्रभाव और अर्थ पर बहस जारी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि वाल्ट्ज संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का चेहरा बनकर क्या भूमिका निभाते हैं और क्या वह अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की छवि को नई दिशा दे पाएँगे।