अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (तस्वीर क्रेडिट@lramkrishna59)

अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सीधे हस्तक्षेप करने से किया इनकार,दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए किया प्रेरित

वाशिंगटन,9 मई (युआईटीवी)- अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष “में अमेरिका का कोई सरोकार नहीं होने की बात कही। भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बीच अमेरिका की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस विषय पर अपने बयान दिए हैं,जो स्पष्ट करते हैं कि अमेरिका इस संघर्ष में सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

फॉक्स न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने दो टूक कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध से “मूलतः अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है”। उनका कहना है कि अमेरिका का फोकस यह सुनिश्चित करना है कि यह संघर्ष परमाणु युद्ध में न बदले और इसे कूटनीतिक माध्यमों से सुलझाया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि, “हम इन लोगों को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं,लेकिन हम उस युद्ध में शामिल नहीं होंगे,जिसका अमेरिका से कोई सीधा सरोकार नहीं है और न ही हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।”

वेंस का यह बयान उन अमेरिकी मतदाताओं को संदेश देता है,जो चाहते हैं कि अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों से दूरी बनाए रखे और घरेलू मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करे।

वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर एक संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि वे भारत और पाकिस्तान दोनों को अच्छी तरह से जानते हैं और यदि ज़रूरत पड़ी तो “मदद करने को तैयार” हैं,लेकिन उन्होंने भी युद्ध में किसी प्रकार के अमेरिकी हस्तक्षेप से इनकार किया। ट्रंप ने कहा कि, “मैं चाहता हूँ कि दोनों देश ‘जैसे को तैसा’ की नीति को बंद करें। यह बहुत भयानक है। मैं दोनों देशों के साथ मिलकर काम कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि वे खुद ही इस समस्या को हल कर लेंगे।”

यह बयान भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कार्रवाई के ठीक बाद आया,जिसमें भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पंजाब प्रांत में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।

भारतीय सेना ने बीते सप्ताह ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया,जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की ओर से चल रहे आतंकवादी हमलों का जवाब देना था। इस अभियान में सेना ने उच्च तकनीक वाले हथियारों और ड्रोन की मदद से पीओके और पाकिस्तान के भीतर आतंकी शिविरों को निशाना बनाया। इससे पहले पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट,उधमपुर सहित कई क्षेत्रों में भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी,लेकिन भारतीय सेना की तैयारियों ने उन हमलों को नाकाम कर दिया।

भारत ने अमेरिका और वैश्विक समुदाय के सामने यह स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतेगा। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने अमेरिका को यह भी बताया है कि यह कार्रवाई केवल आत्मरक्षा और आतंकवाद के खात्मे के लिए की गई थी, किसी भी आम नागरिक या असैन्य संरचना को निशाना नहीं बनाया गया।

अमेरिका का वर्तमान रुख यह दर्शाता है कि वह दक्षिण एशिया में सैन्य हस्तक्षेप से बचना चाहता है,लेकिन क्षेत्रीय शांति को लेकर चिंतित है। अमेरिका की विदेश नीति अब इस बात पर केंद्रित है कि भारत और पाकिस्तान की सीमा पर तनाव किसी परमाणु संघर्ष में न बदले। दोनों देश राजनयिक वार्ता के माध्यम से समाधान निकालें तथा अमेरिका, चीन या रूस में से कोई भी देश इस संघर्ष का राजनीतिक फायदा न उठा सके।

ट्रंप और वेंस दोनों ने अपने बयानों में यह स्वीकार किया कि अमेरिका किसी भी पक्ष को मजबूर नहीं कर सकता कि वे हथियार डाल दें या युद्ध रोक दें,लेकिन अमेरिका की आशंका है कि यदि यह तनाव और बढ़ता है,तो इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था,तेल की कीमतों और भू-राजनीति पर पड़ सकता है।

जे.डी. वेंस ने यह भी जोड़ा कि फिलहाल उन्हें नहीं लगता कि यह युद्ध किसी “बड़े क्षेत्रीय या परमाणु संघर्ष” में बदलेगा। हालाँकि,उनका यह कथन खुद ही एक चिंता को उजागर करता है कि यदि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई,तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। अमेरिका की चिंता जायज़ है,क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा सैन्य तनाव ने अमेरिका को एक बार फिर से ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है,जहाँ वह हस्तक्षेप नहीं करना चाहता,लेकिन निष्क्रिय भी नहीं रह सकता। जे.डी. वेंस और डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही कूटनीति के पक्ष में हैं,लेकिन वे किसी सैन्य भागीदारी से साफ इनकार करते हैं। भारत ने आतंकी हमलों का सख्त जवाब दिया है,वहीं पाकिस्तान अपनी रणनीति को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है।

इस परिस्थिति में आने वाले दिन यह तय करेंगे कि अमेरिका अपने वर्तमान ‘तटस्थ मगर सक्रिय’ रुख को कितना आगे ले जाता है और क्या भारत-पाक तनाव एक बार फिर नियंत्रण में आ पाएगा या नया संकट जन्म लेगा।