नई दिल्ली,21 अप्रैल (युआईटीवी)- भारत-अमेरिका संबंधों के नए युग की ओर अग्रसर कदमों के तहत अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर सोमवार, 21 अप्रैल को दिल्ली पहुँचे। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर है,बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी बनकर सामने आई है।
दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर वेंस के स्वागत की भव्य व्यवस्था की गई थी। उनके साथ उनकी पत्नी उषा वेंस और तीन बच्चे – इवान,विवेक और मीराबेल भी मौजूद थे। खास बात यह रही कि वेंस के बच्चे भारतीय पारंपरिक परिधान में नजर आए,जिसने भारतीय संस्कृति के प्रति उनके सम्मान को दर्शाया।
एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और भारतीय कलाकारों ने पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया,जिसे वेंस परिवार ने बड़े उत्साह से देखा।
दिल्ली पहुँचने के कुछ ही समय बाद,उपराष्ट्रपति वेंस सपरिवार अक्षरधाम मंदिर पहुँचे। वहाँ उन्होंने मंदिर की भव्यता,शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव किया। यह कदम उनकी यात्रा को केवल राजनीतिक तक सीमित न रखते हुए संस्कृति और आत्मीयता की दिशा में भी आगे बढ़ाता है।
उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी को देखते हुए दिल्ली में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। वेंस के साथ अमेरिका के पेंटागन और स्टेट डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। उनकी यात्रा के दौरान सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार सतर्क हैं,ताकि किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके।
दिल्ली के बाद वेंस का कार्यक्रम जयपुर और आगरा जाने का है, जहाँ वे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन स्थलों का अनुभव करेंगे। ताजमहल और राजस्थानी संस्कृति से उनका साक्षात्कार दोनों देशों के लोगों के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
सोमवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर उपराष्ट्रपति वेंस की मेजबानी की। यह दोनों नेताओं की दूसरी द्विपक्षीय बैठक रही। इससे पहले वे फरवरी में पेरिस में हुए एआई शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे।
इस बार की मुलाकात में भारत-अमेरिका व्यापार समझौतों,रणनीतिक साझेदारी, प्रौद्योगिकी सहयोग और सुरक्षा मुद्दों पर विशेष बातचीत हुई। यह बैठक दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने की दृष्टि से अहम मानी जा रही है।
बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। अमेरिका से आए पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में पेंटागन और स्टेट डिपार्टमेंट के वरिष्ठ सदस्य शामिल थे,जिन्होंने विविध मुद्दों पर भारत के साथ विस्तृत संवाद किया।
वेंस की यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात विदेश सचिव विक्रम मिस्री और भारत में अमेरिका के राजदूत से भी होगी। इन बैठकों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मौजूदा संयुक्त बयानों के क्रियान्वयन की समीक्षा करना है, विशेषकर 13 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान घोषित योजनाओं को लेकर।
वेंस ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में भारत आने वाले दूसरे वरिष्ठ अधिकारी हैं। उनसे पहले राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने मार्च में भारत का दौरा किया था, जहाँ उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की,बल्कि रायसीना डायलॉग को भी संबोधित किया। यह संवाद मंच वैश्विक सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े नेताओं व विशेषज्ञों के विचारों का संगम है।
यह यात्रा इस मायने में ऐतिहासिक है क्योंकि पिछले 13 वर्षों में किसी भी मौजूदा अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने भारत का दौरा नहीं किया था। आखिरी बार फरवरी 2013 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जो बाइडन,जो बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति बने,भारत आए थे। इसलिए वेंस की यह यात्रा रणनीतिक,प्रतीकात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत और अमेरिका आज की वैश्विक राजनीति में प्रभावशाली लोकतंत्र,आर्थिक शक्ति और तकनीकी नवाचार के केंद्र बन चुके हैं। वेंस की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं के जैसे-साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,हरित ऊर्जा तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार के क्षेत्र में द्वार खोल सकती है ।
जेडी वेंस की भारत यात्रा सिर्फ एक कूटनीतिक औपचारिकता नहीं,बल्कि यह दो विशाल लोकतंत्रों के बीच गहरे होते रिश्तों,साझा मूल्यों और भविष्य के विज़न का प्रतीक है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान से लेकर उच्चस्तरीय राजनीतिक संवाद तक, इस यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य उज्ज्वल और व्यापक है।
यह यात्रा न केवल वर्तमान की चुनौतियों से निपटने का अवसर है,बल्कि एक स्थायी और सामरिक साझेदारी की नींव रखने की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है।