अमिताभ बच्चन ने दिखाया फिल्म ‘शोले’का पुराना टिकट (तस्वीर क्रेडिट@indulgexpress)

अमिताभ बच्चन ने साझा की ‘शोले’ के 20 रुपये वाले टिकट की याद,कहा- अब इतने में सिर्फ कोल्ड ड्रिंक मिलती है

मुंबई,29 जुलाई (युआईटीवी)- बॉलीवुड के शहंशाह और मेगास्टार अमिताभ बच्चन अक्सर अपने ब्लॉग के माध्यम से प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं। इस बार उन्होंने अपनी सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक ‘शोले’ से जुड़ी एक दुर्लभ और भावुक याद साझा की है। अमिताभ ने 1975 में रिलीज हुई इस ब्लॉकबस्टर फिल्म के टिकट की एक तस्वीर अपने ब्लॉग पर साझा की,जिसकी कीमत मात्र 20 रुपये थी। इस तस्वीर ने न केवल उनके पुराने दिनों की यादें ताजा कीं,बल्कि इस बात पर भी विचार करने पर मजबूर कर दिया कि समय के साथ चीजें किस तरह से बदल गई हैं।

अमिताभ बच्चन ने लिखा कि ‘शोले’ के इस टिकट को उन्होंने अब तक सहेज कर रखा है। उन्होंने ब्लॉग में लिखा,“शोले का टिकट… जिसे संभाल कर रखा गया,जो ऊपर लिखी हुई बातों को सच साबित करता है… कीमत सिर्फ 20 रुपये थी।” यह बात जानकर उन्हें खुद भी हैरानी हुई कि उस दौर में सिनेमा हॉल का टिकट मात्र 20 रुपये में मिल जाता था,जबकि आज उसी कीमत में सिर्फ एक कोल्ड ड्रिंक खरीदी जा सकती है।

अमिताभ ने आगे लिखा, “मुझे बताया गया है कि आजकल सिनेमा हॉल में एक कोल्ड ड्रिंक की कीमत यही है…क्या ये सच है? बहुत कुछ कहने को है,लेकिन कह नहीं रहा… प्यार और सम्मान।” उनके इस भावपूर्ण और थोड़े व्यंग्यात्मक अंदाज ने प्रशंसकों के दिल को छू लिया।

ब्लॉग में उन्होंने अपने मुंबई स्थित आवास ‘जलसा’ के बाहर प्रशंसकों से हुई साप्ताहिक मुलाकात की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। इन तस्वीरों में हजारों प्रशंसक अपने सुपरस्टार की एक झलक पाने के लिए जमा हुए थे। यह दृश्य इस बात की गवाही देता है कि दशकों बाद भी अमिताभ बच्चन का स्टारडम बरकरार है।

‘शोले’ की बात करें तो यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती है। रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी यह एक्शन-एडवेंचर फिल्म दो छोटे-मोटे अपराधियों जय और वीरू की कहानी है,जिन्हें एक रिटायर्ड पुलिस अफसर ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) ने खतरनाक डाकू गब्बर सिंह (अमजद खान) को पकड़ने के लिए हायर किया था। फिल्म की कहानी,संवाद,किरदार और संगीत ने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी थी। जय का किरदार अमिताभ बच्चन ने निभाया था,जो आज भी सिनेप्रेमियों के दिलों में जीवित है।

इस ब्लॉग के जरिए अमिताभ ने न केवल फिल्मी इतिहास की एक अनमोल झलक पेश की,बल्कि यह भी दर्शाया कि कैसे एक कलाकार अपने काम,यादों और प्रशंसकों से गहराई से जुड़ा रहता है। उनके द्वारा साझा किया गया टिकट समय की उस सादगी और भावनात्मक मूल्य को दर्शाता है,जो आज की ग्लैमर और भारी भरकम मार्केटिंग के युग में कहीं खोता जा रहा है।

अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग में अपने रचनात्मक विचारों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि देर रात का समय उनके लिए खास होता है। जब सब सो रहे होते हैं और चारों ओर शांति होती है,तब उनका दिमाग सबसे ज्यादा सक्रिय होता है और सबसे अच्छी रचनात्मकता निकलती है। उन्होंने लिखा, “ये वह समय होता है,जब खामोशी होती है और हम जागे हुए होते हैं… ये एक रहस्य है,है ना? देर रात का समय सोचने और समझने के लिए सबसे अच्छा होता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि जब चारों ओर शोर होता है,तब भी व्यक्ति अकेलापन महसूस कर सकता है,लेकिन जब सब शांत हो,तब विचारों की स्पष्टता सबसे अधिक होती है। यह बात उनके जीवन और रचनात्मकता के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाती है। उनका यह लेखन अंदाज़ सिर्फ एक अभिनेता नहीं,बल्कि एक संवेदनशील और गहरे सोचने वाले व्यक्ति की झलक भी देता है।

इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर भी ‘शोले’ के पुराने टिकट को लेकर चर्चाएँ तेज हो गईं। कई लोगों ने अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने यह फिल्म सिनेमाघरों में देखी थी और यह उनके जीवन का एक खास अनुभव रहा। कुछ ने तो यह भी कहा कि अब सिनेमा देखने का अनुभव उतना आत्मीय और सस्ता नहीं रह गया,जितना पहले हुआ करता था।

अमिताभ बच्चन का यह भावुक लेकिन सरल ब्लॉग एक बार फिर यह साबित करता है कि वह सिर्फ फिल्मों के नहीं,बल्कि शब्दों के भी महान कलाकार हैं। उनके द्वारा सहेजा गया ‘शोले’ का 20 रुपये वाला टिकट अब सिर्फ एक पुरानी वस्तु नहीं,बल्कि भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग की एक अमूल्य धरोहर बन चुका है।